राशन घोटाला: अजब जांच की गजब कहानी

राशन घोटाला: अजब जांच की गजब कहानी
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राशन घोटाला: अजब जांच की गजब कहानी  उत्तर प्रदेश में साल 2018 में  करीब 43 जनपदों में सामने आए राशन घोटाले की अजब जांच की गजब कहानी सामने आयी है। वो ऐसे कि जब इस घोटाले की जांच एसटीएफ करती है तो एक ही मुकदमें में आपूर्ति विभाग के करीब दर्जन भर सप्लाई इंस्पेक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाती है। लेकिन जब यही जांच स्वयं भू तरीके से मेरठ समेत तमाम कई जनपदों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अपनी एसआईटी से कराते हैं और बाद में यह जांच इधर उधर धक्के खाते हुए ईओडब्लूएस के पाले में पहुंचती है तो आपूर्ति विभाग का एक भी डीएसओ, एआरओ या पूर्ति निरीक्षक कसूरवार नहीं मिलता। सभी को एक ही झटके में क्लीनचिट दे दी जाती है। जिनकी छत्रछाया में गरीबों के निवाले पर डाका डाला गया वो सभी दूध के धूले करार दे दिए जाते हैं। इस मामले को लेकर साल 2018 से एसटीएफ जांच की पैरवी कर रहे जनपद मेरठ के सरधना निवासी मैराजुददीन अहमद बताते हैं कि दरअसल हुआ यह था कि जब एसटीएफ ने घोटाले के असली किरदारों यानि आपूर्ति विभाग के तत्कालीन डीएसओ, एआरओ व सप्लाई इंस्पेक्टरों पर शिकंजा कसना शुरू किया और कुछ पर एफआईआर तक दर्ज कर दी उसके बाद इसके साइड इफैक्ट लखनऊ में बैठे महकमे के अफसरों पर नजर आने लगे। लखनऊ में बैठे आकाओं पर साइड इफैक्ट का असर यह हुआ कि बगैर किसी आदेश के जांच कर रही एसटीएफ एकाएक पर्दे के पीछे चली गई और मेरठ समेत सूब के कई जनपदों में जहां एसटीएफ ने आपूर्ति विभाग के घोटाले में शामिल रहे अफसरों पर शिकंजा तैयार कर लिया था, वहां के एसएसपी सरीखे अफसरों ने अपनी एसआईटी बनाकर जांच शुरू करा दी।

अपनी ही खेल में फंस गए अफसर: बस यहीं पर तत्कालीन पुलिस अफसरों से चूक हाे गयी। जिसकों लेकर मामले के मुख्य पैरोकार मैराजुद्दीन ने हाईकोर्ट में तमाम पुलिस अधिकारियों व शासन में बैठे अफसरों समेत एसएसपी एसटीएफ लखनऊ के खिलाफ अवमानना का वाद दायर कर दिया। साल 2018 में राशन घोटाला सामाने आने के बाद सूबे के तत्कालीन प्रमुख सचिव खाद्य व हाईकोर्ट ने एसटीएफ यूपी को जांच के आदेश दिए थे। मैराजुद्दीन का तर्क है कि जब प्रमुख सचिव व हाईकोर्ट ने एसटीएफ को जांच के लिए अधिकृत किया है तो शासन के किस आदेश पर मेरठ समेत अन्य जनपदों में पुलिस ने जांच शुय कर दी। साथ ही यह भी कि एसटीएफ किस आदेश के तहत जांच से अलग हो गयी।

एसएसपी नितिन तिवारी को बनाया पार्टी: इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जो अवमानना की जो रिट दायर की गयी है उसमें मेरठ के तत्कालीन एसएसपी नितिन तिवारी को पार्टी बनाया गया है। उनके अलावा एसएसपी एसटीएफ को भी पार्टी बनाया गया है। इसके पीछे ठोस तर्क बताए गए हैं जिनमें कहा गया है कि एसटीएफ की जांच में करीब दर्जन भर आपूर्ति निरीक्षकों पर एफआईआर दर्ज की जाती है तो फिर ऐसा क्या हो जाता है जब यह जांच एसआईटी या ईओडब्लूएस करती है तो आपूर्ति विभाग के अफसरों को पूरी तरह से क्लीन चिट दे दी जाती है।

,अजब जांच की गजब कहानी, STF की एक FIR में 12 सप्लाई इंस्पेक्टर आरोपी-ईओडब्लूएस व एसआईटी को एक भी नहीं मिला


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