मौत के बाद ही टूटेगी क्या नींद

मौत के बाद ही टूटेगी क्या नींद
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मौत के बाद ही टूटेगी क्या नींद,  मेरठ/ 135 करोड़ का बजट होने के बावजूद महानगर में सड़कों के किनारे रखे तमाम ट्रांसफार्मर पुरासा हाल नहीं हैं। इन ट्रांसफार्मरों में ज्यादातर पर जाली नहीं हैं। कुछ की हालत तो देखने भर से दिल सिहर उठता है। इनमें से कई में मौत को दावत देते हुए बिजली के नंगे तार झांक रहे हैं। ऐसे ट्रांसफार्मरों के पास ही आवार छुट्टा पशु घूमते मिल जाएंगे। कुछ की दशा तो इससे भी ज्यादा डरावनी हैं, लालकुर्ती पैठ एरिया सरीखे महानगर के कुछ स्थानों पर तो ऐसे ट्रांसफार्मरों के पास ही फड लगायी जाती हैं।
मंगलवार व शनिवार को लगने वाली लालकुर्ती की इस पैठ आने वाले दुकानदार ऐसे ही बाउंड्री रोड के समीपर रखे ट्रांसफार्मर से सटाकर ही सामान लगाते हैं। ये हाल केवल पैठ एरिया का नहीं है, यदि तलाश की जाए तो पूरे महानगर में जगह-जगह हादसों को दाबत देते सड़क किनारे तथा कुछ स्थानों पर रास्ते के बीच रखवा दिए गए ट्रांसफार्मर देखने को मिल जाएंगे।
660 केबीए और इतनी बड़ी लापरवाही
शहरके गढ़ रोड स्थित विद्युत नगरीय वितरण खंड तृतीय वैशाली कॉलोनी की यदि बात करें तो यहां शास्त्रीनगर सेक्टर चार के चौराहे पर रखे 630 केवीए के ट्रांसफार्मर के बराबर में बिजली के पोल पर 11 हजार की लाइटेंशन लाइन जा रही है, जबकि इस पोल का नीचे का हिस्सा बेहद बुरी तहर और जर्जर अवस्था में है। यदि अचानक मौसम का मिजाज बदले और तेज का आंधी तूफान चलने लगे तो 11 हजार की लाइन का वजन कंधों पर उठाए खडेÞ इस पोल को कोई भी गिरने से नहीं बचा सकता। हैरानी इस बात की है कि सब कुछ जानते हुए तथा कई बार क्षेत्र के लोगों द्वारा शिकायत किए जाने के बाद भी रंगोली उपखण्ड अधिकारी इसको लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। क्षेत्र के लोगों के साथ सामाजिक व भाजपा कार्यकर्ता सचिन गुप्ता भी इसको लेकर कई बार शिकायत कर चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि लगता है कि अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है। उन्होंने बताया कि लगातार क्षेत्र की जनता द्वारा पिछले लंबे समय से अवर अभियंता रंगोली को अवगत कराया जा रहा है और पोल की मरम्मत करवाने को कहा जा रहा हैं परंतु लगभग सात महीने बीतने के बाद भी अभी तक विद्युत पोल ठीक नहीं करवाया जा सका है। इस मामले को लेकर अब क्षेत्र के लोग पीवीवीएनएल एमडी से मिलने की बात कह रहे हैं।

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