पत्रकारों की हत्या वाले देशों में भारत भी, मुंबई जो देश पत्रकारों की हत्या के मामले में बदनाम है उनमें भारत भी शामिल है। एक अंतराष्ट्रीय एजेन्सी सीपीजे की रिपोर्ट में यह सनसनीखेज खुलासा किया गया है। जो लोग इस पेशे से जुड़े हैं उनके लिए यह रिपोर्ट डराने वाली हो सकती है, लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि जो गोदी मीडिया में शुमार माने जाते हैं उनको कोई खतरा नहीं। उनकी सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त हैं। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की मानें तो साल 2023 में दुनिया भर में मारे गए 99 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों में से तीन चौथाई से अधिक की मौत इज़रायल-गाज़ा युद्ध में हुई। संघर्ष में तीन महीने में इतने पत्रकारों की जान चली गई, जितनी किसी एक देश में पूरे एक साल में कभी नहीं गई। गाज़ा में उनके साथ कई पीड़ित पत्रकारों के परिवार भी मारे गए, साथ ही उनके सहयोगी या तो मारे गए या भाग गए। हालांकि इज़रायली सैन्य अधिकारियों ने पत्रकारों को निशाना बनाने से इनकार कर दिया, या फिर जब स्वीकार किया तो उन्होंने बहुत कम की ही जानकारी प्रदान दी। रिपोर्ट में खासतौर से यह भी कहा गया है कि भारत उन देशों में शामिल है, जहां 1997 से 2023 तक लगातार पत्रकारों की हत्याएं होती रही हैं। इस सूची के अन्य देशों में इराक, फिलीपींस, मेक्सिको, पाकिस्तान और सोमालिया के नाम शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर 2015 के बाद साल 2023 में पत्रकारों की सबसे अधिक मौत देखी गई है. इसमें 2022 से लगभग 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इस साल कुल 78 पत्रकार की मौत हुई. रिपोर्ट के अनुसार, ये मौतें काम से संबंधित पाई गईं. वर्तमान में आठ अतिरिक्त मामलों की जांच चल रही है। यदि गाज़ा, इज़रायल और लेबनान में होने वाली मौतों को हटा दिया जाए, तो साल 2022 की तुलना में 2023 में हुई हत्याओं में उल्लेखनीय गिरावट देखी जा सकती है। बीते साल 2022 में सीपीजे ने कुल 69 मौतों को दर्ज किया था, जिनमें से 43 काम से संबंधित थीं। हालांकि, घटती संख्या इस बात का संकेत नहीं है कि पत्रकारिता दुनिया के अन्य हिस्सों में सुरक्षित हो गई है. दरअसल, सीपीजे की वार्षिक ‘प्रिज़न सेंसस’ में पाया गया कि 2023 में पत्रकारों को जेल भेजने के मामलों में बहुत तेजी आई है। ये पत्रकारों की स्थिति और प्रेस की स्वतंत्रता से संबंधित एक और प्रमुख संकेतक है, जो 2022 में रिकॉर्ड स्तर पर रहा था। जेल में बंद पत्रकारों की सबसे अधिक संख्या वाला क्षेत्र एशिया बना हुआ है। प्रिज़न सेंसस 2023 में सीपीजे ने कहा था कि भारत में कुल सात पत्रकार जेल में बंद हैं। मीडिया को चुप कराने के लिए इन पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी यूएपीए और जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत मामले दर्ज हैं।