पूछताछ को थाने बुलाए हुसैन की मिली लाश

पूछताछ को थाने बुलाए हुसैन की मिली लाश
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पूछताछ को थाने बुलाए हुसैन की मिली लाश, नई दिल्ली: फौजी टुकड़ी पर हमले के मामले में पूछताछ के लिए बुलाए गए जम्मू के नार इलाके में रहने वाले मुख्तार हुसैन शाह की लाश रोड पर पायी गयी है. यह साफ नहीं कि उनकी मौत कैसे हुई. इस घटना को लेकर लोगों में जबरदस्त नाराजगी है. हालांकि उनको दफना दिया गया है.  जम्मू कश्मीर में ऐसे तमाम लोग है जो इंडियन आर्मी की मदद करते है. लेकिन अब तक दर्जनों ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें आर्मी की मदद की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी है. कहा जा रहा है कि हुसैन शाह का मामला भी कुछ वैसा ही है। सुनने में आया है कि दरअसल में 20 अप्रैल को पुंछ में सेना के एक वाहन पर हुए आतंकवादी हमले, जिसमें पांच सैनिक मारे गए थे, के संबंध में पूछताछ के लिए पुलिस द्वारा उन्हें बार-बार बुलाया जा रहा था. एक नेशनल इंग्लिश दैनिक की रिपोट के मुताबिक मुख्तार हुसैन शाह (55), जिनके पत्नी, तीन बेटियों और एक बेटा हैं, 26 अप्रैल की सुबह गवर्नमेंट हाई स्कूल, नार के पास बेहोशी की हालत में पाए गए थे. उन्हें मेंढर के एक अस्पताल और वहां से राजौरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां उसी रात उनकी मृत्यु हो गई.उन्हें अगले दिन स्थानीय लोगों के प्रदर्शन के बीच दफनाया गया. लोगों ने लगभग दो घंटे के लिए भींबर गली-सुरनकोट रोड को अवरुद्ध कर दिया था.  उनके छोटे भाई रफ्तार ने दावा किया कि 20 अप्रैल को पुंछ में हुए आतंकी हमले के कुछ घंटे बाद मुख्तार को गुरसाई थाने से फोन आया कि वह वहां पेश हों. वे तीन दिनों के बाद 23 अप्रैल को घर लौटे, लेकिन उसी रात पुलिस ने उन्हें फोन पर पुंछ जाने को कहा. उन्होंने कहा, ‘मैं अगली सुबह उसे मोटरसाइकिल पर जारनवाली गली ले गया जहां स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के दो पुलिसकर्मी उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे. इसके बाद हमें उनकी कोई जानकारी नहीं मिली.’पुलिस का कहना है कि  मुख्तार कोई संदिग्ध नहीं थे और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया हो सकता है, लेकिन ऐसी घटनाओं के बाद यह नियमित प्रक्रिया है. यह भी बताया जा रहा है कि मुख्तार ने कथित तौर पर एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने नाराज़गी व्यक्त की थी कि किसी ने उन पर विश्वास नहीं किया और उनका आतंकवादियों से कोई संबंध नहीं था. इस वीडियो में वे कहते हैं, ‘अगर मैंने किसी की मदद की होती तो मैं आसानी से स्वीकार कर लेता, लेकिन मुझ पर या मेरे परिवार के सदस्यों पर किसी ऐसी चीज के लिए दबाव डालना, जिसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है, बिल्कुल गलत है.’ वीडियो में मुख्तार ने यह भी दावा किया कि वास्तव में उन्होंने ही पुलिस और राष्ट्रीय राइफल्स को 2021 में क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में सूचित किया था. रफ़्तार ने दावा किया कि मुख्तार ने तब मेंढर और पास की राष्ट्रीय राइफल्स इकाई के पुलिस अधिकारियों को फोन किया था और उन्हें आतंकवादियों के बारे में जानकारी दी थी. रफ़्तार ने कहा, ‘तब से हम डर में जी रहे हैं.’

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