ऋषभ घोटाला-जांच या फाउल गेम, आरोप की यदि बात की जाए तो गड़बड़ी बीस करोड़ की बतायी जा रही है, लेकिन सीए संजय जैन की तहरीर पर एसएसपी के आदेश पर जो जांच पुलिस ने की, उसमें प्रथम दृष्टया लगभग 60 करोड़ क गवन का मामला पकड़ में आया। यह जांच तत्कालीन सीओ सदर एएसपी सूरज राय की देखरेख में हुई। तत्कालीन एएसपी के समक्ष मामले के मुख्य आरोपी रंजीत जैन ने दो अन्य सह आरोपियों मृदुल व सुनीज जैन के नाम भी बताए थे। एएसपी ने जांच अधिकारी को शिकायतकर्ता सीए संजय जैन के मजीद बयान दर्ज करने के आदेश दिए। लेकिन एक आईपीएस अधिकारी के निर्देश के बाद भी जांच अधिकारी के स्तर से खेल हो जाना वाकई सवाल तो खड़े करता है। खेल ऐसे कि जिनको जेल भेजे गए मुख्य आरोपी रंजीत जैन ने सह आरोपी बताया, उनके नाम निकालने की कवायद।ऋषभ के बच्चों की फीस की रकम में इतनी भारी भरकम रकम के गवन में सह अराेपी बनना और नाम निकाल दिया जाना खेल नहीं तो और क्या। बकौल शिकायतकर्ता एएसपी के मजीद बयान के आदेश के बाद भी उनके बयान तक जांच अधिकारी ने नहीं लिए। शिकायतकर्ता का यहां तक कहना है कि जिन्हें रंजीत जैन ने अपने इकबालिया बयान में सह आरोपी बनाया, उन्हें रिलीफ के लिए उनका बयान भी खुद ही तैयार कर लिया। उन्हें यह भी आशंका है कि मुख्य आरोपी का बयान भी उन्हीं की तर्ज पर गवन के सह आरोपियों को बचाने के लिए दर्ज किया गया है। इसी आशंका के चलते शिकायकतर्ता ने कोर्ट की शरण ली है। दरअसल कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए वर्तमान जांच अधिकारी को तलब किया था, लेकिन उन्होंने बजाए पेश होने के स्टेटस रिपोट भेज दी। लेकिन इस खेल के खिलाड़ियों पर ऋषभ गवन घोटाले के आरोपी भारी पड़ गए। खेल की आशंका के मददे नजर उन्होंने पहले ही अदालत में अर्जी दाखिल जांच को लेकर तमाम आशंका जताते हुए कोर्ट को पहले ही अवगत करा दिया। पुलिस के लिए यह जांच के नाम पर फाउल साबित हो सकता है। मामले की सही जानकारी के लिए अनेक बार थाना सदर बाजार के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर क्राइम से संपर्क किया, लेकिन मोबाइल आउट आफ रेंज जाता रहा।