ना एस्टीमेट ना परमिशन शिफ्ट कर दी लाइन

ना एस्टीमेट ना परमिशन शिफ्ट कर दी लाइन
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ना एस्टीमेट ना परमिशन शिफ्ट कर दी लाइन,

  1. यूपीपीसीएल चेयरमैन के आदेशों के बावजूद दे दिया शटडाउन
    ऐसे ही एक मामले में एक अवर अभियंता को किया जा चुका है सस्पेंड
    मेरठ /  ना एस्टीमेट ना परमिशन सीधे शटडाउन दिया और 11केवी की लाइन शिफ्ट कर दी। कारगुजारी के पीछे सीधे-सीधे सेटिंग का मामला है। प्रकरण की शिकायत पीवीवीएनएल एमडी से की गयी है। इसके अलावा एक पत्र यूपीपीसीएल चेयरमैन को भी भेजा गया है ताकि आरोपियों पर विभागीय जांच कर कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
    अफसर नहीं लगा पा रहे अंकुश
    अवैध रूप से लाइन शिफ्टिंग के मामलों में लगातार अवर अभियंता स्तर के अफसरों पर निलंबन की कार्रवाई के बावजूद बगैर अनुमति के लाइन शिफ्टिंग के मामलों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। ऐसा नहीं कि पीवीवीएनएल प्रशासन इसको लेकर गंभीर नहीं। केवल गंभीर ही नहीं है ऐसे मामलों को लेकर जो भी शिकायतें मिल रही हैं उनमें आरोपी अफसरों पर निलंबन सरीखी कार्रवाई भी की गई हैं। पिछले दिनों दो अवर अभियंताओं को पीवीवीएनएल एमडी ने सस्पेंड किया। पहला मामला बाईपास स्थित होटल लालकिला के बाहर लगे ट्रांसफार्मर की शिफ्टिंग का था। जिसमें सोफीपुर के जेई अनिल राम को सस्पेंड कर दिया गया। वैसा ही दूसरा मामला वेदव्यासपुरी का हुआ इसमें भी जेई को सस्पेंड कर दिया गया। इसके अलावा इससे मिलते जुलते एक अन्य हापुड़ में तो कारगुजारी दिखाते हुए एसडीओ व जेई ने नई लाइन ही बना डाली थी। नई लाइन ही नहीं बनायी बल्कि उसमें आरडीडीएस का सामान प्रयोग कर दिया गया। मामले की गंभीरता इसी बात से समझी जा सकती है कि उक्त मामले में पीवीवीएनएल एमडी ने वहां के एक्सईयन, दो एसडीओ व तीन जेई सस्पेंड कर दिए थे।
    अब रंगोली बिजलीघर
    अब रंगोली बिजलीघर के एसडीओ व जेई को लेकर मामला सामने आया है। इस मामले में आरोप है कि बगैर एस्टीमेट बनाए और परमिशन लिए लाइनशिफ्टिंग कर दी गयी है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि यदि लाइन शिफ्टिंग के इस कार्य का यदि एस्टीमेट बनाया गया होता तो पीवीवीएनएल के खजाने में अच्छी खासी रकम जमा होती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बताया जाता है कि जब मामले का खुलासा हो गया तो लाइन शिफ्टिंग के इस काम को आरडीएसएस योजना में किया दर्शा दिया गया, जबकि आरडीएसएस योजना के तहत केवल जर्जर तारों को बदलने का काम किया जाता है। जो लाइन शिफ्टिंग की गयी है उसके तार ना जो जर्जर थे और ना ही काम आरडीएसएस की श्रेणी में आता था। इसको लेकर एसडीओ व जेई पर उस शख्स से सेटिंग गेटिंग के आरोप लग रहे हैं, जिसके घर के सामने से यह लाइन जा रही है।
    यह होना चाहिए था
    ऐसे मामलों में आमतौर पर होता यह है कि पहले आवेदन लिया जाता है। फिर एस्टीमेंट बनता है। उसके बाद अनुमति ली जाती है। इसके अलावा जो शख्स लाइन शिफ्टिंग करता है वह बाकायदा एक शपथपत्र देता है कि अमुक जगह पर शिफ्टिंग की जाए। वहां किसी प्रकार के कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा नहीं होगी।
    वर्जन
    जिस प्रकार के आरोप लगाए जा रहे हैं वो तमाम निराधार हैं। तमाम नियम कायदों के अनुसार यह कार्य संपादित कराया गया है। आईपीडीएस योजना के तहत पूरा कार्य हुआ है। किसी प्रकार की खामी की कोई गुंजाइश इसमें नहीं छोड़ी गयी है। आरए कुशवाह एसडीओ रंगोली बिजलीघर
  2. @Back Home

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