पूरा सिस्टम कप्यूटराइजड मशीनों से बिलिंग फिर भी गड़बड़, मेरठ में पीवीवीएनएल का पूरा सिस्टम कंप्यूटराजड है। बिलिंग भी ऑन लाइन मशीनों से हो रही है। मीटर रीडिंग का सिस्टम भी ऑन लाइन है, उसके बाद भी उपभोक्ताओं पर अनाप-शनाप बिल की मार। बिजलीघर जाओ तो एक ही बात बिल सही कराना है तो पैसे देने होंगे वर्ना भुगता पूरा बिल, बाद में देखेंगे क्या करना है। ये तो हुई उन बिजली मीटरों की बात जो फिलहाल लगाए हुए है, लेकिन जब स्मार्ट मीटर लग जाएंगे और सारा सिस्टम आटोमैटिक होने का दावा जैसे कि अफसर कर रहे हैं, होगा उस दौरान जब इस प्रकार के बिल आएंगे तो बिजलीघर के कर्मचारी को पैसे देकर बिल ठीक कराने का रहा सहा ऑप्शन भी हाथ से जाता रहेगा। आनाप-शनाप बिलों का दर्द इक्का दुक्का नहीं, शहर व देहात के किसी भी बिजलीघर पर चले जाइए ऐसे एक-दो केस रोजाना मिल जाएगे। वहीं दूसरी ओर कहा जा रहा है कि सारे फसाद की वजह पीवीवीएनएल के बिलिंग स्टॉफ की लापरवाही है।ऊर्जा निगम के कर्मचारियों की यह लापरवाही उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है। प्रतिमाह 1279 रुपये आने वाले बिल को सितंबर में 40,084 का भेज दिया गया। दूसरे उपभोक्ता का दो महीने का बिल एक लाख से ऊपर का रहा। सरस्वती लोक निवासी रजनी का अकाउंट नंबर 4005140000 का माधवपुरम में घरेलू कनेक्शन है। जून-जुलाई का बिल 1279 रुपये था। पिछले माह ही उनके यहां दूसरा मीटर लगा है। सितंबर में उनका बिल 40,084 रुपये का बनाकर भेज दिया गया। उन्होंने अधिशासी अभियंता रोहित कन्नोजिया से शिकायत की है। गांधी आश्रम निवासी मनोज कुमार का 4445005556 अकाउंट नंबर का कनेक्शन है। इस बार उनका 1,08,603 का बिल बनाकर भेजा गया है। विभागीय कर्मचारियों की ओर से भी उनके मीटर की वीडियोग्राफी कराई गई है। इन समस्याओं को लेकर मुख्य अभियंता धीरज सिन्हा ने कहा कि रजनी बंसल का मीटर बंद पड़ गया था, जिस कारण नया मीटर लगाए जाने के बाद उनका बिल बना है। अन्य मामले में भी जांच कराई जा रही है। ऊर्जा निगम के कर्मचारियों की लापरवाही उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है। प्रतिमाह 1279 रुपये आने वाले बिल को सितंबर में 40,084 का भेज दिया गया। दूसरे उपभोक्ता का दो महीने का बिल एक लाख से ऊपर का रहा।