दिल चीर रही थीं मलवे से आ रही आवाजें, मेरठ / तीन मंजिला पुराने मकान के भारी भरकम मलवे में जिंदा दफन आदमी, औरतें व मासूम बच्चों की हमें निकाल लों मर जाएंगे। हम मर रहे हैं..हमारी मदद करों और फिर धीरे-धीरे अचानक आवाजों का आना बंद हो जाना…मंजर को अल्फाजों में बयां नहीं किया जा सकता। जो कुछ भी वहां देख और मलवे के भीतर से आ रहीं आवाजें को सुन रहे थे, वो दिल चीर सब कलेजा चाक-चाक कर रहा था। चाह कर भी मदद नहीं कर पा रहे थे। जो मदद को पहुंचे थे कातर नजरों से उनकी ओर देख रहे थे काश एसडीआरएफ और एनडीआरएफ का दल जिस भी हल में हैं, उन्हें जल्दी बाहर निकाल लें, लेकिन वो कहते हैं कि हर चीज का एक वक्त मुकर्रर है। मकान ढहने की घटना शाम करीब 4.30 बजे हुए ओर जिस वक्त का यह मंजर बयां किया जा रहा है उस वक्त रात के करीब 8.40 बज रहे थे। इस मलवे में जिंदा दफन होने वालों में शामिल केवल साइमा को ही अब तक निकाला जा सका था। साइमा का शौहर साजिद, उसकी बेटी रिदा और बेटा साकिब मलवे में दबे थे। शुक्र यह रहा कि उसकी एक बेटी रिदा बाहर थी, वो इस कहर से बच गई। साइमो को जैसे ही मलवे से जिंदा निकाला, एसडीआरएफ की टीम उसको लेकर तेजी से वहां स्टैंड बाई पर खड़ी एम्बुलेंस की ओर दौडेÞ। उसको अस्पताल पहुंचाया। यहां खड़ी हजारों की भीड़ सलामती की दुआएं मांग रही थी। राहत व बचाव दल की हौसला अफजाई कर रही थी।
वक्त बीतने के साथ बंद होने गई मलवे से आने वाली आवाजें
मेरठ/ चमड़ा पैठ जाकिर कालोनी में नफीसा पत्नी अलाउद्दीन की डेयरी के ऊपर बने मकान ढहे हुए करीब पांच घंटे बीत चुके थे। अब तक केवल मलवे में दफन परिजनों में शामिल नफीस के बेटे साजिद की पत्नी साइमा को ही निकाला जा सका था। एक तो भारी बारिश, उस पर धुप्प अंधेरा। दरअसल मकान ढहने के बाद इस इलाके की सप्लाई काट दी गयी थी, जिसकी वजह से बचाव के काम में बाधा आयी, हालांकि लाइट बहुत जल्द चालू कर दी गयी। इस बीच आसपास के लोगों के पास जो भी साधन थे उन्होंने मुहैय्या करा दिए जातकि सबको हिफाजत के साथ जिंदा निकाला जा सके। लेकिन वक्त तेजी से निकल रहा था उसके साथ ही हाथ से तमाम विकल्प भी तेजी से खिसक रहे थे। वक्त के बीतने के साथ ही मलवे से आने वाले आवाजें भी अब आनी बंद हो गयीं। लोग बेचैन हो रहे थे। वो चाहते थे कि जितने भी लोग दबे हैं सबको घड़ी की चौथाई में जिंदा निकाल लिया जाए। लेकिन हर काम का वक्त मुकर्रर है। एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के बचाव दल कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे थे। पुलिस प्रशासन के तमाम आला अधिकारी भी मौके पर डटे हुए थे। बचाव कार्य में किसी प्रकार की कोई कमी ना जाए इसके चलते तमाम वरिष्ठ अधिकारी खुद वहां मुस्तैद थे, जिस चीज की की डिमांड की जा रही थी तत्काल मुहैय्या करायी जा रही थी। तमाम अफसरों का भी यही प्रयास था कि सभी सकुलश मलवे से निकाल लिया जाए।
सीएम योगी ने लिया संज्ञान-मौके पर तुरंत दौडे अफसर
मेरठ। जाकिर कालोनी में मकान ढहने से कई के जिंदा दबे होने की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगी थी। इसके चलते घटना का सीएम योगी ने संज्ञान लिया। सीएम योगी के संज्ञान लेते ही धड़ाधड़ लखनऊ से अफसरों के फोन धनधनाने लगे। नतीजा यह हुआ कि बगैर देरी किए मंडलायुक्त, आईजी, डीएम, एसएसपी समेत पुलिस प्रशासन के अलावा तमाम विभागों के अफसर वहां पहुंचने शुरू हो गए। नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग खासतौर से हाईअलर्ट मोड पर था। बिजली गुल ना हो जाए इस बात की सख्त हिदातय दी गयी थी।