स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर भारी LLRM, उत्तर प्रदेश की बाबा योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के किसी भी मरीज को सरकारी अस्पताल व मेडिकल के डाक्टरों द्वारा बाजार की दवाएं न लिखने व सभी दवाएं सरकारी अस्पताल व मेडिकल से दिलाए जाने के आदेश पर मेरठ का एलएलआरएम मेडिकल का सिस्टम भारी पड़ रहा है। हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि मेडिकल में किस मजबूरी या वजह से मरीजों को बाजार से दवाएं लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है। मरीजों को सरकार की ओर से दवाओं के मामले में एलएलआरएम की रेपुटेशन शुरू से ही कोई बहुत अच्छी नहीं रही है। आए दिन इस प्रकार की शिकायतें मिलती रहती है कि ओपीडी में बैठने वाले डाक्टर जो दवाएं पर्चे लिख रहे हैं, मेडिकल के दवा काउंटर से उसमें से कुछ ही या कहें कई बार तो आधे से भी कम दवाएं मिलती हैं। सरकार भले ही मरीजो को मेडिकल व सरकारी अस्पताल में फ्री दवा के दावे करती रहे और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री लगातार सरकारी डाक्टरों को बाजार की दवाएं न लिखने की चेतावनी देते रहें, लेकिन हकीकत यह है कि सत्तर फीसदी तक दवाएं बाजार से ही लेनी पड़ती हैं। आम मरीज की तो बात ही छोड़ दीजिए मेडिकल के जो कर्मचारी हैं उनको भी दवा काउंटर से सारी दवाएं नहीं मिल पाती हैं, बाजार से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें मेडिकल के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को अपनी सारी दवाएं बाजार से ही खरीदनी पड़ीं। उसने दवा काउंटर पर बताया भी कि वह एलएलआरएम का पूर्व कर्मचारी है, लेकिन उसकी एक न चली और उसको अपने इलाज की सारी दवाएं बाजार से ही खरीदनी पड़ीं। इसके पीछे कुछ मेडिकल प्रशासन की मजबूरियां भी हैं। दरअसल दवाओं की आपूर्ति सरकार की ओर से की जाती है। जब शासन स्तर से ही दवाओं की आपूर्ति में कोताही बरती जाएगी तो फिर मरीजों का कहां से सभी दवाएं मिल सकेंगी। सिस्टम पहले सरकार को सुधारना होगा। वहीं मेडिकल प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता का कहना है कि कभी कभार ऐसे हेै वर्ना सभी दवाएं काउंटर पर उपलब्ध होती हैं।