खेला अभी बाकि है-खेला कभी भी

खेला अभी बाकि है-खेला कभी भी
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खेला अभी बाकि है-खेला कभी भी, उन्होंने अभी आस छोड़ी नहीं है. दरअसल उनकी फिरत ही ऐसी है वो कब खेला कर दें मसलन पलटी मार दें. उनकी इसी फिरत के चलते आस बंधी हुई है कि देर सवेरे खेला होगा और वो फिर पलटी मारेंगे. जो लोग ऐसा सोच रहे हैं वो लगत भी नहीं सोच रहे हैं सुशासन बाबू पलटी के लिए विख्यात हैं. साथ रहे और साथ चलते-चलते पलटी मार देना उनकी कैफियत में शामिल है. उनकी इसी कैफियत के चलते उम्मीद बंधी है कि देर सवेरे ही सही आकर हाथ  पकड़ लेंगे. इसी उम्मीद मेंं बड़े आफर भी दिए गए हैं और ऑफर मिल रहे हों तो फिर पल्टी ना मारने की कोई वजह बाकि नहीं रहती. 2014 से 2020 के बीच एनडीए के कई अहम साथी अलग भी हुए. इनमें 2020 में शिरोमणि अकाली दल और 2019 में अविभाजित शिव सेना एनडीए से अलग हो गए थे. लेकिन मोदी के तीसरे कार्यकाल में एनडीए अचानक से प्रासंगिक हो गया है. यह प्रासंगिकता बीजेपी की ज़रूरत के कारण बढ़ी है. यानी एनडीए अब बीजेपी की ज़रूरत है न कि इसमें शामिल बाक़ी दलों की. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बिल्कुल उलट स्थिति थी.जनता दल यूनाइटेड प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा तेलगू देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के बिना मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बन सकते हैं लेकिन अतीत में ये भी कई बार एनडीए छोड़ चुके हैं. वैसे जानकारों का कहना है कि नीतिश बाबू हों या फिर चंद्रबाबू नायडू इन्हें भगवा पार्टी ने जख्म भी बहुत दिए हैं..

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