नहीं मिल रही जमीन, हवा में ही लटका रहेगा जुर्रानपुर पुल
इनर रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण में पेंच फंस गया है। पिछले एक दशक से भी अधिक समय से जुर्रानपुर रेलवे फाटक पर रेलवे ने पिलर बनाकर पुल तो बना दिया, लेकिन रोड अब तक नहीं बनी है। बीते दिनों मेडा उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने टीम संग स्थलीय निरीक्षण किया था और डीपीआर बनाने के निर्देश दिए थे। किसानों के रजामंद न होने के कारण जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पा रहा है।
शहरवासियों को जाम से राहत दिलाने के लिए इनर रिंग रोड की कवायद महायोजना-2001 में प्रस्तावित की गई थी, लेकिन जमीनी स्तर पर इस पर काम अटका रहा। मवाना रोड को किला रोड से जोड़ने के लिए 2200 मीटर लंबी व 45 मीटर चौड़ी इस सड़क का निर्माण मेडा ने करीब 17 करोड़ से किया है, जिस पर यातायात चल रहा है। सड़क के बनने से कमिश्नरी आवास चौराहे को बड़ी राहत मिली। किला रोड से मवाना रोड और मवाना रोड से किला रोड की ओर जाने वाले वाहन कमिश्नरी आवास चौराहे पर न जाकर इसी सड़क का उपयोग कर रहे हैं। यह सड़क किला रोड व मवाना रोड के बीच बाईपास का काम कर रही है।
गढ़ रोड पर काली नदी के पास से हापुड़ रोड तक इनर रिंग रोड का निर्माण मेडा व आवास विकास ने अपने-अपने हिस्से का काम पूरा कर लिया। किसानों के गतिरोध के कारण बीच में थोड़ा काम अधूरा है, जिसकी वजह से सड़क का लाभ नहीं हो रहा। वहीं हापुड़ रोड से दिल्ली रोड तक जोड़ने में खासी मुश्किल आ रही है। मेडा उपाध्यक्ष ने बीते दिनों सचिव चंद्रपाल तिवारी व अधिशासी अभियंता अरुण शर्मा संग निरीक्षण किया था। उन्होंने दो विकल्प सुझाते हुए डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए थे। अफसरों का कहना है कि जुर्रानपुर रेलवे लाइन के पास रेलवे विभाग ने 12 नवंबर 2011 में पुल बनाया था। वहां पर अब जमीन का अधिग्रहण होना है। काफी बातचीत के बाद भी किसान जमीन देने के लिए तैयार नहीं हैं।
38 करोड़ से 6 माह में बन सकती है इनर रिंग रोड
राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को प्रस्ताव दिया था। बाजपेयी का कहना है कि जहां पर रोड नहीं बनी है, वह केवल 38 करोड़ रुपये में बन सकती है। इसमें मात्र छह महीने का समय लगेगा। इससे मेरठ को तत्काल राहत भी मिलेगी। उनका कहना है कि यदि रेलवे लाइन के ऊपर जुर्रानपुर फाटक पर हवा में लटके पुल को जोड़ें तो 80 करोड़ अतिरिक्त खर्च होंगे।