शाम ढलते ही आबाद हो जाते खड़ौली के अवैध बार

शाम ढलते ही आबाद हो जाते खड़ौली के अवैध बार
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शाम ढलते ही आबाद हो जाते खड़ौली के अवैध बार

मेरठ/एनएच-58 स्थित खड़ौली के अवैध मुस्लिम होटल के अवैध मयखाने कभी भी बवाल करा सकते हैं। ऐसा होने के पूरे आसार भी नजर आ रहे हैं और यदि ऐसा होता है तो उसके लिए मेरठ विकास प्राधिकरण, एनएचएआई व पुलिस के वो अफसर पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे जो मिलने वाले हफ्ते के लालच में यहां पैदा की जा मुसीबतों को लेकर पूरी तरह से मुंह मोडेÞ हुए हैं। इन होटलों की वजह से हाइवे पर अक्सर लगने वाले जाम में फंसकर परेशान होने वाले गाड़ियों से सफर करने वालों को जिनसे कोई सरोकार नहीं रह गया है। जाम की बात करें तो खड़ौली के अवैध मुस्लिम होटलों की वजह से तो यहां अक्सर लगता ही है, लेकिन आसपास के कुछ लोगों ने अपनी पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर जो जानकारी दी है वो बेहद गंभीर और डराने वाली है, जिसके चलते आशंक जतायी जा रही है अवैध मुस्लिम होटलों की वजह से यहां कभी भी फसाद हो सकता है। अप्रिय घटना हो सकती है।
शाम ढलते ही ओपन बार
कुछ लोगों ने जो खुद को आसपास का बता रहे थे उन्होंने जानकारी दी कि शाम ढलते ही खड़ौली के मुस्लिम होटलों के बाहर ओपन या कहें कार बार खुल जाते हैं। पीने पिलाने के इन शौकीनों को कहीं जाने जाने की जरूरत नहीं होती। यह भी बताया गया है कि यहां ओपन बार के शौकीन लग्जरी गाड़ियों या फिर ट्रकों से पहुंचते हैं। समीप ही सरकारी शराब का ठेका है। वहां मदिरा खरीदी जाती है और शराब हो और नॉनवेज ना हो ऐसा आमतौर पर कम ही होता है। शराब सरकारी ठेके से लायी जाती है और नॉनवेज के लिए खड़ौली के दो दर्जन से ज्यादा अवैध मुस्लिम होटल पहले से ही मौजूद हैं। तमाम गाड़ियों में यहां शाम ढले और देर रात तक ओपन बार आबाद रहते हैं। ना कोई कहने वाला ना कोई कार्रवाई करने वाला। आसपास के लोगों की शिकायत है कि कार्रवाई अफसर इसलिए नहीं करते क्योंकि यदि अवैध ओपन बार पर रोक लगायी या उनके खिलाफ संगठित होकर कार्रवाई की गयी तो जो हफ्ता वूसली की जा रही है वो बंद हो जाएगी।
मुस्लिम होटलों की कमाई में ऊछाल-अक्सर बवाल
खड़ौली के अवैध मुस्लिम होटलों के सामने जब से अवैध रूप से पिलने पिलाने मसलन ओपन बार की सहूलियत दी जाने लगी है तब ये इनकी कमाई में भारी उछाल आया है। लोगों ने जानकारी दी कि लेट नाईट यहां के ज्यादातर होटलों में पीने पिलाने वालों की आवाजाही लगी रहती है। भारी भीड़ देखी जा सकती है। इसके अलावा हाईवे से लंबी दूरी या कहें दूरदराज जाने वाले अक्सर इन्हीं मुस्लिम होटलों पर रुकते हैं। ज्यादातर पीने पिलाने के शौकीनों के पास लिकर गाड़ी में होता है रही लिकर के साथ नॉनवेज की तो उसकी उपलब्धता अवैध मुस्लिम होटलों पर सर्व सुलभ है। शाम चार बजे से तडके चार बजे तक गुलजार रहने वाले इन अवैध होटलों पर जब से अवैध ओपन बार की सुविधा दी जाने लगी है तब से यहां आए दिन बवाल भी होते रहते हैं। अपनी पहचान छिपाते हुए लोगों ने बताया कि शराब पीने पिलाने वालों में मारपीट और कई बार हथियार निकालने की घटनाएं हो चुकी हैं। जो हथियार निकले जाते हैं वो लाइसेंसी हैं या अवैध यह तो जांच का विषय हो सकता है, लेकिन ओपन बार की वजह से आए दिन हंगामे खूब होते हैं, जिसके कारण यहां अब शांति व्यवस्था के लिए खतरा पैदा होता जा रहा है। यहां फसाद का खतरा तब से ज्यादा बढ़ा है जब से अवैध मुस्लिम होटल संचालकों की ओर से उनके होटलों के सामने गाड़ियां लगाकर पीने की सहुलियत दी जाने लगी है।
इस संबंध में एसपी सिटी आयूष विक्रम सिंह ने बताया कि यदि अवैध होटल पर ओपन बार चलाया जा रहा है तो ऐसा करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करायी जाएगी। अवैध रूप से शराब नहीं पिलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

एनएचएआई व प्राधिकरण अफसरों की नींद टूटे तो बात बनें…
मेरठ। खड़ौली और आसपास के लोगों तथा दुकानदारों का कहना है कि अवैध मुस्लिम होटलों के लिए पूरी तरह से एनएचएआई व मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसरों जिम्मेदार हैं। एनएचएआई के नियमानुसार रोड से एक तय दूरी के आसपास किसी प्रकार का होटल या ढावा नहीं होना चाहिए। इसके लिए एक्ट में स्पष्ट कायदे कानून मौजूद हैं, लेकिन खड़ौली के जितने भी मुस्लिम होटल हैं वो तो सभी हाइवे किनारे हैं। उन पर रूकने वाले वाहनों की पार्किंग तक हाइवे पर है, इसी वजह से इसकी वजह से पूरा हाइवे अक्सर जाम रहता है। एनएचएआई अफसरों को कभी यहां आकर झांकने की फुर्सत नहीं है। उनका स्टॉफ इन होटलों पर अक्सर मंडराता देखा जा सकता है। लोगों का यहां तक कहना है कि एनएचएआई की जिस गाड़ी को हाइवे पर गश्त करना चाहिए वो अक्सर इन अवैध मुस्लिम होटलों पर आकर रूकती है। इसका क्या मायने निकाला जाना चाहिए। यही स्थिति कमोवेश मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसरों की है। खड़ौली का यह इलाका प्राधिकरण के जोन सी-वन में आता है। ऐसा नहीं कि प्राधिकरण का इस जोन का स्टाफ यहां कभी आता नहीं है। स्टाफ आता तो है लेकिन केवल हफ्ता वसूली या फिर अवैध होटलों से फोकट की पैकिंग कराते देखे जा सकते हैं।

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