पुलिस का इंकार-शहर में स्पॉ की भरमार,
मेरठ/आरटीआई के तहत मांगी गयी जानकारी में शहर के थानेदारों ने अपने थाना क्षेत्र में स्पॉ की मौजूदगी से इंकार किया है, लेकिन इसके इतर पूरे शहर में कुकरमुक्तों की मानिंद जिस्म फरोशी के ठिकाने बन चुके स्पॉ सैंटर फैल रहे हैं। जानकारों की मानें तो तमाम स्पॉ सैंटरों में संगठित गिरोह की तर्ज पर जिस्म फरोशी का धंधा फल-फूल रहा है। इस प्रकार के तमाम ठिकानों को या तो सफेदपोश या फिर इलाके के थाने का संरक्षण हासिल है। बगैर संरक्षण के इनका फलना-फुलना संभव नहीं है। शहर के कई इलाकों या कहें कुछ महंगे थाना क्षेत्रो में यह धंधा तेजी से पांव पसार रहा है। आबूलेन, बेगमपुल, लालकुर्ती, कंकरखेड़ा, पल्लवपुरम, गंगानगर, मेडिकल क शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट, दिल्ली रोड, रेलवे रोड के अलावा शहर में तमाम प्रमुख इलाकों में स्पा सेंटर नजर आए जाएंगे।स्पॉ सेंटरों के लेकर आरटीआई के तहत मांगी गयी जानकारी में तमाम थानेदारों ने अपने इलाके में स्पॉ की मौजूदगी से इंकार किया है। मंगलपांडे नगर में भले ही स्पॉ पर जिस्म फरोशी पायी गयी हो, लेकिन आरटीआई में मेडिकल थाना ने भी इलाके में किसी स्पॉ से इंकार किया है। इसके पीछे दो ही बात हो सकती है पहली तो यह कि स्पॉ की आड में करायी जा रही जिस्म फरोशी से थाना पुलिस अंजान थी। हालांकि थाना पुलिस अंजान हो यह बात किसी के गले नहीं उतरेगी या फिर यह स्पॉ संरक्षण में चल रहा था। वहीं दूसरी ओर आरटीआई एक्टिविस्ट मिशन कंपाउंड देव नगर निवासी मनोज चौधरी ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत एसएसपी कार्यालय के जन सूचना अधिकारी से महानगर के स्पा सेंटरों को लेकर विस्तार से जानकारी की दरकार की थी। मनोज चौधरी ने बताया कि मांगी गयी सूचना को लेकर ज्यादातर थानेदारों का दावा है कि उनके यहां एक भी स्पा सेंटर नहीं चल रहा है, जबकि जमीनी हकीकत इससे एकदम इतर है। जो थानेदार क्षेत्र में स्पा सेंटर होने न होने का दावा कर रहे हैं, मनोज चौधरी ने बताया कि उन्होंने ऐसे थानेदारों को उनके इलाके में स्पा सेंटर होने के बाकायदा चित्रों के साथ साक्ष्य मुहैय्या कराए हैं। बकौल आरटीआई एक्टिविस्ट सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गयी जानकारी का उत्तर जनपद के 20 थानेदारों ने दिया है। जिन्होंने उत्तर दिया उनमें थानेदारों में लालकुर्ती, सदर, कंकरखेड़ा, पल्लवपुरम, टीपीनगर, नौचंदी, मेडिकल, परतापुर, गंगानगर सरीखे थानों के थानेदार भी शामिल हैं।
मिजाज में रंगीनियां रखने वालों का ठिकाना
ओर स्पा सेंटरों की यदि बात की जाए तो आयुर्वेदिक और मसाज की सेवा देने के नाम पर खोले गए ये स्पा सेंटर दरअसल, अब जिस्म फरोशी के अड्डों में तब्दील हो गए हैं। मिजाज में रंगीनियां रखने वाले तेजी से इनके ग्राहक बनते जा रहे हैं। कुल मिलाकर स्थिति यह है कि ज्यादातर स्पा सेंटर तेजी से जिस्म फरोशी के अड्डों या कहें मंडी में तब्दील होते जा रहे हैं। युवाओं से ज्यादा स्पा सेंटरों का क्रेज अधेड़ में नजर आता है। इस ऐज ग्रुप के लोग रंगीनियत की भूख से बेहाल होकर इस प्रकार के स्पॉ सेंटरों का रूख करते हैं। जानकारों की मानें तो ज्यादातर स्पॉ सेंटरों पर परंपरागत कस्टमर होते हैं। नए कस्टरम को जोड़ने से परहेज किया जाता है। पुराने व परंपरागत कस्टर से इतना ज्यादा कमाई कर ली जाती है कि सारा खर्चा निकालकर भी काफी कुछ बच जाता है, इतना ज्यादा कि लग्जरी लाइफ स्टाइल में जिया जा सके।
संगठित गिरोह की तर्ज पर संचालन
शहर के तमाम स्पॉ सेंटर जो पॉश कालोनियोें या फिर बेगमपुल सरीखे इलाकों में संचालित किए जा रहे हैं ये सभी संगठित गिरोह की तर्ज पर चल रहे हैं। मसलन जिस्म फरोशी करने वाली लड़कियों का इंतजाम एक शख्स करता है। स्पॉ को मैनेज करने का काम किसी अन्य के जिम्मे होता है। स्पॉ के लिए ग्राहकों की तलाश करने का काम किसी अन्य के कंधे पर होता है। स्पॉ चलाने के लिए सेटिंग गेटिंग का काम आमतौर पर संचालक स्वयं देखता है। सुनने में आया है कि इसके लिए या तो मीडिटर की मार्फत थाने से सेटिंग की जाती है या फिर बैकग्राउंड में मजबूत सफेदपोश होता है। इन सफेदपोशों में व्यापारी नेता, पॉलटिकल पर्सनेलिटि, एनजीओ संचालक या संचालिका भी संभव हैं। इन सबके बावजूद इलाके के थाने की जरूरत का पूरा ध्यान रखना होता है।
ऐसे होती है शुरूआत
स्पा सेंटर में काउंटर पर बैठी लड़की मसाज के लिए आफर बताती हैं और 1000 से 1500 रुपये तक फीस वसूली जाती है। स्पा सेंटर में ग्राहक की पसंद और नापसंद का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। कई बार कस्टमर लड़की उपलब्ध करवाने के लिए कहता है तो उसके वाट्सऐप पर लड़कियों की फोटो भेजी जाती है और लड़की पसंद करवाई जाती है। फिर आन डिमांड होटल में भेजी जाती है। इसके लिए एक्स्ट्रा चार्ज लिया जाता है। मनपसंद लड़कियों के ज्यादा चार्ज लिए जाते है। शहर में चल रहे स्पा सेंटरों में कुछ लड़कियां तो अपनी मनमर्जी से आती है, लेकिन कई लड़कियों की मजबूरियों का फायदा उठाया जाता है। काम की तलाश में घूम रही और मजबूर लड़कियों को इस काम में धकेला जाता है। शहर के मॉल, मार्केट, बेसमेंट आदि में सैकड़ों की संख्या में इनका संचालन खुलेआम हो रहा है। शहर का शायद ही ऐसा कोई कोना होगा, जहां स्पा एंड मसाज सेंटर का संचालन न हो रहा हो। ग्राहक न वापस जाए, सौदेबाजी भी करते हैं। मात्र 500 रुपये काउंटर फीस लगती है। इसके बाद एक्सट्रा सर्विस लेने के लिए मसाज करने वाली गर्ल्स सौदेबाजी करती हैं। 500 रुपये से लेकर एक हजार रुपये में आसानी से सौदा हो जाता है।