PM के ड्रीम प्रोजेक्ट को दे रहे झटका

PM के ड्रीम प्रोजेक्ट को दे रहे झटका
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PM के ड्रीम प्रोजेक्ट को दे रहे झटका, सोलर ऊर्जा को पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है, लेकिन मेरठ की यदि बात करें तो पीवीवीएनएल सिस्टम के कुछ अफसर पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजैक्टर को लगातार झटका दे रहे हैं। आरोप है कि इसी के चलते पीएम मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ पा रहा है, अफसरों का गैर जिम्मेदाराना रवैया इस महत्वाकांक्षी योजना से दूर करने पर लगा है। दरअसल हो यह रहा है कि पावर के कुछ अफसरों के रवैये के चलते लोगों ने इस सोल्लर परियोजना में दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी है। यह सब यूं ही नहीं हो रहा है इसके पीछे ठोस कारण और पावर के कुछ अफसरों का रवैया जिम्मेदार है। आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश अग्रवाल ने बताया कि यदि ऐसे अफसरों ने अपना रवैया नहीं बदला तो पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट मानी जाने वाली सोलर परियोजना टारगेट हासिल के बजाए बीच रास्ते में ही दम तोड़ देगी। उन्होने जानकारी दी कि गणपति एन्क्लेव निवासी विनोद गर्ग पुत्र पवन गर्ग निवासी गणपति एन्क्लेव कनैक्शन नंबर 6012519762 ने   20 अप्रैल 2023 को सोलर पैलन लगवाए। इसकी नैट मानिटरिंग 7 जुलाई 2023 को की गइ। उपभोक्ता ने नेट रजिस्ट्रेशन व टेस्टिंग फीस भी जमा करा दी। विभाग ने 23 अक्तूबर 2023 को नया मीटर भी लगा दिया। उपभोक्ता सभी बिलों का समय से भुगतान भी करता रहा। जिसके साक्ष्य उसके पास मौजूद हैं।

जारी हैं कारगुजारी

विनोद गर्ग का कहना है कि इसके बावजूद पावर महकमा उनके साथ कारगुजारी दिखाने से बाज नहीं आया। इस 24 फरवरी का जो बिल उन्हें भेजा गया, उसमें अधिभार 11627 जोड़ दिए गए जबकि कभी काेई बिल रोका नही। समयावधि के भीतर ही बिल जमा किए गए। सोलर पैनल को लगे एक करीब साल होने काे आया, लेकिन उसका जो भुगतान उपभोक्ता को मिलना चाहिए वो आज तक नहीं मिला। दरअसल सोलर पैनल में जो बिजली जैनरेट होती है, वो सरकार ले लती है। प्रार्थी का कहना है कि अधिभार के नाम पर उनसे जो रकम ले ली गयी है वह वापस दिलायी जाए। आरटीआई एक्टिवस्ट लोकेश अग्रवाल का कहना है कि नियमानुसार तो उपभोक्ता को जो रकम वापस दी जानी है उस पर ब्याज भी देय होना चाहिए। उनका कहना है कि 27 जुलाई 2023 से सोलर पैनल से जो भी बत्तती जैनरेटघ् की जा रही है उसका भुगबतान उन्हें बगैर किसी देरी के किया जाना चाहिए।

तकनीकि खामी बताकर झाड़ा पल्ला

अधिशासी अभियंता देहात तृतीय पल्लवपुरम भुवन सिंह से जब इस संबंध में जानकारी की गयी तो उन्होंने तकनीकि खामी बताकर पल्ला झाड़ लिया, लेकिन समाधान नहीं बताया।

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