बिजिलेंस नहीं अब पुलिस करेगी जांच,
मेरठ/हाईकोर्ट ने नगर निगम मेरठ के कर्मचारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच बिजिलेंस से छीन ली गई है। दरअसल इस मामले में शासन ने बिजिलेंस को जांच सौंपी थी। शासन से आयी इस जांच में बिजिलेंस की इंस्पेक्टर मंजुलता कुशवाह ने मामले में 27 जनवरी को अपने यहां एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर के बद डिप्टी एसपी ने अश्वनी कुमार शर्मा को मामले की फाइल सौंप दी गयी थी। नियमानुसार किसी भी मामले में एफआईआर के 90 दिन बाद चार्जशीट दायर कर दी जानी चाहिए, लेकिन 90 दिन बाद चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकी।
यह है मामला
नगर निगम के लिपिक धर्मेन्द्र पर आरोप है कि उन्होंने लोकसेवक के रूप में कार्य करते हुए आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। इस पूरे मामला का खुलासा आरटीआई एक्टिविस्ट बीके गुप्ता ने किया था। उन्हीं की शिकायत पर शासन ने जांच बिजिलेंस को सौंपी थी। जिसके बाद आरोपी के खिलाफ बिजिलेंस ने मामला दर्ज कर लिया था, लेकिन बीके गुप्ता का आरोप है कि बाकि की कार्रवाई करना अफसर भूल गए।
हाईकोर्ट से शिकायत
बिजिलेंस के जांच अधिकारी पर खेल का आरोप लगाते हुए शिकायत करने वाले बीके गुप्ता हाईकोर्ट चले गए थे। उनके द्वारा की गई शिकायत की गंभीरता समझते हुए हाईकोर्ट ने अब इस मामले में एसपी मेरठ को जांच कर आरोपी के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश की एक कॉपी शिकायतकर्ता ने मेरठ पुलिस को मुहैय्या करा दी है।
ईडी से भी शिकायत
लिपिक के मामले को लेकर बीके गुप्ता ने एक शिकायत ईडी को भी भेजी है। माना जा रहा है कि इसके चलते आने वाले दिनों में निगम के लिपिक को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट द्वारा मामले पर संबंधित अफसरों से रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद हड़कंप मचा हुआ है।