हद हो गयी-कार्रवाई के बजाए क्लीनचिट

हद हो गयी-कार्रवाई के बजाए क्लीनचिट
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हद हो गयी-कार्रवाई के बजाए क्लीनचिट,

मेरठ /  दो बार की जांच में फेल केबल को क्लीनचिट देने के मामले में बजाए कंपनी पर कार्रवाई व उसको ब्लैक लिस्ट करने के क्लीनचिट देना जांच करने वाले एक्सइयन के लिए बड़ी मुश्किल का कारण बन सकता है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग को लेकर यूपी पावर कारपोरेशन चेयरमैन को पत्र लिखा है। यह पूरा मामला 180 करोड़ रुपए कीमत के केबल खरीद से जुड़ा हुआ है।
चेयरमैन को लिखा पत्र
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने चेयरमैन को भेजे गए पत्र में अगवत कराया है कि गुजरात की एक नामी कंपनी का अत्यंत खराब गुणवत्ता का 18 किमी एचटी केबल आरडीएसएस की एसबीजी (स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन) का उल्लंघन करके एमडी आॅफिस के डीक्यूसी अनुभाग ने सबसे पूर्व से चर्चित रहे एक एक्सईएन (जो दादरी से सस्पेंड करके मेरठ भेजे गए थे) ने कथित रूप से भ्रष्टाचार कर पास कर दिया, जबकि यह केबल पूर्व में दो बार की गयी तकनीकि जांच व इंस्पेक्शन में फेल हो चुका था। दोनों बार कंपनी पर पेनल्टी लगाई गई थी और आरडीएसएस की एसबीजी के अनुसार दो बार इंस्पेक्शन में फेल होने के बाद फर्म को ब्लैकलिस्टेड किया जाना था लेकिन एक्सईएन ने कंपनी का घटिया गुणवत्ता का केबल पास कर विभाग को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया।
पावर चेयरमैन को बताया गया है कि 13 अप्रैल को यह केबल इंस्पेक्शन मे फेल हुआ था जिसके 3 दिन बाद ही कंपनी ने दोबारा इंस्पेक्शन आॅफर कर दिया और 23 अप्रैल को एसबीजी ने उक्त एक्सईएन को नामित कर दिया जिसने कथित रूप से घटिया केबल पास कर दी।
चेयरमैन से इस बात की भी जांच की मांग की गई है कि पूर्व में दो बार की जांच में फेल करार दिए गए केबल को तीसरी बार पास कराने के खेल में कौन-कौन शामिल हैं या फिर जांच करने वाले एक्सईएन की इकलौती कारगुजारी है, इसकी भी जांच कराई जानी चाहिए। सवालों के घेरे मे एसबीजी भी है। क्योंकि क्या उन्हे इस बात की जानकारी नहीं थी की दो बार इंस्पेक्शन में फेल होने के बाद फर्म को ब्लैकलिस्ट किया जाना है ना कि उसके केबल को पास कर कंपनी को क्लीनचिट दे दी जाए।
अवधेश वर्मा ने पत्र में कहा है कि चेयरमेन के स्पष्ट आदेश हैं कि भंडार ग्रह, मैटेरियल मैनेजमेंट, एसबीजी आदि मे सिर्फ ऐसे अफसरों की तैनाती की जाए जो टेक्निकली काबिल हों। जिनका शेष कार्यकाल तीन वर्ष से ज्यादा हो। लेकिन वर्तमान में एमडी आॅफिस की एसबीजी में एक एक्सईएन आई०टी० की अभियंता है ना कि इलेक्ट्रिकल और एक एक्सईएन जेई से प्रोन्नत है जिनके रिटायरमेंट मे मात्र दो वर्ष बचे हैं। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने पूरे मामले को उठाते हुए ट्वीट भी किया है। वहीं दूसरी ओर इस मामले में पीवीवीएनएल के डायरेक्टर टेक्निकल से संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन कई बार प्रयास के बाद भी उनसे बात नहीं हो सकी।

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