किसानों को राहत-आवास विकास अफसरों की आफत

किसानों को राहत-आवास विकास अफसरों की आफत
Share

किसानों को राहत-आवास विकास अफसरों की आफत,
सुप्रीमकोर्ट की दो टूक जो काविज हैं और मुआवजा भी नहीं उठाया उनसे जोरजबरदस्ती नहीं

मेरठ जाग्रति विहार एक्सटेंशन को लेकर किसानों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीमकोर्ट ने आवास विकास परिषद के बड़ा झटका दिया है। इसको लेकर किसान मनवीर सिंह की एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) की सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने दो टूक कहा है कि योजना के गांव घोसीपुर व काजीपुर के जिन किसानों ने मुआवजा नहीं उठया है और जमीन पर काविज हैं उनके साथ किसी प्रकार की जोरजबरदस्ती ना की जाए। 1894 के अधिग्रहण अधिनियम के तहत की गई तमाम कार्रवाइयों पर रोक लगाते हुए सुप्रीमकोर्ट ने केवल इतनी राहत आवास विकास परिषद के दी है कि यदि किसानों की सहमति हो तो भूमि अधिग्रहण 2913 के तहत नए सिरे से अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
यह है पूरा मामला
जाग्रति विहार सैक्टर-11 एक्सटेंशन के लिए 8 जून 2002 को अधिसूचना जारी की गई। 13 अगस्त 2007 को गांव काजीपुर व घोसीपुर में भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई। सरकार ने अफसरों के माध्यम से भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 में अति आवश्यक धारा-17, जिसमें किसान को 80 फीसदी से कम मुआवजा तत्काल देकर जमीन का अधिग्रहण का प्रावधान है, जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू कर दी। कुछ किसानों का आरोप है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 में अति आवश्यक धारा-17 जमीन तो अधिग्रहण कर ली गई लेकिन 80 फीसदी से कम मुआवजा देने की अनिवार्यता के नियम का पालन करना आवास विकास के अफसर भूल गए। इस बीच जाग्रति विहार एक्सटेंशन योजना भी ठंडेÞ बस्ते में पड़ी रही। आवास विकास परिषद के अफसरों की एकाएक तंद्रा भंग हुई और इसी साल फरवरी माह में उन्होंने इस योजना के तहत प्रभावित किसानों को नोटिस तामील करा दिए। आवास विकास के नोटिस के खिलाफ एक किसान मनवीर सिंह हाईकोर्ट चले गए लेकिन हाईकोर्ट से उनकी याचिका खारिज कर दी गयी। इसके बाद मनवीर सिंह की याचिका पर सीनियर एडवोकेट जितेन्द्र मोहन शर्मा ने सुप्रीमकोर्ट ने एसएलपी दायर की। एडवोकेट जितेन्द्र मोहन के सहयोगी एडवोकेट अक्षत शर्मा ने बताया कि एसएलपी की सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 में अति आवश्यक धारा-17 किए गए अधिग्रहण की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए आदेशित किया कि जिन किसानों ने मुआवजा नहीं उठाया है और जमीन पर काविज हैं उनके साथ किसी प्रकार की जोरजबरदस्ती ना की जाए। साथ ही इतनी राहत का रास्ता भी खोल दिया कि यदि सरकार जाए तो भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2019 के तहत नए सिरे से अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
अफसरों के गले की फांस बना है आदेश
एलएलपी पर सुनवाई के बाद सुप्रीमकोर्ट का आदेश जहां किसान मनवीर सिंह के लिए अच्छे दिन का संदेश लेकर आया है, वहीं दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि यदि सुप्रीमकोर्ट के आदेश के अनुसार आवास विकास परिषद के अफसर 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिग्रहण की कार्रवाई करते हैं तो भारी भरकम रकम का फटका तो लगेगा ही साथ ही इससे बड़ा खतर यह कि दूसरे किसान भी सुप्रीमकोर्ट के आदेश को आधार बनाकर आवास विकास परिषद के सामने पाला खींच सकते हैं।

@Back Home


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *