कैंट बोर्ड: आंकड़ों की बाजीगिरी में न उलझाइए हुजूर

कैंट बोर्ड: रोड निर्माण की जांच
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कैंट बोर्ड: आंकड़ों की बाजीगरी में न उलझाइए हजूर,  घपलों और घोटालों में फंसे मेरठ कैंट बोर्ड के बड़े साहब अब ध्यान भटकाने के लिए दूसरे मुद्दों को उछालने लगे हैं, लेकिन हजूर ये पब्लिक है सब जानती है, इसलिए जो सही है वो ही कहिए। जहां तक दावा है चौदह लाख बचाने को तो इसकी पोल तो बोर्ड के कुछ पूर्व मैंबरों ने ही नाम न छापे जाने की शर्त पर खोल कर रख दी है। पोल ही नहीं खोली बड़े साहब के झूठे दाबे की क्रोनाेलॉजी भी समझा दी। बड़े साहब के चौदह लाख बचाने के दावे पर सवाल पूछा जा रहा है कि विगत 20 अगस्त 2022 काे हुई  बोर्ड बैठक  के प्रस्ताव संख्या 60 के अनुसार भी प्रति माह सफाई पर खर्च की अनुमानित लागत करीब दस लाख से कम किसी भी स्थिति में नहीं बैठ रही है। तो फिर बड़े साहब क्या गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। और विस्तार से समझ लें:- सफाई कार्य में लगने वाले वाहनों जिनमें जेसीबी, ट्रैक्टर-ट्राली, टीपर/डंपर के डीजल का एक माह का खर्च ही करीब ढाई लाख रुपए बैठता है। इसके अलावा प्रतिमाह पांच ड्राइवरों की सेलरी करीब एक लाख, इसके अलावा ऐजेंडा में दिखाए गए चालिस कर्मचारियों की सेलरी ही लगभग छह लाख बैठती है। यह कुल रकम करीब दस लाख बैठती है, तो अब सवाल उठ रहा है कि मेरठ कैंट बोर्ड के बड़े साहब ने कौन से अंक गणित का प्रयोग कर चौदह लाख की बचत बता दी। बड़े साहब का जो अंक गणित है यदि उस पर यकीन किया जाए तो पूरे कैंट क्षेत्र की सफाई में कुल साढ़े चार लाख प्रति माह का ही व्यय होगा। यही बड़े साहब का अंकगणित सटीक है तो फिर यह भी पूछा जा रहा है कि डोर टू डोर ठेकेदार जिसे हर माह 18.57 लाख का भुगतान किया जा रहा है, उसको एक्सटेशन देकर क्या बड़े साहब ने ही बोर्ड को 21 लाख का चूना लगाने का काम नहीं किया है। या फिर यह नहीं माना जाएगा कि कमांडर को भी इस मामले में गुमराह कर दिया है। जब साढ़े चार में काम हो सकता है तो बड़े साहब बताएं कि डोर टू डोर के ठेकेदार को एक्सटेंशन दिलाकर ऊंची दरों पर काम करा रहे हैं। स्टाफ बड़े साहब को और बड़े साहब, कमांडर को गुमराह कर रहे  हैं, लेकिन पब्लिक को तो गुमराह किया जाना मुनासिब नहीं।

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