भू-माफियाओं पर शिकंजे की आहट

भू-माफियाओं पर शिकंजे की आहट
Share

भू-माफियाओं पर शिकंजे की आहट, मेरठ छावनी में सीईओ और डीईओ कार्यालय के कुछ उच्च पदस्थ अफसरों के संरक्षण के चलते अवैध निर्माण कर सेना की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले भूमाफियाओं पर रक्षा मंत्रालय का शिकंजा कसने जा रहा है। दरअसल मेरठ छावनी में भूमाफियाओं और कुछ भ्रष्ट अफसरों की सांठगांठ की लंबी फेरिस्तों की ताबड़तोड़ शिकायतों की लंबी फेरिस्त तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति,  प्रधानमंत्री कार्यालय व आवास के अलावा रक्षा मंत्री, रक्षा सचिव व पीडी मध्य कमान काे भेजी गयी हैं, जिन रिपोर्ट पर मेरठ स्थित सीईओ व डीईओ कार्यालय से रिपोर्ट तलब की गयी हैं।

लीज एक्सपायर-हो गया कब्जा लैटर-महामहिम राष्ट्रपति

भूमाफियाओं के नापाक गठजोड़ पर होगा प्रहार

मेरठ छावनी में भारत सरकार की संपत्ति खुर्दबुर्द करने वाले भूमाफियाओं और उनके मददगार बने सीईओ कार्यालय व डीईओ कार्यालय के कुछ उच्च पदस्थ अफसरों के नापाक गठजोड़ पर मंत्रालय बड़ा प्रहार करेगा। इसके पीछे मुख्य वजह साक्ष्य के साथ अवैध निर्माणों व कब्जों को लेकर भेजी गयी शिकायतें हैं। इन शिकायतों में कहा गया है कि मेरठ छावनी में किस प्रकार से कुछ अफसर भूमाफियाओं के अवैध निर्माणों को बजाए ध्वस्त करने के कार्रवाई के नाम पर इस प्रकार के कृत्य कर रहे हैं जिनसे भूमाफियाओं के अवैध निर्माण व भूमाफिया दोनों ही बचे रहें।

कार्रवाई के नाम पर ऐसे होता है खेल

मेरठ छावनी में अवैध निर्माणों व उनको कराने वाले भूमाफियाें को बचाने के नाम पर अफसरों के खेल निराले हैं। भूमाफिया जब तक अपना अवैध निर्माण पूरा नहीं करा लेते हैं तब तक कैंट प्रशासन खासतौर से छावनी परिषद सीईओ कार्यालय उसका संज्ञान लेने के नाम पर दो कदम आगे चार कदम पीछे नजर आता है। जब निर्माण पूरा हो जाता है तो नोटिस की कार्रवाई की जाती है। कार्रवाई के नाम पर सीईओ कार्यालय केवल इतनी कार्रवाई करता है जिससे यदि मंत्रालय स्तर से कोई जांच आए तो अपनी गर्दन फंसने बची रहे और अवैध निर्माण भी बचा रहे। दरअसल जो खेल होता है उसमें अवैध निर्माण पूरा होने के बाद नोटिस दिया जाता है। सीईओ कार्यालय की ओर से जारी किए गए नोटिस के विरूद्ध भूमाफिया अदालत से स्टे ले जाते हैं। जब स्टे आ जाता है उसकी पैरवी के नाम पर केवल इतनी लचर प्रक्रिया अपनायी जाती है जिससे भूमाफिया को अदालत  में भी लाभ मिलता रहे।

सील लगाने के नाम पर भी हैं बदनाम

मेरठ कैंट बोर्ड के अफसरों की यदि बात की जाए तो सील लगाने और सील लगाए जाने के बाद अवैध निर्माण न होने देने के मामले में ये खासे बदनाम है। इसका ताजा उदाहरण आबूलेन  स्थित ओल्ड ग्रांट का बंगला नंबर-182 जय प्लाजा है। जिसमें कुछ समय पहले अवैध निर्माण शुरू किया गया था। अवैध निर्माण का संज्ञान स्वयं बोर्ड में कमांडर/बोर्ड अध्यक्ष ने लिया था। बोर्ड अध्यक्ष ने सीईओ को अवैध निर्माण पर रोक लगाने की हिदायत दी थी। उसके बाद वहां सील लगा दी गयी और अध्यक्ष के आदेश के अनुपाल में अवैध निर्माण रोकने बजाए अवैध निर्माण को पूरा करा दिया गया। जब वहां शटर लग गए और रंगाई पुताई भी करा ली गयी। उसके बाद कैंट बोर्ड का दस्ता वहां सील लगाने पहुंच गया।  ऐसे कई अन्य भी मामले हैं जहां सील लगाने के बाद अवैध निर्माण पर नजर रखने के बजाए उसको पूरा करा दिए जाने का काम कैंट बोर्ड के अफसरों ने किया। सबसे बड़ा व शर्मानाक उदाहरण बाउंड्री रोड  स्थित होटल 22-बी है। हाईकोर्ट के आदेशों में फाइलों में बंगला-22-बी सील था, लेकिन इसके बाद भी वहां भव्य होटल बना दिया गया। कैंट प्रशासन की सबसे बड़ी हैरानी भरी कारगुजारी जब देखने को मिली थी जब विगत दिनों मंत्रालय के निर्देश पर डायरेक्टर मध्य कमान डा. डीएन यादव अवैध निर्माणों की जांच मेरठ आए थे। उसी के आसपास भारी भरकम अमला ले जाकर कैंट बोर्ड के अफसरों ने होटल 22-बी को सील किया था। लेकिन चंद मिनटों बाद सील तोड़ दी गयी। होना तो यह चाहिए था कि इस हिमाकत के बाद कैंट बोर्ड के अफसर सील तोड़ने के अपराध पर सीधे ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करते, लेकिन आरोप है कि सेटिंग गेटिंग के खेल के चलते होटल 22-बी हो या फिर आबूलेन को बंगला नंबर-182 में बनाए गए अवैध जय प्लाजा में बनायी गयी दुकाने या फिर सरकुलर रोड स्थित व्हाई हाउस जो आल्ड ग्रांट के बंगला नंबर 276 अथवा वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला 210-ए में अवैध रूप से बनाए गए सात फ्लैट व धन शाकुंतलम कोठी व रजबन स्थित पंजाबी तडका जिसका नाम अब गोल्डन स्पून कर दिया गया है, इस सभी अवैध निर्माण के मामलों में सीईओ कैँट कार्यालय की भूमिका संदेह से परे नही हैं। जानकारों की मानें तो ऐसे तमाम मामलों की शिकायतों का संज्ञान लेकर मंत्रालय के स्तर से सीधी कार्रवाई संभव है।

@Back Home

 


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *