90 दिन में अफसरों व कर्मियों पर गाज
नब्बे दिनों में अफसरों व फर्जी निगम कर्मियों पर होगी कार्रवाई
-एसपी सीबीसीआईडी और पुलिस को हाईकोर्ट के आदेश, सुप्रीमकोर्ट जा सकते हैं कर्मचारी-
मेरठ नगर निगम में फर्जी नियुक्ति से तेइस कर्मचारियों की भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अख्तयार किया है। सोमवार को अपलोड हुए हाईकोर्ट के आदेश में सीबीसीआईडी आगरा जो निगम के तेइस कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति की जांच कर रही है उसके एसपी व थाना देहलीगेट पुलिस को आदेश दिए हैं कि इस मामले में 90 दिन के भीतर सभी आरोपियों पर कार्रवाई जाए। हाईकोर्ट के इस आदेश की प्रति सोमवार को जब निगम कर्मियों के हाथ लगी तो उनमें हड़कंप मच गया। दरअसल इनमें कई कर्मचारी ऐसे भी बताए जा रहे हैं को रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े हैं। जानकाराें का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई तो वेसे सीबीसीआईडी के एसपी के स्तर से ही की जानी है, लेकिन मामले की जांच मे सीबीसीआईडी ने थाना देहलीगेट में मुकदमा लिखवाया है, इसलिए कोर्ट ने देहलीगेट पुलिस को भी कार्रवाई के लिए सीबीसीआईडी के साथ अधिकृत किया है।
यह है पूरा मामला
साल 2010 में नगर निगम के तत्कालीन नगराुयक्त डीके सिंह ने सबसे पहले निगम के फर्जी नियुक्ति का मामला पकड़ा था इतना ही नहीं उन्होंने शासन को कार्रवाई के लिए भी लिखा था। डीके सिंह के पत्र से मेरठ से लेकर लखनऊ तक नगर विकास विभाग के अफसरों में हड़कंप मच गया था क्योंकि इतने बड़े स्तर पर फर्जी नियुक्तियों का प्रदेश में कोई दूसरा मामला अब तक सामने नहीं आया था। डीके सिंह क पत्र का संज्ञान लेने शासन ने कार्रवाई के लिए तत्कालीन मंडलायुक्त को पत्र लिखा। कुछ समय बाद डीके सिंह का मेरठ से तवादला हो गया और उनके तवादले के साथ ही यह मामला भी दब गया।
गायब करते रही चिट्ठियां
बताया जाता है कि डीके सिंह केतवादले के बाद उनके बाद मेरठ नगर निगम में आए अफसरों ने या तो इस मामले को हल्के में लिया और जिन्होंने कुछ गंभीरता बरती भी उन तक इस प्रकरण से संबंधित शासन से आने वाले चिट्ठियां पहुंचने नहीं दी गयी। दरअसल हुआ यह है कि चिट्ठियां निगम के कंप्यूटर विभाग में निगम की साइट पर आती थीं। कंप्यूटर विभाग में भी कुछ कर्मचारी ऐसे थे जो फर्जी नियुक्ति के चलते कार्रवाई की जद मे आ रहे थे। आरोप है कि वो कर्मचारी ऐसी तमाम चिट्ठियां सक्षम अधिकारी तक पहुंंचने ही नहीं देते थे। जिसके चलते कार्रवाई में इतनी ज्यादा देरी लगी। इस मामले में निगम स्तर पर गंभीरता तब बरती गयी जब जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गयी और शासन ने उन अफसरों पर भी कार्रवाई के आदेश कर दिए जिनके कार्यकाल में फर्जी नियुक्तियों का यह मामला दबाया जाता रहा। लेकिन शासन ने जब गंभीरता बरती और अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटने लगी तो तत्कालीन नगरायुक्त संजय कृष्ण सबसे पहले हाईकोर्ट पहुंचे। उन्होंने अपनी गिफ्तारी पर स्टे की प्रार्थना की। वहीं दूसरी ओर सीबीसीआईडी की आगरा की जो टीम जांच कर रही थी उसके अफसराें ने इस मामले में बयान दर्ज कर एक एफआईआर थाना देहलीगेट में दर्ज कर दी। यहां के बाद मामले की गंभीरता शुरू हुई। वहीं दूसरी ओर विगत 17 जनवरी को हाईकोर्ट में जो सुनवाई हुई थी और जिसका आदेश आज सोमवार को अपलोड हुआ है उसमें सीबीसीआईडी व थाना देहलीगेट पुलिसव को 90 दिन के भीतर फर्जी नियुक्ति मामले में कार्रवाई के आदेश दिए हैं। कार्रवाई केवल फर्जी नियुक्तियां ही नहीं बल्कि शासन की मनाही के बावजूद सेलरी रिलीज करने वाले अफसरों भी तय मानी जा रही है।
ऊपरी अदालत में जाने की तैयारी
सूत्रों ने जानकारी दी है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद निगम के जो भी कर्मचारी इससे प्रभावित हो सकते हैं, वो राहत के लिए सुप्रीमकोर्ट या फिर हाईकोट की डबल बैच में जा सकते हैं। वहीं दूसरी ओर इस मामले से प्रभावित होने वाले कर्मचारियों ने किसी भी प्रकार की टिप्पणी से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि आदेश की कापी देखने व अपने वकील की राय के बाद ही कुछ कहेंगे।
वर्जन
मामला बेहद गंभीर है। हाईकोर्ट का आदेश स्पष्ट है। यह मामला केवल फर्जी नियुक्ति का ही नहीं बल्कि राजस्व के नुकसान का भी है। इसलिए कार्रवाई की जानी चाहिए। डा. प्रेम सिंह पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम