ताहिल रमानी पर कोई मामला नहीं, नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि साल 2019 में मद्रास उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वीके ताहिलरमानी के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मिले संदर्भ में किसी भी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया था और ‘ इसलिए कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया.’ जस्टिस ताहिलरमानी के खिलाफ सीबीआई जांच की स्थिति पर डीएमके सांसद एकेपी चिनराज के एक प्रश्न का जवाब देते हुए केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा को बताया, ‘सीबीआई को 26.09.2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव से एक संदर्भ प्राप्त हुआ था. इसका सत्यापन करने पर सीबीआई ने पाया कि इसमें किसी भी संज्ञेय अपराध होने के बारे में बताया नहीं गया था, तदनुसार, कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया.’ तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने ‘न्याय के बेहतर प्रशासन’ के लिए जस्टिस ताहिलरमानी को मद्रास से मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी. जस्टिस ताहिलरमानी ने पुनर्विचार का अनुरोध किया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया. कॉलेजियम के फैसले के सार्वजनिक होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. चेन्नई और उनके गृह राज्य महाराष्ट्र के कुछ स्थानों पर वकीलों ने कॉलेजियम के फैसले के खिलाफ विरोध भी जताया था. अगस्त 2018 में मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति से पहले जस्टिस ताहिलरमानी 2015 से तीन बार बॉम्बे हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रही थीं. बॉम्बे हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर काम करते हुए जस्टिस ताहिलरमानी ने मई, 2017 में बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में सभी 11 व्यक्तियों की दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था. शीर्ष अदालत ने इस मामले को गुजरात की अदालत से महाराष्ट्र स्थानांतरित किया था. इसके साथ ही उन्होंने महिला कैदियों को गर्भपात कराने का अधिकार देने जैसा महत्वपूर्ण फैसला दिया था. 2001 में बॉम्बे हाईकोर्ट की जज नियुक्त होने से पहले ताहिलरमानी महाराष्ट्र सरकार के लिए सरकारी वकील थीं.