सपाई इतने खुश क्याें हैं भाई!, नगर निगम मेरठ महापौर के चुनाव पर अभी पूरी तरह से रंग चढ़ा भी नहीं है और सपाइयों की यदि बात की जाए तो ऐसा लगता है कि उन्होंने चुनाव जीत लिया हो। उनकी बॉडी लैग्वेज और बातचीत का स्टाइल ही बदल गया। सपा एक एक कदावर नेता से जब चुनावी तैयारियों को लेकर सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि भाजपा के रहते उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। प्रत्याशी को लेकर जो कुछ भाजपा में चल रहा है उसके बाद सपा का संगठन जीत के लिए पूरी तरह से आश्वस्त है। अभी तो भाजपा ने प्रत्याशी के नाम का एलान भी नहीं किया है, जब यह बताया गया तो सपा के इस नेता का उत्तर वाकई बेहद चौंकाने वाला था। भाजपा के कुछ नेताओं से अपने कनेक्शन का हवाला देते हुए इस नेता ने बताया कि यह तो वह भी नहीं जानते कि मेरठ से आला कमान को जाे तीन नाम भेजे गए हैं, उसके पीछे क्या कारण हो सकता है। यह तो भाजपाई ही जाने लेकिन सपा तो यही चाहती है कि जो तीन नाम भेजे गए हैं उनमें से भी जो नाम पहले नंबर पर है, वहीं घोषित कर दिया जाए। ऐसी स्थिति में चुनाव में मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। वहीं दूसरी ओर सपाइयों में जश्न के माहौल के इतर अब यदि भाजपाइयों की बात कर ली जाए तो छूट गए तमाम दावेदार नाम का एलान होने तक हार मानने को तैयार नहीं। अपने आकाओं को लेकर दावेदार नई दिल्ली व लखनऊ की परिक्रमा कर रहे हैं। टिकट के लिए साथ ले जाए गए पैरोकारों को महंगे होटलों में ठहराया जा रहा है। उनका पूरा खर्च लग्जरी स्टाइल में उठा रहे हैं। इसके अलावा सभी अपना-अपना गणित आला कमान को समझाने में लगे हैं। एक पूर्व मेयर के नाम पर आपत्ति करने वालों का तर्क है कि वह जाति कलाल है पंजाबी नहीं। जाट प्रत्याशी की पैरवी करने वालों का तर्क है कि जाट उतारकर जाट प्लस अन्य से सपा प्रत्याशी की साइकिल पंचर की जा सकती है। वहीं दूसरी ओर सपा की सीमा से निपटने के लिए पंजाबी प्लास जाट की थ्योरी की भी कम पैरवी नहीं। कुछ का कहना है कि गुर्जर को केवल गुर्जर से मात दी जा सकती है। माना जा रहा है कि यह सब तब तक चलेगा जब तक उत्तर प्रदेश भाजपा की ओर से प्रत्याशियों की अधिकृत सूची नहीं जारी कर दी जाती।