प्रेम की भूमि है श्रीधाम वृंदावन

प्रेम की भूमि है श्रीधाम वृंदावन
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प्रेम की भूमि है श्रीधाम वृंदावन, ज्योतिष वैज्ञानिक व श्रीमद भागवत के प्रकांड पंड़ित व भगवताचार्य डा. राम प्रकाश शास्त्री का कहना है कि जैसी साेहबत में आप रहेंगे वैसा ही मन जा जाएंगा। उन्होंने कहा कि प्रभु से अन्य प्रेम रखते हैं तो आपको श्रीधाम वृंदावन प्रिय लगाने लगेगा। भगवान के स्वभाव का जिसे ज्ञान हो जाता है उसे संसार अच्छा नहीं लगता। संसार के भोगों को भोगते हुए भी वे उनसे अलग रहते हैं, उनमें आसक्त नहीं होते हैं। ‘जहाँ काम तहँ राम नहिं, जहाँ राम नहिं काम।’ जैसे सूर्य और रात एक साथ नहीं रह सकते उसी प्रकार संसारी भोगासक्ति और राम भक्ति एक साथ हृदय में नहीं रह सकती। भक्त के शरीर के भोग भगवत् प्रसाद युक्त होते हैं, उनके भोगने में भक्ति का साथ नहीं छूटता है। उनके भोग भी भजन है। डा. राम प्रकाश शास्त्री कहते हैं कि ज्ञापन की भूमि हरिद्वार है तो ऐश्वर्य की भूमि द्वारिका जहां स्वयं द्वारिकाधीश बिराज रहे हैं। शायद यही कारण है कि वह राज्य अन्य राज्यों के अनुपात में अधिक वैभवशाली है। यदि आपको वैराग्य हो गया है तो उचित धाम या कहें नगरी तो वो है अयोध्या नगरी। डा. प्रकाश शास्त्री का कहना है कि अयोध्या नगरी की पहचान यूं तो पूरे विश्व में भगवार श्रीराम के नाम के साथ जुड़ी है, लेकिन वास्तविकता की यदि बात की जाए तो अयोध्या नगरी वैराग्य की नगरी है। वैराग्य के बाद बारी आती है मोछ की। जो ज्ञानी संसार की जीवन मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हैं उनका प्रयास होता है कि उनकी अंतिम सांस या कहें जीवन के अंतित समय जब आत्मा परमात्मा में लीन होने को व्याकुल हो जाती है और यह नश्वर शरीर ही बाकि रह जाता है ऐसे ज्ञानियों की मुक्ति का धाम काशी नगरी को माना जाता है। यह कहा भी जाता है कि काशी में मरने वालों को जनम मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन अब बात उस नगरी की जहां खुद प्रभु श्रीकृष्ण वास करते हैं-राधारानी वास करती हैं जो प्रभु श्रीकृष्ण के अन्नय प्रेम में डूबे हैं उनके लिए सबसे सुंदर नगरी श्रीधाम वृंदावन है।

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