तो इस बार अगड़ों की बलि

डूबी जब दिल की नैया सामने थे किनारे
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तो इस बार अगड़ों की बलि, सूत्रों की मानें तो जो हालात नजर आ रहे हैं उनसे लगता है कि इस बार नगर निगम चुनाव में भगवा खेमा अगड़ों की बलि लेने पर उतारू है। यदि यह सच है तो संगठन के एक बड़े वर्ग में खासी बेचैनी होनी लाजमी है।  साथ ही यह भी कि इसका साइड इफैक्ट भी चुनाव  खासतौर से महापौर के चुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा है। परिसिमन व आरक्षण की  स्थिति साफ होने  के बावजूद मेरठ नगर निगम के जो वार्ड ओबीसी और एससी के लिए रिजर्व हैं उन पर तय आरक्षण के अनुसार प्रत्याशी उतारने की बात समझ में आती है, लेकिन जो वार्ड सामान्य मसलन अगड़ों के लिए छोड़े गए हैं, इस बार ऐसे वार्ड में भी रिजर्व कोटे में शुमार होने वालों को उतारा जा रहा है, ऐसी चर्चा संगठन में आम है और यह नाराजगी का कारण सकती है।  मेरठ जनपद की कैंट विधानसभा क्षेत्र जो संगठन अब तक अगड़ों के बूते पर ही फहत करता आया है,  में 29 वार्ड आते हैं। इनमें से मात्र छह वार्ड ही सामान्य वर्ग में आते हैं बाकि वार्ड आरक्षित हैं। आरक्षित पर संबंधित जाति/वर्ग के प्रत्याशी उतारे जाने अनिवार्य है, लेकिन जो सामान्य जाति व वर्ग  के लिए आरक्षित हैं उनमें वार्ड  भी यदि किसी वार्ड में ओबीसी या एससी को उतारा दिया जाता है तो फिर संगठन में  अगड़ों का भी लाजमी होगा। पूछा जा रहा है कि भाजपा पर अगड़ों की पार्टी का ठप्पा है, लेकिन अगड़ों का क्या भविष्य है। या फिर मान लिया जाए कि धीरे-धीरे अगड़ों को हाशिये पर पहुंचा दिया जाएगा। पुराने भाजपाइयों में इसको लेकर खासी बेचैनी देखी जा रही है। उनका कहना है कि लगता है कि जिनके बूते मसलन अगड़ों के  बूते  पर भगवा परचम फहरता रहा है, उनकी अब जरूरत नहीं रह गयी है। शायद इसी लिए कैंट विधानसभा के छह में से कुछ वार्ड पर आरक्षित कोटे वालों को इस बार आजमाए जाने की खबरें छन-छन कर आ रही हैं। हालांकि अभी प्रत्याशियों की अधिकृत सूची आनी बाकि है,  इसलिए एकदम किसी नतीजे पर भी पहुंचना जल्दबाजी होगी, लेकिन अगड़ों में जो लोग अरसे से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, माना जा रहा है कि उन्हें संगठन में अपने  कुछ कनेक्शन से प्रत्याशियों की सूची को लेकर संभवत: कुछ  भनक लगी है। जिसके चलते अगड़ों की जरूरत न रहने तथा ओबीसी व एसी पहली पसंद होने की चर्चा संगठन के एक वर्ग में बेचैनी का सवब जान पड़ती है। यदि सामान्य के लिए छोड़े वार्ड में से  भी कोई वार्ड अगड़ों से छीन लिया जाता है तो इसके साइड इफैक्ट क्या हो सकते हैं यह आसानी से समझा जा सकता है, यह बात अलग है कि कोई जानबूझ कर समझना ही ना चाहे।

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