सावधान! तेजी से फैल रहा है टीबी रोग

सावधान! तेजी से फैल रहा है टीबी रोग
Share

सावधान! तेजी से फैल रहा है टीबी रोग, मेरठ: तपेदिक यानि टीबी जैसी बीमारी को लेकर गंभीरता बरतें. तिल-तिल करने को मजबूर करने वाला यह रोग एक बार फिर से सिर उठा रहा है। बीते साल यानि 2023 में इस रोग के ढाई करोड़ मामले दर्ज हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले साल तपेदिक (टीबी) के लगभग 25,50,000 (2.55 मिलियन) मामले दर्ज किए, जो 60 के दशक में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है,  पिछले साल देशभर में 24.2 लाख मामले दर्ज हुए थे. 2023 में दर्ज किए सभी टीबी मामलों में लगभग 32% मामले निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से आईं। 25,50,000 मामलों में से 0.84 लाख निजी क्षेत्र से थीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17% की वृद्धि है। 2014 की तुलना में निजी क्षेत्र से आने वाले में तेजी से बढ़ोतरी हुई है- 2013 में 38,596 मामले दर्ज किए गए थे. कुल मिलाकर पिछले नौ वर्षों में टीबी मामलों में 64% वृद्धि हुई है। वार्षिक आधार पर टीबी के कुल मामलों में सर्वाधिक मरीज उत्तर प्रदेश से दर्ज हुए. यहां पिछले वर्ष की तुलना में 21% उछाल देखा गया, उसके बाद बिहार में 15% वृद्धि देखी गई।

केंद्र ने टीबी उन्मूलन के लिए साल 2025 का लक्ष्य रखा है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. एमके बंसल का कहना है कि   ‘प्रारंभिक चरणों में रोगियों की संख्या में वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि इसका मतलब है कि रोगियों की पहचान की जा रही है और उन्हें उपचार दिया जा रहा है, जो ट्रांसमिशन चक्र को तोड़ने में मदद करेगा. टीबी एक संक्रामक रोग है, इसलिए रोग को फैलने से रोकने के लिए संक्रमण चक्र को तोड़ना महत्वपूर्ण है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रकाशित वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में टीबी की घटना दर 2015 में 237 प्रति 100,000 जनसंख्या से 16% घटकर 2022 में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 199 हो गई है। इसी अवधि के दौरान टीबी से मृत्यु दर 2015 में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 28 से 18% घटकर 23 हो गई है।  आईएमए मेरठ के पूर्व सचिव डा. अनिल नाैसरान का कहना है कि , ‘टीबी-मुक्त भारत कार्यक्रम अच्छी तरह से काम कर रहा है और इसने अनिवार्य रूप से टीबी को सार्वजनिक चर्चा में लाया है, इस बीमारी के प्रति समग्र जागरूकता पैदा की है. कार्यक्रम में सभी सही सामग्रियां हैं और हम वहां पहुंच रहे हैं.’ बताया गया है कि सरकारी कार्यक्रम के तहत टीबी रोगियों के वित्तीय बोझ को कम करने के लिए देश में सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर रोगियों को मुफ्त जांच, मुफ्त इलाज, टेस्ट और मुफ्त दवाएं दी जाती हैं।  इसके अलावा केंद्र निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोग का इलाज करा रहे लोगों को पोषण के लिए वित्तीय सहायता भी देता है।  एलएलआरएम मेडिकल के प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता कहना है कि सावधानी, स्वच्छता व नियमित उपचार ही एक मात्र उपाय है। इलाज बीच में नहीं छोड़ा जाना चाहिए। सरकारी की ओर से तमाम मदद दी जा रही हैं।

@Back Home


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *