श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारम्भ, अष्टाह्निका महापर्व के पावन अवसर पर आज 6 जुलाई दिन बुधवार से मेरठ के श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर दुर्गाबाड़ी सदर में अतिशयकारी श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारम्भ हुआ।
जैन समाज का यह पावन कार्यक्रम परंपरागत श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सदर जैन समाज में इसको लेकर खासी श्रद्धा उत्साह व उल्लास का वातावरण है। उत्सव सरीखा माहौल है। इस मौके पर बुधवार को सर्वप्रथम विधान के आयोजनकर्ता मनीश जैन एवं विधान कार्यक्रम के संयोजक विनोद जैन द्वारा भगवान का अभिषेक व शांतिधारा हुई। आज 22वे तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का मोक्ष कल्याणक निर्वाण लड्डू समर्पित किया गया। इसके पश्चात मांडले की स्थापना कर उस पर पंचमेरू, अष्ट प्रातिहार्य और अखंड ज्योत की स्थापना हुई। इसके पश्चात देव शास्त्र गुरु की पूजा व श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान की पूजा हुई और मांडले पर अर्घ चढाए। इस अतिशय कारी विधान में लगभग 120 पुरुषों व महिलाओं ने बडे ही भक्ति भाव से स्वीटी के सानिध्य में सभी धार्मिक क्रियाओं को संपूर्ण किया। यह विधान लगातार 8 दिनों तक चलेगा जिसमें क्रमशः प्रथम दिन 8 तत्पश्चात दुगुने होते हुए समापन वाले दिन 1024 अर्घ चढाए जाएंगे। श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर दुर्गाबाड़ी सदर में आयोजित इस धार्मिक आयोजन की अद्भुत छटा देखते ही बनताी थी। इसमें शामिल होने के लिए भक्ति भावना लिए जैन समाज से श्रद्धालुजन जिसमें महिला पुरूष सभी शामिल रहे वो पहुंचे थे। पूरे विधि विधान से जैन पंथ या कहें समाज की यह पूजा अर्चना जिसे अतिशयकारी श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान भी कहतें हैं, का आयोजन किया गया। इस धर्म कार्य में जैन समाज के सामाजिक कामों में अग्रणी रहने वाले सीए डा. संजय जैन ने सभी के लिए उपहारों आदि की भी व्यवस्था अपनी ओर से की। उन्होंने बताया कि यह जैन समाज का बहुत ही पवित्र आयोजन होता है। इसमें किस प्रकार से आयोजन के दौरान मंदिर में व्यवस्था रहती है किस प्रकार से पूजा विधान किया जाता है जिसको जैन समाज अतिशयकारी श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान कहता है उसकी जानकारी दी।