यहां तो एक नहीं कई गजनी हैं, गजनी मुल्क से एक हमतावर आया, उसने 16 बार सोमनाथ का मंदिर लूटा, लेकिन यूपी के मेरठ सदर स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ जैन पंचायती मंदिर की बात की जाए तो इसको किसी एक गजनी ने नहीं बल्कि अनेक गजनियों ने लूटा है। यह सिलसिला अभी जारी है। कुछ ने धर्म का पैसा धंधा चमकाने में लगाया। यह सिलसिला आज भी जारी है। जैन समाज के इस प्राचीन मंदिर के इंतिहास की यदि बात की जाए तो समाज के लोग बताते हैं कि करीब दो सौ साल से ज्यादा पुराना यह मंदिर है। इसको लेकर साक्ष्य भी मौजूद हैं। श्री 1008 पार्श्वनाथ जैन पंचायती मंदिर में जो भगवान की प्रतिमा लगी है वह भी लगभग सन 1800 समथिंग की बतायी जाती है, उस पर तिथि अंकित है। समाज के लोगों द्वारा मंदिर को जो दान दिया जाता है उसके पत्थर लगवाने की परंपरा रही है। इस मंदिर में ऐसे पत्थर मौजूद हैं, जो करीब सौ साल पुराने हैं। यहां मोहम्मद गजनी का जिक्र इसलिए किया गया क्योंकि वह भी मंदिर का लुटेरा था। लेकिन इस प्राचीन मंदिर को लेकर गजनी की मिसाल इसलिए दी जा रही है कि इसको लूटने वाले भी किसी गजनी से कम नहीं। इसके पीछे कुछ ठोस साक्ष्य भी दिए जाते हैं। मोहनपुरी स्थित डिप्टी रजिस्ट्रार चिट फंड सोसाइटी से मिले साक्ष्य में इस मंदिर का एक रजिस्ट्रेशन साल सन 1971 में किया गया। इसके साक्ष्य मौजूद हैं। नियमानुसार जो कमेटी बनी उसका नवीनीकरण होना चाहिए था। पांच साल बाद नवीनीकरण हो जाना चाहिए था। मंदिर की संपदा लूट के लिए लेकिन गजनी बने समाज के कुछ लोगों ने कृत्यों पर पर्दा डालने के चलते बजाए नवीनीकरण के साल 2003 में एक और कमेटी रजिस्टर्ड करा ली। इसके बाद न तो कोई चुनाव न ही नवीनीकरण फिर आता है साल 2021 एक बार फिर नए सिरे से नवीनीकरण की प्रक्रिया। बजाए पुरानी कमेटी का चुनाव कराकर नवीनीकरण कराने के बजाए हर बार नई कमेटी के पेपर दाखिल किया जाना। सवाल तो पूछा जाएगा। साथ ही उन लोगों से भी जिन्हें जो खुद को समाज का झंडाअमलदार बताते नहीं थकते। लबोलुआव यह है कि ना खाता ना बही जो स्वयं भू पदाधिकारी कहें वो सही। (क्रमश)