प्राण प्रतिष्ठा-कलश यात्रा, मेरठ के हापुड़ बंबा बाईपास रोड स्थित पर्ल रेजीडेंसी सोसायटी में आज तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ किया गया,कलश यात्रा में सोसायटी कई सभी महिलाओं ने एक से वस्त्र पीली साड़ी पहनकर सिर पर कलश लेकर ढोल, शहनाई के साथ सोसाइटी कई परिक्रमा करते हुए कलश यात्रा को मंदिर पर संपन्न किया।इसके पश्चात याज्ञिक आचार्यों द्वारा यजमानों का शुद्धिकरण के साथ मंडप प्रवेश कराकर अखंड ज्योति जलाकर स्थापित सभी वेदियों का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना कराई साथ ही कई धार्मिक कार्यक्रम हुए। जिसके अंतर्गत सर्वतोभद्र मंडल पूजन, क्षेत्रपाल मंडल पूजन,वास्तु मंडल,पंचांग पीठ के साथ चौसठ योगिनी आदि मंडलों का विधिवत स्थापना व पूजन कराकर नवनिर्मित देव प्रतिमाओं को शुद्धिकरण के साथ जलाधिवास एवं पुष्पाधिवास कराया गया जिसमें जलाधिवास निमित कई प्रकार के फलों का रस ,जलपूरित पात्र,व काफी किस्म के सुगंधित फूलों के साथ अधिवास कराया। द्वितीय चरण के पूजन में प्रतिमाओं का फलाधिवास के साथ घृताधिवास भी कराया गया जिसमें ११ तरह के फल और गाय के घी का इस्तेमाल किया गया। देव अनुष्ठान पूजन करा रहे मुख्य आचार्य कौशल वत्स ने भक्तों को प्रातः प्रतिष्ठा के विषय में बताया कि देव प्रतिमा में जान डालने की विधि को ही प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं। यह मूर्ति को जीवंत करती है जिससे की यह व्यक्ति की विनती को स्वीकार कर सके। प्राण-प्रतिष्ठा की यह परंपरा हमारी सांस्कृतिक मान्यता से जुड़ी है कि पूजा मूर्ति की नहीं की जाती, बल्कि दिव्य सत्ता की, महत् चेतना की, की जाती है। सनातन धर्म में प्रारंभ से ही देव मूर्तियां ईश्वर प्राप्ति के साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधन की भूमिका निभाती रही हैं। अपने इष्टदेव की सुंदर सजीली प्रतिमा में भक्त प्रभु का दर्शन करके परमानंद का अनुभव करता है और शनै: शनै: ईश्वरोन्मुख हो जाता है। देवप्रतिमा की पूजा से पहले उनमें प्राण-प्रतिष्ठा करने की पीछे मात्र परंपरा नहीं, परिपूर्ण तत्त्वदर्शन सन्निहित है। आचार्य कौशल वत्स ने बताया कि रविवार को की गई प्रतिष्ठा तेजस्विनी, सोमवार को कल्याण कारिणी, मंगलवार को अग्रिदाह कारिणी, बुधवार को धन दायिनी, वीरवार को बलप्रदायिनी, शुक्रवार को आनंददायिनी, शनिवार को सामर्थ्य विनाशिनी होती है। पहले दिन के मुख्य यजमान मुकुल गुप्ता, नितिन शर्मा,मधुवन आर्य,सौरव गोयल और रजनीश लाल आदि सपत्नीक सपरिवार रहे। साथ ही सोसाइटी के समस्त परिवार पूरे कार्यक्रम में शामिल रहे जिसमें सोसाइटी के राजीव गोयल, संदीप गुप्ता,अमित जैन,प्रवीर गोपाल,आदि रहे। इस समस्त अनुष्ठान के आचार्यत्व एवं यज्ञाचार्य आचार्य कौशल वत्स के साथ रुड़की एवं देहरादून से आयें आचार्य अमरदेव जी , आचार्य अभिषेक शर्मा जी एवं पं शिवम शास्त्री जी रहें। कार्यक्रम में सोसाइटी से संदीप गुप्ता, सुनील मित्तल,संदीप लोहा,सचिन जैन आदि जन सपरिवार उपस्थित रहे।