सीता कहती राम से देखो मृग अनमोल

सीता कहती राम से देखो मृग अनमोल
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सीता कहती राम से देखो मृग अनमोल, मेरठ। श्रीराम भवन लालकुर्ती में राष्ट्रीय काव्य संग्रह मंच एवं अराध्या प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में एक शाम वरिष्ठ कवयित्री नीलम मिश्रा तरंग के नाम एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया।
दीप प्रज्वलित ईश्वर चंद्र गंभीर, सुदेश यादव दिव्य, लता बंसल, सुमनेश सुमन, सुरेश छाबड़ा, हरशरण गोयल, अनिरूद्ध गोयल ने संयुक्त रूप से किया।
संस्था द्धारा नीलम मिश्रा तरंग का सम्मान शॉल ओढाकर किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ डा. सुदेश दिव्य की माँ सरस्वती की वंदना से हुआ उन्होंने कुछ इस प्रकार मां शारदे की वंदना की—
दिया है मैया ने ज्ञान इतना, हरेक प्रतिभा दिखा रहा है।
नीलम मिश्रा ने हर विधा में कविता पाठ कुछ इस प्रकार किया—भक्ति रस
सीता कहती राम से देखो मृग अनमोल।
स्वर्ण जैसी खाल है नैना अदभुत गोल।
देशभक्ति
मेरे देश की धरती पर जो भी आंख उठायेगा
भारत माता कसम तुम्हारी मिटटी में मिल जायेगा।
सुनाकर खूब तालियां बटोरी। उन्होंने आगे कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए महिलाओं को लिए कहा—
कभी श्रृंगार लिखती हूं कभी सपने सजाती हूं।
मधुर सुची भाव ही सुंदर सदा उर मैं जगाती हूं।
असीमित वेदना मन में मुझे ठगते भला अपने,
बिछाकर स्वार्थ की चादर भरोसे को छला सबने।
माँ के लिए कहा—
अपनी बाहों में समेट लेगी ऐसी कायनात,
अपने बच्चों के लिए ऐसी बाहें फैलाती है माँ।
जिंदगी के सफर में गर्दिशों की धूप में,
जब कोई दिखाई नहीं देता तब दिखाई देती है माँ। उन्होंने अपने गीत में कुछ इस प्रकार कहा—
चांदनी में डूब कर क़लम रात भर, गीत तुम पर लिखे ए सनम रात भर।
प्रेम बिरहन बनी कसमसाती रही, आंसुओं से रही आंख नम रात भर। सुनकार खूब तालियां बटोरी।

उन्होंने अपनी गजल को कुछ इस अंदाज में कहा—
आज तक हमने संभाली हैं तुम्हारी चिट्ठियां,
दिल के कमरे में छुपा ली हैं तुम्हारी चिट्ठियां।
दिल हुआ बेचैन जब जब याद तुम आये सनम
हमने चुपके से निकाली हैं तुम्हारी चिट्ठियां।
हास्य में पति द्वारा पत्नी की तारीफ कुछ इस प्रकार की—
तुम मोमनदार कचोड़ी हो,
मैं घासलेट का लड़ुआ
तुम रस की भरी इमरती हो,
मैं सूखा सा रसगुल्ला।
एक बूंद ही रस टपकाये देओ,
मेरे सोए भाग जगाये देओ।
साहित्य की सभी विधाओं में लिखने वाली नीलम मिश्रा तरंग ने
प्रेम का संदेश देते हुए कहा—
नफरत बुरी है, ना पालो इसे।
दिलों में खालिश है निकालो इसे।
ना मेरा है ना तेरा, ना इसका है ना उसका
ये सभी का देश है, संभालों इसे।
भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के महानगर संयोजक कवि मनमोहन भल्ला ने कवियत्री नीलम मिश्रा तरंग को उनके साहित्यिक व काव्यात्मक योगदान के लिए साधुवाद दिया ।
कार्यक्रम में रेखा गिरीश, अरुणा पवार, रचना वानिया, राज रानी, वीना मंगल, नंदिनी रस्तोगी, मुक्ता शर्मा, रामवतार त्यागी, संजीव त्यागी, रामअवतार त्यागी, मंगल सिंह मंगल आदि का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. ईश्वर चंद गंभीर ने की व मंच संचालन डा. सुदेश याद दिव्य ने किया।
रेखा गिरीश जी महा सचिव ने सभी का आभार व्यक्त किया।

इस सराहनीय आयोजन में मेरठ की वरिष्ठ कवि एवं कवियत्री या उपस्थित रहे श्रीमती राम कुमारी जी श्रीमती उषा भिडवारिया जी श्रीमती क्षमा गुप्ता जी श्रीमती अलका गुप्ता जी श्रीमती चित्रा त्यागी जी श्रीमती रीना मित्तल श्रीमती चित्रा मित्तल श्रीमती चुन्नी रस्तोगी जी श्रीमती मोहिनी श्रीआदेश शिखर श्री संजय जैन श्री जीशान कुरैशी उपस्थित रहे।

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