25-May-2023 — योगी सरकार ने मेरठ के माफिया बदन सिंह बद्दो की गिरफ्तारी पर पांच लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया है।
28 मार्च 2019 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि सजायाफ्ता बदन सिंह उर्फ बद्दो को फतेहगढ़ जेल से गाजियाबाद के एक मामले में पेशी पर लाया गया था, जिसके बाद बदन सिंह को मेरठ स्थित मुकुट महल होटल में रोका गया, जहां से बदन सिंह उर्फ बद्दो पुलिस हिरासत से भाग गया था। उसकी सुरक्षा में तैनात दरोगा देशराज त्यागी, संतोष कुमार, सुनील कुमार, राजकुमार, ओमवीर, भूपेन्द्र सिंह को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। साथ ही भगाने में मददगार बने एहतशाम इलाही, डिपिन सूरी, जीत सिंह मक्कड़, सोनू सहगल, जवाहर लाल, शिशुपाल उर्फ बन्टी एवं पपीत बड़ला समेत 14 आरोपितों को पुलिस ने जेल भेजा था।
-ढाई लाख के इनामी बदन सिंह उर्फ बद्दो फरारी प्रकरण के सूत्रधार व्यापारी नेता अनिल छाबड़ा को जेल भेजने के दूसरे दिन ही मुकुट महल होटल के स्वामी मुकेश गुप्ता को भी पुलिस ने जेल भेज दिया। मुकेश पर भी बद्दो को भगाने की साजिश रचने का आरोप है। मुकेश गुप्ता ने हाईकोर्ट से गिरफ्तारी स्टे लिया हुआ था। पुलिस ने आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कराने के बाद जमानती वारंट जारी कराकर गिरफ्तार कर लिया।
28 मार्च 2019, दोपहर का क़रीब एक बजा होगा। पीएम नरेंद्र मोदी उस वक़्त मेरठ में दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे मैदान में लोकसभा चुनाव की रैली कर रहे थे। तभी मेरठ-दिल्ली हाइवे पर मुकुट महल होटल के बाहर दो गाड़ियां रुकीं। एक लंबे, स्मार्ट से शख़्स को लेकर आधा दर्जन पुलिस वाले उतरे और होटल में चले गए। क़रीब 2 बजे पीएम मेरठ से रवाना हुए। इधर अचानक पुलिस अफसरों के फोन घनघनाने लगे। सूचना मिली कि बद्दो फरार हो गया। बद्दो यानी वेस्टर्न यूपी में हैंडसम डॉन के नाम से मशहूर मेरठ का कुख्यात गैंगस्टर बदन सिंह।
बद्दो 2017 से यूपी की फर्रूखाबाद सेंट्रल जेल में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहा था। 1996 में मेरठ के टीपी नगर इलाके में बद्दो ने दिल्ली के कुख्यात इनामी भोलू और अपने दर्जनों गुर्गों के साथ मिलकर एडवोकेट रवींद्र पाल सिंह की सरेआम हत्या कर दी थी। रवींद्र पाल के भाई एडवोकेट देवेंद्र पाल ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। आखिरकार बद्दो को उम्र कैद की सज़ा हुई। बद्दो के ख़िलाफ़ दर्ज 47 अपराधों में यह पहला मुक़दमा था जिसमें उसको सज़ा हुई।क की फर्जी आरसी बनाने के एक मुक़दमे में बद्दो की गाजियाबाद कोर्ट में 28 मार्च 2019 को पेशी थी। इसी पेशी से पहले जेल की सलाखों के पीछे रहकर बद्दो ने अपनी फरारी का तानाबाना बुन लिया था। गाजियाबाद से वापसी का रूट कागजों में तय था, लेकिन बद्दो के कहने पर पुलिसवाले उसे उसके परिवार से मुलाकात कराने के लिए मेरठ ले आए।
बद्दो ने पुलिसवालों को शराब और शबाब की पार्टी में छोड़ा और अकेले ही एक कार लेकर मेरठ के पॉश इलाके साकेत में एक ब्यूटी पार्लर में जा पहुंचा। पार्लर की मालकिन और शहर के एक रईस डॉक्टर की बेटी अदिति उसकी पुरानी दोस्त थी। बदन सिंह बद्दो ने अदिति को बताया कि वह परोल पर जेल से छूटा है। उसने वहां अपना हुलिया बदला और अदिति के फोन के ज़रिए अपने खास दोस्त और करन पब्लिक स्कूल के मालिक भानु प्रताप सिंह को अपने आने की जानकारी दी।
बद्दो कैंट इलाके में भानु के घर पहुंचा। वहां कुछ और दोस्तों से भी उसकी मुलाकात हुई जो उसके लिए लाखों रुपये लेकर आए थे। भानु उसे अपनी इनोवा कार में बैठाकर मेरठ से हापुड़ और फिर नोएडा होते हुए दिल्ली पहुंचा। लाजपत नगर मेट्रो स्टेशन के पास बद्दो ने गाड़ी रुकवाई और रुपयों से भरा सूटकेस लेकर उतर गया। इसके बाद कोई नहीं जानता कि बद्दो कहां गया।
इस कहानी का अंजाम अभी बाकी है, लेकिन इसकी शुरुआत हुई थी 70 के दशक में मेरठ की ट्रांसपोर्ट मंडी से। उस जमाने में ट्रकों के ज़रिये शराब की तस्करी आम थी। मेरठ में इस धंधे में एक बड़ा नाम था ट्रांसपोर्टर बंता सिंह का। उन्हीं दिनों अमृतसर के मुद्दर गांव से उसका एक दूर का रिश्तेदार चरन सिंह आया। बंता ने उसे अपने यहां ड्राइवर रखा।
चरन सिंह ने धीरे-धीरे कमाई के सारे गुर सीख लिए। क़रीबी इतनी बढ़ी कि चरन के नौ बच्चों में से बड़े बेटे सुखदेव को बंता ने गोद ले लिया। उसी दौरान बंता की गैंगस्टर सुनील त्यागी से ठन गई थी। त्यागी ने बंता की हत्या कर दी। अब ट्रांसपोर्ट कारोबार पूरी तरह चरन सिंह के हाथ में आ गया।
चरन सिंह की ज़िंदगी इस मोड़ से बिल्कुल बदल गई। रहन-सहन बदल गया, बच्चे मेरठ के गुरु तेगबहादुर पब्लिक स्कूल में पढ़ने लगे। लेकिन उसके बेटे बदन सिंह का मन पढ़ाई से ज़्यादा कारोबार में लगता था। 10वीं के बाद उसने स्कूल छोड़ दिया। और उतर गया शराब की थैलियों की तस्करी में। फर्जी आरसी के ज़रिए वह हरियाणा और पंजाब से आने वाले शराब के ट्रक मेरठ में गायब कर देता। बेहिसाब पैसा बनाया उसने।
90 का दशक आते-आते उसने केबल टीवी के कारोबार की ओर कदम बढ़ा दिए। मेरठ इस कारोबार में वेस्ट यूपी का सेंटर था और यहां का धंधा था रोमीशिव के हाथों में। इधर वेस्टर्न यूपी के सुशील मूंछ, रवींद्र भूरा, भूपेंद्र बाफर जैसे गैंगस्टरों से बद्दो का गठजोड़ हो चुका था। केबल कारोबार पर कब्जे की जंग तेज हुई तो रोमीशिव के मैनेजर पवित्र मैत्रेय को मेरठ के बच्चापार्क इलाके में दिनदहाड़े मार डाला गया।
फिर मेरठ रेंज में तैनात एक अफसर के इशारे पर शहर के मेट्रो प्लाजा में बदन सिंह बद्दो ने बनाया केबल बिजनेस का कंट्रोल रूम। वहां से पायरेटेड चैनलों का टेलीकास्ट होने लगा। बात लखनऊ तक गई। उसका कंट्रोल रूम हटवा दिया गया। रंगबाजी से केबल कारोबार चलाने की बद्दो की हसरत धरी रह गई। लेकिन बद्दो ने जरायम से कमाई गई दौलत को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में खपाया और वहां होटल कारोबार खड़ा कर लिया।
1995 में बद्दो की ज़िंदगी में जैस्मीन कौर उसकी पत्नी बनकर आई। जैस्मीन से उसे दो बच्चे बेटी अनमोल और बेटा सिकंदर हुए। इस बीच बद्दो के दुश्मनों की तादाद बढ़ी तो जैस्मीन बच्चों को लेकर सिडनी चली गई और वहां होटल कारोबार संभालने लगी।
इधर एडवोकेट रवींद्र पाल सिंह की हत्या के मामले में तेजी से सुनवाई चल रही थी और बद्दो को सज़ा का अंदेशा था। उसने अपनी प्रॉपर्टी अपने परिवार और रिश्तेदारों के नाम करनी शुरू कर दी। जैस्मीन के नाम ऑस्ट्रेलिया की प्रॉपर्टी करने के बाद बदन सिंह बद्दो ने उसे अप्रैल 2016 में कागजी तलाक भी दे दिया। लेकिन दोनों बच्चे और जैस्मीन भारत आते-जाते रहे। बाद में सिकंदर की पढ़ाई भी भारत में ही जारी रही।
फिल्मी डॉन की तरह बद्दो की ज़िंदगी रंगीनियों से भरी थी। बद्दो की महिला मित्रों की लंबी फेहरिस्त थी। बद्दो देशी-विदेशी टॉप ब्रैंड्स का शौकीन था। लाखों की कीमत की राडो की घड़ियां, रेबेन के मंहगे चश्मे, अरमानी के सूट और बुलेट प्रूफ विदेशी गाड़ियों की रेंज उसकी शख़्सियत को आम गैंगस्टर से अलग करती हैं।
पर्शियन बिल्लियों को हाथ में रखना बद्दो अपना गुडलक मानता था। जैस्मीन से तलाक के बाद बद्दो ने ऑनलाइन साइट के ज़रिए एक मल्टिनैशनल आईटी कंपनी की अधिकारी से 2016 में शादी रचा ली। बद्दो ने खुद को ट्रांसपोर्टर बताया था, लेकिन जब तक नई बीवी को उसकी असलियत पता लगती, बद्दो उसे भी 60 लाख का चूना लगा चुका था। बद्दो की इस शादी में उसके बेटे सिकंदर के साथ मेरठ के कई बड़े उद्योगपति करनाल पहुंचे थे।
बद्दो की असलियत उसकी नई बीवी को भले ही रास नहीं आई, लेकिन उसकी तमाम गर्लफ्रेंड्स के लिए डॉन का साथ तमगे की तरह रहा। दिल्ली के कई पांच सितारा होटलों में योगा सर्विस प्रोवाइडर और हेल्थकेयर यूनिट स्लिम जोन की मालकिन प्रीति सिंह करीब एक दशक तक बद्दो के बेहद करीब रही। फरारी में मददगार बनी मेरठ की अदिति का उसके ज्वैलर पति से तलाक प्रीति ने ही बद्दो से कहकर मैनेज कराया। तलाक के मामले में बद्दो की एंट्री के बाद अदिति के पति ने उसे करीब एक करोड़ दिए और अपना कारोबार बंद कर मेरठ से चला गया।
28 मार्च 2019 को फरारी के बाद बदन सिंह बद्दो ने शहर के कई लोगो को वॉट्सऐप कॉल की थीं। लेकिन उसकी सबसे चौंकाने वाली एंट्री 4 फरवरी 2020 को हुई फेसबुक पर। उसने अपनी लोकेशन नीदरलैंड्स बताई और फेसबुक पर अपने पुराने दुश्मन रोमीशिव और आईपीएस अफसर बृजलाल पर सिंडिकेट चलाने के आरोप पोस्ट किए। बृजलाल ने ही उसका केबल कारोबार बंद कराया था।
यूपी पुलिस के रेकॉर्ड में बद्दो ढाई लाख रुपये का इनामी है। पुलिस मेरठ के करीब दो दर्जन कारोबारियों को बद्दो का राज़दार होने के गुनाह में जेल की सलाखों के पीछे भेज चुकी है। यूपी एसटीएफ और मेरठ पुलिस उसकी तलाश में गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल और उत्तराखंड में बीते 17 महीनों से खाक छान रही है। उसके विदेश में होने की भी चर्चा है, लेकिन फरारी के वक़्त से रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के कारण उसके विदेश भागने की गुंजाइश बेहद कम है। हर सूबे की पुलिस को बद्दो की तलाश का जिम्मा सौंपा गया है, लेकिन बदन सिंह डॉन का कोई सुराग नहीं मिल सका है।
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भारत की नवीनतम अपराध दर रिपोर्ट 2023
गाजियाबाद । भारत के सबसे खतरनाक शहर के रूप में शीर्ष स्थान पर काबिज गाजियाबाद का अपराध सूचकांक 60.1 है।03-Jun-2023गाजियाबाद , उत्तर प्रदेश का एक शहर, जो दिल्ली महानगरीय क्षेत्र का हिस्सा है, भारत के दस सबसे खतरनाक शहरों की सूची में सबसे ऊपर है। 1.7 मिलियन की आबादी के साथ, गाजियाबाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है और यहां प्रति 100,000 लोगों पर अपराध दर 699 है।2014 में मेरठ में प्रति लाख जनसंख्या पर हत्या की दर 6.5 थी, जबकि पटना में यह दर 10.00 थी। झारखंड का रांची 5.4 के साथ तीसरे स्थान पर रहा. आगरा 4.5 की हत्या दर के साथ शीर्ष पांच में जगह पाने वाला पश्चिमी यूपी का दूसरा शहर बन गया।25-Aug-2015
2023 में भारत की नवीनतम अपराध दर रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले वर्ष की तुलना में कुल अपराध दर में 0.56% की मामूली कमी आई है। हालाँकि, कुछ विशिष्ट अपराधों ने रिपोर्ट की गई घटनाओं में वृद्धि प्रदर्शित की है। बलात्कार के मामलों में 1.1% की वृद्धि हुई है, जबकि अपहरण और अपहरण की घटनाओं में 5.1% की वृद्धि देखी गई है। शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अपराध दर अधिक बनी हुई है। रिपोर्ट में कुल अपराध दर में गिरावट का श्रेय पुलिस की बढ़ती उपस्थिति, बेहतर कानून प्रवर्तन उपायों और अपराध की रोकथाम के बारे में बढ़ती सार्वजनिक जागरूकता जैसे कारकों को दिया गया है।
फिर भी, रिपोर्ट मौजूदा चुनौतियों को स्वीकार करती है, जिसमें कानून प्रवर्तन प्रयासों का समर्थन करने के लिए बेहतर पुलिस प्रशिक्षण और बढ़े हुए संसाधनों की आवश्यकता शामिल है। हालांकि अपराध को कम करने में कुछ प्रगति हुई है, रिपोर्ट सार्वजनिक जागरूकता के महत्व और कानून प्रवर्तन और समुदाय के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर देती है। यहां रिपोर्ट से कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं:
2023 में भारत में दर्ज किए गए कुल अपराधों की संख्या प्रति 100,000 लोगों पर 445.9 थी।
भारत में सबसे आम अपराध चोरी है, उसके बाद डकैती और हमला होता है।
भारत में सबसे अधिक अपराध दर वाले राज्य उत्तर प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार हैं।
शहरी क्षेत्रों में अपराध दर ग्रामीण क्षेत्रों में अपराध दर से अधिक है।
रिपोर्ट में समग्र अपराध दर में कमी का श्रेय कई कारकों को दिया गया है, जिनमें पुलिस की बढ़ती उपस्थिति, बेहतर कानून प्रवर्तन और अपराध के प्रति अधिक सार्वजनिक जागरूकता शामिल है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अभी भी कुछ चुनौतियाँ हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसे कि पुलिस अधिकारियों के लिए बेहतर प्रशिक्षण की आवश्यकता और कानून प्रवर्तन का समर्थन करने के लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता।
सर्वाधिक अपराध दर वाले राज्य
उत्तर प्रदेश: यूपी की प्रति व्यक्ति अपराध दर 7.4 है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, इस अनुपात का मतलब है कि उत्तर प्रदेश में अपराधों की संख्या सबसे अधिक है, और इस प्रकार, राज्य अकेले यात्रा करने के लिए असुरक्षित है।
अरुणाचल प्रदेश: अपराध दर और अन्य कारकों ने राज्य को खतरे में दूसरे स्थान पर आने के लिए जिम्मेदार बना दिया है। अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों में अंधेरा होने के बाद अकेले यात्रा करने पर प्रतिबंध है। अपराध दर लगभग 5.8 है और अपराधों की बढ़ती संख्या के साथ यह बढ़ रही है।
झारखंड: खतरे की दृष्टि से झारखंड एक और राज्य है जिसे छोड़ना नहीं चाहिए। लोगों की सुरक्षा के लिए बहुत कम काम किया गया है. कई आपराधिक मामले तो पुलिस फाइलों में दर्ज ही नहीं होते. अनुपात की बात करें तो राज्य में प्रति व्यक्ति अपराध दर 5.3 दर्ज की गई है.
मेघालय: सुरक्षा और अपराध के मामले में मेघालय चौथे स्थान पर है। मेघालय के कुछ क्षेत्रों को यात्रा के लिए असुरक्षित और लोगों के लिए प्रतिबंधित बताया गया है। हाल की रिपोर्टों में, राज्य को प्रति व्यक्ति अपराध 5.1 के साथ घोषित किया गया था और इसे भारत के शीर्ष खतरनाक राज्यों में से एक माना जाता है।
दिल्ली: हालांकि दिल्ली पांचवें स्थान पर है, लेकिन अपराध ब्यूरो के अनुसार राज्य में प्रति व्यक्ति अपराध दर 5 है। दुखद तथ्य यह है कि राज्य में राजनीतिक सत्ता का राज होने के बावजूद; इसकी सुरक्षा के मामले में बहुत कम काम किया गया है.
असम: भारत में अपराध दर के मामले में छठे स्थान पर है। अन्य राज्यों की तुलना में, असम में भारत में प्रति व्यक्ति अपराध अनुपात 4.4 दर्ज किया गया है। हमें अभी भी भारत के 4 और शीर्ष खतरनाक राज्यों के साथ जाना है।
छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में भी अपराध काफी हद तक बढ़ गया है. राज्य की अपराध दर रेटिंग 4 प्रति व्यक्ति है और यह उल्लेख करने के लिए पर्याप्त चिंताजनक संख्या है। यह जगह कई कारणों से असुरक्षित मानी जाती है, खासकर महिलाओं के लिए।
हरियाणा: हरियाणा में प्रति व्यक्ति अपराध दर 3.8 दर्ज की गई है। यह राज्य डकैती, चोरी, रिश्वतखोरी, हत्या, बलात्कार और बहुत कुछ के लिए जाना जाता है। इस प्रकार, राजनीतिक शक्तियाँ अपराध दर को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने की कोशिश कर रही हैं। इसे भारत के 10 सबसे खतरनाक राज्यों में से एक भी कहा जाता है।
ओडिशा: भारत में प्रति व्यक्ति अपराध दर 3.8 प्रतिशत है। यह स्थान चोरी, चोरी और रिश्वतखोरी के लिए जाना जाता है। विभिन्न क्षेत्रों को नशीली दवाओं और नशे के लिए लक्षित किया गया है। इसने युवाओं को भी नशे की लत में काफी हद तक बर्बाद कर दिया है।
आंध्र प्रदेश: अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात आंध्र प्रदेश में अपराध दर है। भारत में प्रति व्यक्ति अपराध का अनुपात बढ़कर 3.6 हो गया है।
प्रमुख अपराध श्रेणियाँ और रुझान
प्रमुख अपराध दर श्रेणियां और रुझान प्रचलित आपराधिक परिदृश्य में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। भारत में, इन श्रेणियों में कई प्रकार के अपराध शामिल हैं। हत्या, हमला, चोरी, डकैती और यौन अपराध प्रमुख अपराध श्रेणियों में से हैं। इन श्रेणियों के रुझान अपराधियों द्वारा अपनाए गए बदलते पैटर्न और तरीकों पर प्रकाश डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए, हाल के वर्षों में साइबर अपराध अपराध दर और इसके विभिन्न रूपों, जैसे ऑनलाइन धोखाधड़ी और पहचान की चोरी में वृद्धि एक उल्लेखनीय प्रवृत्ति है।
इसके अतिरिक्त, यौन उत्पीड़न और बाल दुर्व्यवहार सहित महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध भी बड़ी चिंता का विषय बने हुए हैं। प्रमुख अपराध श्रेणियों की निगरानी करना और उभरती प्रवृत्तियों की पहचान करना कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नीति निर्माताओं के लिए अपराध की रोकथाम के लिए प्रभावी रणनीति विकसित करने और आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
समाज और अर्थव्यवस्था पर अपराध का प्रभाव
समाज और अर्थव्यवस्था पर अपराध के प्रभाव दूरगामी और बहुआयामी हैं। समाज में, अपराध व्यक्तियों में भय, अविश्वास और असुरक्षा की भावना पैदा करता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता कम हो जाती है। उच्च अपराध दर से प्रभावित समुदाय अक्सर सामाजिक एकता के टूटने, बढ़ते अलगाव और सामुदायिक जुड़ाव में गिरावट से पीड़ित होते हैं। इसके अलावा, अपराध के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं, जिससे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आघात हो सकता है जो वर्षों तक बना रह सकता है।
आर्थिक रूप से, अपराध दर एक महत्वपूर्ण बोझ है। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य देखभाल की लागत, उत्पादकता में कमी और कानून प्रवर्तन और आपराधिक न्याय प्रणाली से संबंधित खर्चों में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, अपराध निवेश को रोकता है, आर्थिक विकास को बाधित करता है और देश की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है, जिससे पर्यटन और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर असर पड़ता है। इसलिए, एक सुरक्षित समाज और संपन्न अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अपराध पर काबू पाना महत्वपूर्ण है।.
एनसीआरबी की रिपोर्ट में प्रति एक लाख जनसंख्या के सापेक्ष अपराधों की संख्या को अपराध दर (क्राइम रेट) के रूप में परिभाषित किया जाता है। संगीन घटनाओं में कमी आई है। क्राइम रेट में भी सुधार हो रहा है। अपराध नियंत्रण को लेकर शासन की स्पष्ट नीति व निर्देशों के अनुरूप पुलिस काम कर रही है। इसमें वरिष्ठ
एनसीआरबी की क्राइम इन इंडिया-2021 की रिपोर्ट यूपी पुलिस को राहत देने वाली है। वर्ष 2021 में देश में आइपीसी के तहत कुल 3663360 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें उत्तर प्रदेश में 357905 घटनाएं हुईं। प्रदेश में प्रति एक लाख जनसंख्या के सापेक्ष अपराध दर (क्राइम रेट) 154.4 है।
देश के सभी राज्यों में कुल अपराधों में उत्तर प्रदेश का स्थान 23वां है। आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाओं के विरुद्ध वर्ष 2017 में 59853 तथा वर्ष 2020 में 49385 अपराध दर्ज हुए थे, जबकि वर्ष 2021 में इनकी संख्या 56083 रही। महिलाओं के विरुद्ध कुल अपराधों का क्राइम रेट 50.5 रहा और उत्तर प्रदेश का 16वां स्थान है।