जब मशीन ही सील नहीं तो जांच कैसी,
फर्जी राशन कार्डों से अंजाम दिया गया राशन घोटाला
जांच में गर्दन फंसती देखकर अफसरों ने आनन-फानन में किए कैंसिल
मेरठ। जिन ईपॉश मशीनों से राशन घोटाला अंजाम दिया गया, तमाम जांच ऐजेन्सियां उन मशीनों काे सील करना ही भूल गयीं। गरीबों का निवाला डकारने के लिए जिस ईपॉश मशीनों का यूज किया गया, राशन घोटाले के कसूरवारों की गर्दन पर शिकंजा कसने के लिए सबसे पहले ईपॉश मशीनों को ही सील किया जाना था, लेकिन इस मामले की जांच करने वाले एसटीएफ से लेकर सीबीसीआई सरीखी किसी भी जांच ऐजेन्सी का ध्यान इॅपॉश मशीनों को सील करने की ओर आज तक नहीं गया। जबकि जिस वक्त राशन घोटाला प्रकाश में आया था उस समय जो आदेश लखनऊ में बैठे अफसरों ने दिए थे वो ईपॉश मशीनों को सील करने के मुतालिख दिए गए थे, लेकिन मशीनों को सील किया जाना तो दूर की बात आज तक किसी भी जांच ऐजेन्सी ने मशीनों हाथ तक नहीं लगाया।
मशीनों में दफन थी अफसरों की कारगुजारियां
ईपॉश मशीनों को जांच ऐजेन्सियों और आपूर्ति विभाग के अफसरों द्वारा टच ना किए जाने की मूल वजह यदि ईपॉश मशीनों की जांच कर ली जाती तो प्रदेश के सभी 43 जनपदों जहां राशन घोटाला अंजाम दिया गया, मेरठ समेत उन सभी जनपदों के एआरओ, सप्लाई इंस्पेक्टर और कुछ जनपदों में डीएसओ तक सलाखों के पीछे होते। दरअसल ईपॉश मशीन की आईडी और पासवर्ड आपूर्ति विभाग के एआरओ व सप्लाई इंस्पेक्टर या फिर डीएसओ सरीखे के अफसरों के पास ही रहता है। पहले भी उनके पास रहता था और और भी उनके पास ही रहता है। राशन डीलरों को इस पासवर्ड की जानकारी नहीं होती। इसके अलावा पासवर्ड चार छह दिन बाद बदल भी जाता है। जब राशन डीलरों को पासवर्ड की कोई जानकारी ही नहीं है तो फिर वो लोग कैसे राशन घोटाला अंजाम दे सके हैं। जिन अफसरों को ईपॉश मशीन के पासवर्ड की जानकारी है उन पर हाथ डालने की हिम्मत जांच ऐजेंसियां जुटा नहीं पा रही हैं। जब एआओ व सप्लाई अफसराें सरीखों पर जांच ऐजेन्सियां हाथ ही डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है तो फिर कैसे ना जांच पर सवाल उठाए जाएं। राशन घोटाले में अब तक जितनी भी जांचे हुए हैं या सीबीसीआईडी के हाथों प्रचलित हैं उनसे से एसटीएफ के अलावा किसी ने भी आपूर्ति अफसरों के खिलाफ जांच नहीं की। सभी जांच ऐजेन्सियों के रडार पर साफ्ट टारगेट माने जाने वाले राशन डीलर ही रहे हैं।
ये कैसी जांच
ना तो ईपॉश मशीनों को सील किया गया और ना ही आपूर्ति अफसराें से पूछताछ की जा रही है फिर जांच कैसी चल रही है यदि इसकी भी जांच जा जाए तो काफी चीजे आसान हो जाएंगी। सबसे बड़ी व चौकाने वाली बात तो यह है कि राशन घोटाला फर्जी राशन कार्डों से अंजाम दिया गया। घोटाले को अंजाम देने में जिन राशन कार्ड का यूज किया गया उनमें से 95 फीसदी फर्जी राशन कार्ड थे। राशन कार्ड बनाने का काम आपूर्ति अफसर करते हैं। राशन कार्ड कोई राशन डीलर तो बना नहीं सकता। जब राशन घोटाले की जांच की बात सामने आयी तो आनन-फानन में कथिततौर पर राशन घोटाले में लिप्त अफसरों ने सबसे पहला काम उन सभी राशन कार्डों को कैंसिल करने का किया जिनसे घोटाला अंजाम दिया गया था। जो कुछ बच गए थे उनके नंबर बदल दिए गए। कहने का मतलब यह है कि अफसरों ने वो तमाम सबूत मिटा दिए जो उनकी गर्दन पर फंदा कस सकते थे। जो जांच ऐजेंसी मामले की अब जांच कर रही है इस मामले में सही कसूरवारों तक शिकंजा कस उन्हें अपनी काबलियत भी साबित करनी है। वर्ना कल किसी अन्य ऐजेंसी को यह जांच सौंप दी जाएगी और सके बाद वर्तमान में जांच कर रही ऐजेंसी पर भी सवाल उठाए जाएंगे।