ऋषभ: जांच में अटकी है सांस, मेरठ छावनी मदिर मार्ग स्थित ऋषभ एकाडेमी के प्रधानाचार्य मुकेश कुमार की शैक्षणिक योग्यता को लेकर एडिशनल कमिश्नर के आदेश पर डीआईओएस को सौंपी गई जांच में प्रधानाचार्य ही नहीं मैनेजमेंट की भी सांस अटकी है।
जानकारों की मानें तो जांच की भनक के बाद प्रधानाचार्य जिम्मेदारी छोड़ने की जिद्द पकड़े हैं, इसी के चलते वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर उप प्रधानाचार्य की नियुक्ति की गई है। उप प्रधानाचार्य के अलावा कुछ टीचरों व स्टाफ की भी नियुक्ति की गई है, जिसके चलते ऋषभ के संस्थापक सदस्य शरद जैन ने अदालत की अवमानना का वाद भी दायर किया है। उन्होंने जानकारी दी कि अप्रैल 2022 के आदेश में अदालत ने केवल बैंक की मार्फत फीस जमा करने व स्टाफ की चेक से सेलरी बांटने भर की अनुमति दी है, साथ ही नीतिगत फैसलों पर रोक लगाई है। अवमानना करते हुए सेलरी भी ऑन लाइन बांटी जा रही है। लेकिन फिलहाल मुद्दा यह नहीं है। मुख्य मुद्दा प्रधानाचार्य जो स्वघोषित हैं, उनकी शैक्षणिक योग्यता की पड़ताल का है। बकौल शरद जैन सीबीएसई बोर्ड की बेबसाइट पर प्रधानाचार्य एक जगह अपनी शैक्षणिक योग्यता बीएससी, बीएड, एमफिल एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपीरियंस व टीचिंग 13-13 साल दर्शा रहे हैं, बेवसाइट पर ही उनकी काबलियत एमए इंग्लिश बीएड, एडमिनिस्ट्रेटिव एस्पीरियंस 14 साल व टीचिंग एक्सपीरियंस तेरह साल बतायी जा रही है। बेबसाइट पर अन्य स्थान पर एमए-बीएड, एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपीरियंस दो साल व टीचिंग चौदह साल दर्शायी जा रही है। आधार कार्ड में जन्मतिथि 13 जनवरी 1976 है। सीसीएसयू से 1995 में बीकॉम, 2013 में एमए इंग्लिश व 2020 में बीएड। नियम कहता है की बतौर शिक्षक बीएड के बाद ही नौकरी संभव है, यह सही है तो फिर 2020 में बीएड किया तो टीचिंग व एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपीरियंस चौहद व तेरह साल का कैसे और कहां से हासिल कर लिया। संस्थापक सदस्य की शिकायत पर इन्हीं बिंदुओं की जांच डीआईओएस को भेजी है। या यूं कहें कि सीबीएसई की बेबसाइट झूठी है या फिर उस पर अपलोड जानकारी इन्हीं सब बातों की जांच के आदेश ऋषभ के संस्थापक सदस्य शरद जैन की शिकायत पर एडिशनल कमिश्ननर ने दिए हैं। संस्थापक सदस्य का यहां तक कहना है कि स्वघोषित प्रधानाचार्य की मौजूदगी में बच्चे की फीस को लेकर जा कुछ चल रहा है, उसमें भी बड़े घपले की बू आ रही है। यदि कुछ गलत है तो उसके लिए प्रधानाचार्य निजी तौर पर जिम्मेदार हैं। इसको लेकर तमाम साक्ष्य उनके पास मौजूद हैं, जो जांच अधिकारी को सौंपे जाएंगे। इस संबंध में कई बार प्रयास के बाद भी मुकेश कुमार से उनका पक्ष जानने को संपर्क संभव नहीं हो सका।