निगम में कमीशन नहीं तो पेमेंट नहींE, मेरठ / डोर टू डोर कूड़ा कचरा कलेक्शन के लिए मिनी मेट्रो सरीखीं जो जिन 53 गाड़ियों का इस साल बीते 3 मार्च को मेयर हरिकांत अहलूवालियां ने एक भव्य कार्यक्रम में उद्घाटन किया था, वो तमाम गाड़ियां खड़ी-खड़ी कचरे में तब्दील हो रही हैं। इन छोटी गाड़ियों की खरीद में नगर निगम के अफसरों की बड़ी कारगुजारियां सामने आयी हैं। पहली तो यह कि तय हुआ था कि अशोक लीलेंड कंपनी की गाड़ियां क्रय की जाएंगी, लेकिन कमीशन के चक्कर में महेंद्र की गाड़ियां खरीद ली गयीं। अब इन गाड़ियों की पेमेंट का मामला फंसा दिए जाने के आरोप अफसरों पर लग रहे हैं।
हुआ यह था कि डोर टू डोर कलेक्शन सिस्टम जब लागू किया गया तो नगर निगम अफसरों के सामने बड़ी समस्या यह आयी कि जिन गलियों में कूड़ा कचरा उठाने वाले बडेÞ वाहन नहीं जा पा रहे हैं वहां पर डोर टू डोर कूडा कचरे का उठान कैसे कराया जाए। उसके बाद अफसरों ने तया किया कि जिस प्रकार से महानगर में मेट्रो रिक्शाएं संचालित हो रही हैं, उसी तर्ज पर कुछ गाड़ियां खरीद ली जाएं और महानगर के जिन इलाकों छोटा हाथी या ऐसे ही दूसरे वाहन नहीं जा सकते हैं, वहां इन मिनी मेट्रो सरीखी गाड़ियों से कचरा कलेक्शन कराया जाए। अफसरों की मिटिंग में इस योजना को ग्रीन सिंग्नल दे दिया गया। इसके लिए एक टैंडर कमेटी बना दी गयी। बताया जाता है कि इस कमेटी में निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. हरपाल सिंह व एई सुशील कुमार शामिल थे। तय किया गया कि दिल्ली रोड स्थित एक कंपनी से डोर टू डोर कूडा कलेक्शन के लिए 53 मिनी मेट्रो सरीखी गाड़ियां खरीद ली जाएं। इसके लिए अशोक लीलेंड कंपनी का नाम तय किया गया, लेकिन आरोप है कि खेल कर यह डील महेंद्र के सप्लायर से की गयी। करीब 80 लाख बतायी जा रही रकम से यह सौदा कंपनी के साथ कर लिया गया। गाड़ियां खरीदी गई इसके लिए इनका उद्घाटन भी किया जाना जरूरी था। इसके लिए अफसरों ने कार्यक्रम बनाकर मेयर हरिकांत अहलूवालियां से गाड़ियों का उद्घाटन व महानगर के लिए लोकर्पण करा दिया। यहां तक भी कुछ दिक्कत नहीं थी।
पैसे मांगने पर निकाली कमी
बताया जाता है कि एक गाड़ी की कीमत करीब 80 लाख में सौदा फाइनल होने के बाद जब बारी कंपनी को भुगतान की आयी तो आरोप लगाया जा रहा है कि प्रति गाड़ी कंपनी से बतौर कमीशन दस हजार की मांग की गयी। जब कंपनी के मालिक ने कमीशन देने से हाथ खडेÞ कर दिए तो गाड़ियों में नुक्स निकाल दिया गया कि गाड़ी का बैक जहां कचरा रखा जाता है वहां लगी प्लेट का गेज कम है। जबकि सप्लायर का कहना है कि जिस गेज की गाड़ी निगम अफसरों ने पास की थी, उतने ही गेज की गाड़ियां दी गयी हैं चाहे तो जांच करा लें। पेमेंट को लेकर अफसरों की हीलाहवाली के चलते इस मामले की शिकायत आईजीआरएस पोर्टल पर कर दी गयी। जिसके बाद निगम अफसरों से शासन ने रिपोर्ट तलब कर ली है। इस मामले को लेकर सोमवार को प्रस्तावित निगम की बैठक में हंगामा संभव है।