जहां मुस्कुराती थी जिंदगी वहां अब आंसुओं का समंदर- सिसकियों का शोर

जहां मुस्कुराती थी जिंदगी वहां अब आंसुओं का समंदर- सिसकियों का शोर
Share

जहां मुस्कुराती थी जिंदगी वहां अब आंसुओं का समंदर- सिसकियों का शोर, मेरठ के लोहिया नगर थाना का चमडा पैठ जाकिर कालोनी की एक गली का तीन मंजिला मकान जो हमेशा मासूमों की खिलखिलाहट और तीन सगे भाइयों भरा पूरा परिवार। परिवार की मुखिया नफ्फाे के शौहर अलाउद्दीन  का काफी पहले इंतकाल का हुकूम घर पर चला था। चार बेटों साजिद, नदीम, नईम, शाकिर और उनके परिवार पर नफ्फो की ही बादशाहत चलती थी। आसपास के लोगों ने बताया कि नफ्फो बहुओं को अपने बेटों से भी ज्यादा चाहती थी, उन्हें प्यार करती थी। उसकी बहुएं भी अपनी सगी मां से ज्यादा सास को प्यार करती थीं। सास की बगैर उन्हें मायका भी अच्छा नहीं लगता था। लोग बताते हैं कि नफ्फो थी ही ऐसी उसको इस बगिया जिसमें चार बेटे, बहुए और छोटे बच्चे उनकी माथी सरीखी थी। आसपास के लोग और तमाम रिश्तेदार इस परिवार पर रश्क किया करते थे। ऊपर वाले की बरकत दोनों हाथों से इस परिवार पर बरस रही थी। बगैर ईद के घर में हमेशा ईद सरीखा माहौल रहता था। एक चारपाई पर बैठी नफ्फो, घर संभालती बहुएं और डेयरी संभालते बेटे, ऐसा लगता था कि नफ्फो का भले ही ऊपर वाले ने शौहर छिन लिया था, लेकिन शौहर के इंतकाल के बाद कभी भी उसको बेटों ने अपने वालिद की कमी नहीं खलने दी। बूढी नफ्फो को उसके बेटे बहू हाथों पर रखते थे। पोते पोती हमेशा अम्मा से चिपके रहते थे। तीन मंजिला इस घर में जिदंगी के साथ हमेशा खुशियां मुस्कुराया करती थीं। लेकिन शनिवार वो मनहूस दिन… ना जाने किस की नजर इस घर की खुशियों को लगी, जहां जिंदगी मुस्कुराया करती थी वहां देखते ही देखते मौत कुलाचें भरने लगी। खिलखिलाहट अब सिसकियां में बदल गयी है। परिवार के  साजिद (40) पुत्र अलाउद्दीन, साकिब (20) पुत्र साजिद, सानिया (15) पुत्री साजिद, रीजा (7) पुत्री साजिद, सिमरा (डेढ़ साल) पुत्री शहजाद, नफीसा (63) उर्फ नफ्फो पत्नी अलाउद्दीन, फरहाना (20) पत्नी नदीम, अलीशा (18) पत्नी नईम, आलिया (6) पुत्री आबिद, रिमसा (पांच माह) पुत्री नईम मनहूस हादसे में काल के गाल में समा गए हैं। जो जिंदा बचे हैं वो भी जिंदा लाश से ज्यादा नहीं। सदमे के डर से अभी उन्हें यह नहीं बताया गया है कि उनके अलावा सब कुछ खत्म हो चुका है। कुछ नहीं बचा। बची है तो रिश्तेदारों और आसपास रहने वालों की सिसकियां का शोर और आंसुओं का समंदर इसके अलावा कुछ नहीं। हर तरफ बस मातम ही मातम।

ये हैं जिंदगियां बदल गयी लाशों में 

ये हैं मृतक
1. नफ्फो उर्फ नफीसा (65) पत्नी अलाउद्दीन
2. साजिद (40) पुत्र अलाउद्दीन
3. साइमा (35) पत्नी साजिद
4. सानिया (15) पुत्री साजिद
5. शाकिब (12) पुत्र साजिद
6. रिया (10) पुत्री साजिद
7. फरहाना (27) पत्नी नदीम
8. अलीशा (25) पत्नी नईम
9. रिमसा (6 माह) पुत्री नईम
10. सैफियान (7) पुत्र पप्पू

ये हैं घायल
1. समरीन (4) पुत्री सरफराज
2. आलिया (8) पुत्री आबिद
3. साकिब (20) पुत्र अलाउद्दीन
4. नदीम (26) पुत्र अलाउद्दीन
5. नईम (22) पुत्र अलाउद्दीन

 

@Back Home


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *