नारी सम्मान और आदर का प्रतीक-मोनिका,
आज मेरठ महानगर के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अटल सभागार में विश्व हिंदू परिषद व्याख्यान माला आयोजन समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के दूसरे दिन,कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता मोनिका अरोड़ा वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट,कार्यक्रम अध्यक्ष अन्नू रानी ओलंपिक खिलाड़ी,अक्षय जैन महानगर अध्यक्ष विहिप एवं आयोजन समिति सरंक्षक,अमन सिंह प्रांत अध्यक्ष विहिप,प्रमोद जैन आयोजन समिति अध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
मुख्य वक्ता मोनिका अरोड़ा ने हिंदू नारी के समक्ष समस्याए,चुनौतियां और समाधान पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा भारत में नारी को आदिकाल से ही शक्ति के रूप में पूजा जाता है,भारत के अतिरिक्त विश्व की किसी भी संस्कृति में नारी को वो स्थान प्राप्त नहीं है जो भारत में प्राप्त है।
मोनिका अरोड़ा ने कहा नारी सम्मान और आदर का प्रतीक है भारतीय संस्कृति में नारी को सदैव सम्मान और आदर का स्थान दिया गया है। हमारी पौराणिक कथाओं, लोककथाओं और परंपराओं में नारी को शक्ति, धैर्य, करुणा और सृजन का प्रतीक माना गया है। वह न केवल परिवार की धुरी है, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति में भी उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।नारी के बिना जीवन की कल्पना असंभव है।भारत में ही एक सावित्री अपने पति के प्राण बचाने के लिए यमराज से भी लड़ जाती है,कहीं पर देवी भारती मंडन मिश्र और शंकराचार्य के बीच में महिला जज बनकर शास्त्रों का ज्ञान बताती है।मीरा बाई कृष्ण के रंग में ऐसी रंगी की विष का प्याला पीकर भी जीवित रही ।
नारी केवल परिवार की देखभाल करने वाली नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाली शक्ति भी है। वह एक बेटी, बहन, पत्नी और माँ के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाती है। प्रत्येक भूमिका में वह अपने आप को पूरी तरह समर्पित कर देती है। उसका प्रेम, त्याग, और धैर्य समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
नारी भारतीय संस्कृति का आधार है ,उसके सम्मान के बिना किसी भी समाज की तरक्की नहीं हो सकती। यदि नारी को उचित स्थान नहीं दिया जाएगा, तो हम अपनी सांस्कृतिक जड़ों को खो देंगे।महिलाएँ जब आत्मनिर्भर और सशक्त होंगी, तो समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा।जिससे समाज में सामाजिक समानता का विकास होगा।महिलाएँ समाज के हर क्षेत्र में योगदान देने में सक्षम हैं, चाहे वह शिक्षा हो, विज्ञान हो, कला हो, या खेल।
देश में हर लड़की को शिक्षा का अधिकार मिले और उसे आत्मनिर्भर बनने के अवसर दिए जाएँ।नारी को भी समाज में समान अधिकार मिलने चाहिए। कार्यस्थल हो या घर, उसके विचारों और निर्णयों का सम्मान होना चाहिए।
समाज में लैंगिक भेदभाव नहीं महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए तभी वो स्वयं को सशक्त और सुरक्षित समझेगी।
क्योंकि नारी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि सृजन, त्याग और प्रेरणा की शक्ति है। उसकी गरिमा का सम्मान करना हमारी संस्कृति और मानवता का प्रतीक है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर नारी को सम्मान, स्वतंत्रता और अपने सपनों को पूरा करने का अवसर मिले। नारी का सम्मान और आदर हमारे जीवन में संतुलन, प्रेम और शांति का संचार करता है।
मंच का संचालन विचित्रा कौशिक द्वारा किया गया,धन्यवाद स्मिता दीक्षित अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में क्षेत्र संगठन मंत्री सोहन सोलंकी,प्रांत मंत्री राजकुमार डूंगर,अमित जिंदल,निमेष वशिष्ठ,अनूप,अवनीत बंसल एवं तेजपाल तोमर आदि उपस्थित रहे।