एक तो अध कचरा वो भी छिन जाएगा,
मेरठ / सस्ती और शीघ्र सेवा के नाम पर शुरू की सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस के भरोसे सफर की गलती ना करें। इनकी लो-फ्लोर बसें सफर पूरा कराने की गारंटी खो चुकी हैं। ज्यादातर बसें मंजिल के लिए रवाना तो होती हैं लेकिन इनके मंजिल पर पहुंचने की गारंटी बिलकुल नहीं। सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस के बेडे में ज्यादातर ऐसी बसें हैं जो मंजिल पर पहुंचने से पहले ही हांफने लगती हैं और हांफते-हाफंते बीच रास्ते में ही झूल डाल देती हैं। शहर की सड़कों पर अक्सर अपने यात्रियों के साथ ये बसें बीच रास्ते में खड़ी देखी जा सकती हैं। इसकी बड़ी वजह इन बसों का समुचित रखरखाव न किया जाना। फिटनेस के मामले में बसों का ट्रैक रिकार्ड बेहद खराब है। इन बसों से सफर पर निकलने से पहले सफर पूरा होने का भरोसा कतई ना रखें, यदि सफर पूरा हो जाए तो उसको अपना नसीब माने।
मेरठ के साथ अन्याय
सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस के नाम पर सूबे की सरकार ने बसों का बेड़ा मुहैय्या कराने के नाम पर मेरठ वालों के साथ अन्याय के अलावा कुछ नहीं किया। और इसके लिए कोई और नहीं बल्कि जिन्हें मेरठ वालों ने चुनकर लखनऊ भेजा सरकार के सामने मेरठ की पैरवी के बजाए उनका पस्त पड़ जाना बड़ी वजह है। जिस वक्त यह सेवा शुरू की गयी उसके कुछ समय बाद 96 लो-फ्लोर बसें मेरठ भेजी गयी थीं। ये सभी बसें अपनी आधे से ज्यादा जिंदगी जी चुकी थीं। दरअसल ये वो बसें थीं जो मेरठ भेजने से पहले दस साली कानपुर में चल चुकी थीं। रोड पर इनकी जिंदगी की मियाद महज पांच साल बाकि रह गयी थी। इन बसों में बीस की मियाद इस साल दिसंबर में और अन्य बीस की मियाद जनवरी में पूरी हो जाएगी। इस तरह जनवरी तक एक ही झटके में रोड से चालिस लो-फ्लोर पक्की तौर पर हट जाएंगी। सीएनजी के अलावा मेरठ में 51 इलेक्ट्रिॉनिक्स और 8 लो-फ़्लोर वोल्वो बस हैं। नाम न छापे जाने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि मेरठ को पहले ही दस साल चली हुई बसें दी गयीं। उनमें से भी यदि चालिस बसें रोड से हट जाएंगी तो हालात कितने खराब होंगे इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि कुछ दिन पहले एक और इलेक्ट्रिक बस प्रदेश सरकार की आरएफटीवी योजना के तहत मेरठ को मिली है। जो पुरानी बसें चल रही
वर्जन
मेरठ महानगर की जरूरतों को देखते हुए लखनऊ से सौ बसों की डिमांड की गयी है। इसके लिए पत्र भी भेजे जा चुके हैं। सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस मेरठ के तमाम दूर दराज के इलाकों के अलावा मोदीनगर तक सेवा देती है। ऐसे में बसों की यहां नई बसों की बहुत ज्यादा जरूरत है।
सचिन सक्सेना एमडी सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस