रोड पर हालत आउट ऑफ कंट्रोल
महानगर में करीब पचास हजार अवैध ई रिक्शा बने हैं मुसीबत
बेगमपुल और हापुड़ स्टैंड चौराहा मुक्त, बाकि शहर ई रिक्शाओं की जकड़ में
मेरठ। शहर से लेकर देहात के अनेक इलाकों तक रोड पर ट्रैफिक के हालात आउट ऑफ कंट्रोल हो गए हैं। हो भी क्यों ना एक अनुमान के मुताबिक महानगर में करीब साठ हजार ई रिक्शाएं दौड़ रही हैं। यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है। इन साठ हजार में से महज 15 हजार ई रिक्शाएं ही आरटीओ में पंजीकृत हैं। पंजीकृत ई रिक्शाओं के ये आंकड़े एसपी ट्रैफिक ऑफिस के हैं। एक और भ्राी आंकड़ा है जिसमें कहा गया है कि करीब चालिस से पैतालिस हजार ई रिक्शाएं पूरे महानगर में ऐसी हैं जो अवैध हैं। जो आरटीओ में पंजीकृत नहीं। सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह कि इनमें से बड़ी संख्या में ऐसी ई रिक्शाओं की है जिनके कागज तक नहीं हैं। मसलन इन्हें असेंबल कर चलाया जा रहा है। यदि ये आंकड़े सही मान लिए जाएं तो अंदाजा लगा लीजिए कि महानगर में ट्रैफिक के हालात कितने नाजुक हैं। रोड की बात की जाए तो अनेक ऐसे बाजार हैं यहां स्थिति काबू से बाहर हो चली है। हालांकि एसपी ट्रैफिक बार-बार कह रहे हैं कि महानगर के ट्रैफिक सिस्टम को जाम मुक्त किया जाएगा, इसके लिए प्रयास जारी हैं। कुछ काम भी हुआ है। एसपी ट्रैफिक का इशारा जाम के लिए बदनाम हापुड़ स्टैंड चौराहा और बेगमपुल चौराह की ओर था। जहां दिन भर जाम के हालात बने रहते थे। पीक आवर में तो वहां से पैदल निकलना भी दुश्वार था, लेकिन अब ये दोनों चौराहे पूरी तरह से खुले-खुले नजर आते हैं यह बात अलग है कि इनको खुला-खुला दिखाने के लिए आसपास के इलाका ई रिक्शाओं से बुरी तरह से जकड़ गया है।
ई-रिक्शाओं की जकड़ में शहर
इसमें कोई दो राय नहीं कि हापुड़ स्टैंड और बेगमपुल चौराहे को जाम के अभिशाप से मुक्ति मिल गयी है, लेकिन इन दोनों चौराहों के आसपास के इलाके जाम की जकड़ में पहुंचकर बुरी तरह से छटपटा रहे हैं। इन दोनों चौराहें पर सख्ती से ना ई रिक्शा एरिया प्लान लागू करने के लिए एसपी ट्रैफिक ने काफी स्टाफ लगाया है, जिसकी वजह से इन चौराहें पर ई रिक्शा जाने से पहले ही आसपास के इलाकों में घुस जाते हैं। जिसके चलते हापुड़ स्टैंड चौराहे से सटा गोला कुंआ, शाहघासा, भगत सिंह मार्केट, इमलियान, एसके रोड, यहां तक कि इंद्रा चौक सरीखे इलाकों में ई रिक्शाओं की वजह से दिन भर जाम लगा रहता है। कई बार निकला भी दुश्वार होता है। कमोवेश ऐसी ही दशा बेगमपुल को नो ई रिक्शा जोन घोषित किए जाने के बाद सदर इलाके की थी। वहां व्यापारियों ने विरोध किया तो फिर सोतीगंज चौराहे के कट खोल दिए गए। इससे सदर को तो राहत मिल गयी लेकिन बेगमबाग सोतीगंज चौराहा, पीएल शर्मा रोड, तिलक रोड, थापर नगर गुरूद्वारा रोड सरीखे इलाकों में ई-रिक्शाओं की वजह से मुसीबत खड़ी हो गयी है। सबसे बुरा हाल बेगमबाग सोतीगंज चौराहे का बना हुआ है।
शीघ्र राहत का दावा
अवैध रिक्शाओ के खिलाफ बड़ी कार्रवाई तथा शहर को जाम से मुक्त कराने के लिए ट्रैफिक पुलिस के अफसर आरटीओ व सामाजिक संगठनों के सहयोग से शीघ्र ही अभियान की बात कह रहे हैं। इसमें करीब पचास हजार जो अवैध ई रिक्शाएं बतायी जा रही हैं उनका जब्त किया जाएगा। केवल जब्त ही नहीं किया जाएगा उनको खत्म किया जाएगा। केवल वही ई रिक्शाएं रोड पर होगी जिनका पंजीकरण आरटीओ में होगा। और इनके लिए भी शहर को जोन में बांटा जाएगा। एक जोन की ई रिक्शा दूसरे जाेन में नहीं नजर आएगी। कलर से इनकी पहचान की जाएगी। सबसे बड़ी बात जो अवैध ई रिक्शाएं जब्त की जाएंगी वो जुर्माना देकर भी नहीं छुडायी जा सकेंगी।
वर्जन
महानगर को शीघ्र ही ट्रैफिक जाम की समस्या से मुक्त कराया जाएगा। इसके लिए ब्लू प्रिंट तैयार लिया गया है। ई रिक्शाओं के लिए शहर को जोन में बांटा जाएगा। राघवेन्द्र कुमार मिश्रा
यदि ऐसे ही हालात रहे तो शहर ई-रिक्शों से भर जाएगा। जहां पैदल निकलना भी मुश्किल होगा। नगर वासियों में प्रशासन की इस उदासीनता से रोष है। इन ई-रिक्शों के संचालन के लिए मानक तय होने चाहिए। जिससे शहर की व्यवस्था बनी रहे।
गुरुवार को शहर में जगह-जगह जाम के हालात नजर आए। मुख्य चौराहों पर भी यही हालात रहे। चंदौसी चौराहे पर दोपहर के समय कई बार जाम के हालात बने और सुधरे। इस जाम के जिम्मेदार वह ई-रिक्शा थे जो चौराहे पर चारों दिशाओं को जाने के लिए खड़े थे। साथ ही कुछ चल भी रहे थे। जबकि चौराहे पर यातायात पुलिस तैनात थी। बार बार जाम के हालत होने के बाद भी यातायात पुलिस तमीशबीन बनी रही।
यही हाल यशोदा चौराहा, आर्य समाज मार्ग, कोतवाली मार्ग, नखासा तिराहा, चौधरी सराय का रहा। जबकि नगर वासियों और राहगीरों को इन ई रिक्शों से परेशानी का सामना करना पड़ा। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल से घर लौटने वाले बच्चों को होती है।
जगह-जगह स्कूल वाहन जाम में फंसे दिखाई देते हैं। नगरवासियों का कहना है कि इन ई-रिक्शों का मानक तय होना चाहिए। संबंधित क्षेत्र के लिए नगर पालिका को भी अपनी परमिशन देनी चाहिए। लेकिन इस सब से पहले सहायक संभागीय विभाग में रजिस्ट्रर होना अनिवाय है। लेकिन सहायक संभागीय विभाग की मेहरबानी इस कदर है कि अवैध ई-रिक्शों के संचालन पर कोई कार्रवाई नहीं हैं। जबकि नगर में प्रतिदिन एक दर्जन ई-रिक्शों की खरीदारी हो रही है। जो बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो नगर ई-रिक्शों से भर जाएगा। नगर में बढ़ती ई-रिक्शों की संख्या अव्यवस्था फैला रही है। अवैध रूप से संचालित हो रहे अवैध ई-रिक्शों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है। शहर के किसी भी हिस्से में ई-रिक्शों की काफी संख्या नजर आ जाएगी। इनकी बढ़ती संख्या जाम के हालात पैदा कर रही है। प्रशासन की अंदेखी नगरवासियों को और राहगीरों के लिए परेशानी का सबब है। जबकि प्रशासन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है।मेरठ शहर में सड़कों पर दौड़ रहे 15 हजार से अधिक ई- रिक्शा पर अब शिकंजा कसने जा रहा है। आरटीओ ने रजिस्टेशन, फिटनेस और टैक्स जमा कराए बिना सड़कों पर चल रहे 150 से अधिक ई-रिक्शा जब्त कर लिए हैं।शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर जाम के पीछे अवैध ई- रिक्शा भी बड़ी वजह हैं। हापुड़ रोड, गढ़ रोड, किला रोड, बागपत रोड, दिल्ली रोड, रुड़की रोड समेत प्रमुख मार्गों पर ई-रिक्शा दौड़ते हैं। ई-रिक्शा संचालन से प्रदूषण तो कम हुआ है, लेकिन जाम मुसीबत बन गया है। दिन निकलते ही शहर की सड़कों पर जाम लगना शुरू हो जाता है।आरटीओ ने सभी ई-रिक्शा संचालकों को रजिस्ट्रेशन, फिटनेस और टैक्स जमा करने के निर्देश जारी किए हैं। सरकार ने टैक्स पर ब्याज में छूट भी दी है। इसके बावजूद संचालक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। वहीं जब्त किए गए 150 ई-रिक्शा आरटीओ परिसर में ही खड़े किए गए हैं। एआरटीओ कुलदीप सिंह का कहना है कि जो पंजीकरण नहीं कराएंगे या टैक्स जमा नहीं करेंगे उनके ई-रिक्शा जब्त कर लिए जाएंगे। 22 जनवरी 2016 को मेरठ में पहला ई रिक्शा पंजीकृत हुआ था। शहर की यातायात व्यवस्था के लिए बड़ी मुसीबत बने अवैध रूप से चलने वाले दस हजार से ज्यादा ई रिक्शा के बीच शुक्रवार को मेरठ जनपद का पहला ई रिक्शा परिवहन विभाग में पंजीकृत हुआ।स हजार ई रिक्शा की भीड़ ने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। गंभीर बात यह है कि ये सभी बिना रजिस्ट्रेशन, बिना बीमा, बिना परमिट और बिना नियमों के दौड़ रहे हैं। केंद्र सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिहाज से इनके संचालन की अनुमति दी लेकिन पंजीकरण व परमिट प्राप्त करके। प्रदेश सरकार ने इन रिक्शा के पंजीकरण के लिए पूरी प्रक्रिया निर्धारित की है लेकिन मेरठ शहर में आज तक एक भी ई रिक्शा पंजीकृत नहीं हो सका था। ई रिक्शा चालक इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। लिसाड़ी गेट के मुहल्ला गुलजार इब्राहिम निवासी अममीरुद्दीन पुत्र नासिर ने मिनी मेट्रो कंपनी के मोहकमपुर स्थित शोरूम से ई रिक्शा खरीदा, आरटीओ में 21,600 रुपये टैक्स जमा कराया और पंजीकरण कराकर बेगमपुल से परतापुर के रूट संख्या एक के परमिट का आवेदन किया। लंबे समय से बीमारी के कारण अवकाश पर चल रही आरटीओ ममता शर्मा भी आज कार्यालय आई थीं। उन्होंने आरटीओ सिटी तथा एआरटीओ प्रशासन शिव शंकर सिंह के साथ अमीरूद्दीन को अपने हाथ से पंजीकरण प्रमाण पत्र सौंपा। परिवहन अफसरों और ई रिक्शा डीलर ने अमीरूद्दीन को गुलदस्ता देकर सम्मानित किया।
हादसों से सबक ना लेना आदत में शुमार, मेरठ टू दिल्ली रैपिड रेल जिसको को अब नमो के नाम से जाना जाता है, के प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य के दौरान आए दिन होने वाले भयंकर हादसों से सबक लेने के बजाए उनको रोकने के लगता है कि कार्यदायी संस्था के उच्च पदस्थ अफसर हादसों को लेकर गंभीर नहीं। शायद यही कारण है जो इन हादसों को रोकने के लिए आमतौर पर जिन सावधानियों की उम्मीद की जाती है उनको लेकर अब घोर लापरवाही नजर आ रही है। सबसे बड़ी लापरवाही साइट पर भारी भरकम कार्य के दौरान आम जन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रैफिक को ना रोका जाना। तमाम बार ऐसा देखने में आया है कि पिलरों पर हैवी काम चल रहा होता है और नीचे रोड से लोग गुजर रहे होते हैं। एनसीआरटीसी के अफसर भले ही कुछ भी सफाई देते रहे, लेकिन जो हादसे हुए हैं वो इस बात की तसदीक करते हैं कि भारी कार्य के दौरान जो सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए थे वो नहीं किए गए। जिसके चलते लोगों की जान पर बन आयी। हादसों की यदि बात करें तो 6 जून को परतापुर थाना क्षेत्र में दिल्ली रोड पर चल रहे कार्य के दौरान अचानक वजनी सामान गिर जाने से स्कूटी से गुजर रहे ऋतिक नाम के युवक की मौत हो गयी। घटना को लेकर कार्यदायी संस्था के अफसरों के खिलाफ तहरीर दी गयी है।वहीं दूसरी ओर आज पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा भी किया। इससे पहले इसी साल 27 फरवरी को मोदीपुरम क्षेत्र में दुल्हेड़ा चौकी के सामने दून हाईवे पर रैपिड एक्स का निर्माण कार्य चल रहा है। जहां करीब 15 मीटर की ऊंचाई पर पीयर कैप मशीन लगी हुई है। दोपहर 200 बजे अचानक आग की ऊंची लपटे और काले धुएं के गुब्बार को देख सभी के होश उड़ गए। बीते साल यानि 16 जुलाई 2023 को तडके करीब तीन बजे मेरठ में रैपिड रेल का स्लैब बनाने के दौरान बड़ी दुर्घटना हुई. जानकारी के अनुसार, कंक्रीट डालते समय अचानक से रैपिडेक्स का स्लैब स्ट्रक्चर गिर गया और वो भरभरा कर गिरा. हादसे में 8 मजदूर घायल हो गए. इनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। हादसे की सूचना पर डीएम व एसएसपी भी वहां पहुंच गए थे। 20 मई 2022 को दिल्ली मेरठ रैपिड ट्रेन कारिडोर के निर्माण कार्य में एक बार फिर लापरवाही सामने आई थी। गाजियाबाद के मेरठ रोड पर करीब 40 फीट की ऊंचाई से सरिया गिर गया। नीचे से गुजर रहे राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेंद्र कश्यप के सुरक्षा सेवा अधिकारी (पीएसओ) सुशील की कार पर सरिया गिरा। लगभग 20 किलो वजनी सरिया ने कार के बोनट को फाड़ दिया। गनीमत थी कि सरिया कार के बोनट पर गिरा, जिसस एक बड़ा हादसा होने से टल गया। वरना इसमें किसी की जान भी जा सकती थी। बता दें कि 11 दिन में दूसरी बार ऐसी लापरवाही सामने आने से रैपिड ट्रेन के निर्माण में सतर्कता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। टीला मोड़ निवासी सुशील कुमार स्विफ्ट कार से नरेंद्र कश्यप के सेक्टर-23 स्थित निवास पर ड्यूटी करने आ रहे थे। इससे पहले 10 मई की शाम दुहाई में भी क्रेन में बंधा गर्डर का एक सेगमेंट गिर गया था। इस काम की भी ट्रैफिक पुलिस को सूचना नहीं थी। जबकि नियम यह है कि जब भी इस प्रकार का कार्य किया जाए संबंधित इलाके में पुलिस को सूचना दी जाए ताकि पुलिस यातायात डायवर्ट कर सके, लेकिन पिछले कुछ समय से एनसीआरटीसी के उच्च पदस्थ के स्तर से लगता है हादसों को रोकने को लेकर वो गंभीरता नहीं बरती जा रही है जो बरती जानी चाहिए। 21 जुलाई 2022 को भी परतापुर से दिल्ली रोड सुभाष होटल के पास रैपिड रेल निर्माण में लगी l&t कंपनी द्वारा बिछाई गई बिजली की लाइन से जमीन में करंट उतर आया। यहां कूड़ा बीनते हुए रेलवे रोड की रहने वाली गंगा नाम की महिला पहुंची और पानी में उतर रहे बिजली के करंट की चपेट में आ गई और वही गिरकर तिलमिलाने लगी। उसे कांवडियों ने अस्पताल पहुंचाया था। तब सूचना पर वहां पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने l&t कंपनी के कर्मचारियों को खूब लताड़ा था तथा चेतावनी दी थी कि ऐसी और कहा कि ऐसी घोर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके अलावा 13 सितंबर 2022 को सुबह करीब 6:00 बजे रैपिड मेट्रो के निर्माण के लिए पल्लवपुरम की सर्विस रोड पर आइसीआई बैंक के सामने बड़ी क्रेन लोहे के पाट और गाटर को उठाने का काम कर रही थी। तभी एकाएक क्रेन के आगे का बड़ा हिस्सा टूटकर सर्विस रोड पर गिर पड़ा। इस दौरान सर्विस रोड पर कोई मौजूद नहीं था, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। रैपिड मैट्रो रेल का काम कर रहे गार्ड और मजदूरों में क्रेन के गिरने से अफरा-तफरी मच गई। क्रेन के नीचे ऑपरेटर दब गया। चीख पुकार के बीच तेजी से अन्य जेसीबी मशीन मंगाई। पलटी क्रेन को सीधा किया गया। घायल ऑपरेटर को पास के अस्पताल में पहुंचाया गया। गनीमत यह रही कि सुबह का वक्त था, रोड पर यातायात अधिक नहीं था अन्यथा किसी की जान भी जा सकती थी। लेकिन बड़ा हादसा 28 अक्तूबर 2023 को मेरठ के रुडकी रोड डोलरी के समीप हुआ था जब फिरोजाबाद में तैनात यूपी पुलिस में सिपाही अमित पुत्र ओम प्रकाश वहां से कार से गुजर रहे थे। उनकी कार के पिछले हिस्से पर एक पिलर आ पड़ा था। हालांकि एनजीआरटीसी के प्रवक्ता पुनीत बत्स ने तब सफाई दी थी कि वह पिलर नहीं लाॅचिंग ग्लैन्ट्री थी। सवाल यह नहीं कि जो गिरा वो क्या था, बल्कि सवाल सुरक्षा इंतजामों को लेकर बरती जा रही लापरवाही को लेकर उठाए जा रहे हैं।
रोडवेज के आसापास का इलाका होगा कब्जा मुक्त निगम-ट्रैफिक पुलिस व रोडवेज मिलकर चलाएंगे अभियान। बसें नहीं होगी सडक पर खड़ीं, होटलों का सामान भी रखवाया जाएगा भीतर, बाहर नहीं लगाए जा सकेंगे तंदूर व भट्टी
पकड़ी गई तो इस बार छूटेगी नहीं
-करीब चालिस हजार से ज्यादा अवैध ई रिक्शा होगी सीज
पुलिस का धरपकड़ अभियान कभी भी, केवल वैध ई रिक्शा आएंगी नजर
ई रिक्शाओं के लिए शहर को बांटा जाएगा जोन में, केवल अपने जोन में होगी अनुमति
-मिनी कमेला में सात पर मुकदमा
पैसे लेकर भी नहीं दे रही गाड़ी
तान्या पर दिन भर चलता रहा हंगामा, कल भी हंगामे के आसार
जनवाणी संवाददाता, मेरठ
पैसे लेकर भी गाड़ी न देने के चलते लालकुर्ती थाना क्षेत्र स्थित मारूति कार के शोरूम तान्या मार्टस पर शुक्रवार को दिन भर हंगामा चलता रहा। हंगामे की सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गयी थी। बकौल मुंडाली निवासी पीड़ित मोहम्मद नाजिम पुलिस की मौजूदगी में कंपनी के मैनेजरों ने शनिवार को डेढ़ लाख की रकम वापस करने का वादा किया है, हालांकि पहले जिस प्रकार से रवैया रहा है उससे नहीं लगता कि कल भी रकम वापस मिल सकेगी। यह पूरा मामला सात सीटर एको कार की बुकिंग से जुड़ा है। भुक्तभागी नाजिम ने बताया कि उन्होंने 28 अप्रैल को सात सीटर इको बुक करायी थी। बुकिंग अमाउंट के तौर पर उनसे वहां मौजूद कर्मचारी ने पांच हजार रुपए जमा कराए गए। उसके बाद उनसे बीस हजार की रकम जमा करा ली गयी। नाजिम ने बताया कि उन्होंने सफेद कलर की गाड़ी की बात कही थी, लेकिन जब गाड़ी देने की बात करने लगे तो बोला कि उसके लिए अगले से रकम देनी होगी। सफेद कलर के नाम पर उनसे और 25 हजार रुपए ले लिए गए। उन्होने बताया कि यह रकम जुनैद नाम के कर्मचारी को उन्होंने दी थी। 6 मई को गाड़ी की डीलिवरी की बात तय हो गयी। छह मई को पहुंचे तो बताया गया कि कुछ तकनीकि परेशानी है 12 मई को आकर गाड़ी ले जाना। साथ ही एक लाख की रकम भी जमा करा ली गई। नाजिम कुछ लोगों को लेकर 16 मई को शोरूम पर पहुंचे तो उनसे दो दिन का समय और मांग लिया गया। वह 18 मई को वहां पहुंचे तो बताया गया कि दो दिन और अभी लगेंगे कहकर टालने लगे। लेकिन इस बार नाजिम और उनके साथ आए लोगों ने हंगामा कर दिया। हंगामे की सूचना पर मौके पर पुलिस पहुंच गयी। पीड़ित ने धोखाधड़ी की तहरीर दे दी। इसका असर यह हुआ कि कंपनी का खुद को मैनेजर बताने वाले एक शख्स से चालिस लाख का पेमेंट दे दिया और बताया कि बाकि रकम छह मई को मिल जाएगी। छह मई को नाजिम शोरूम पर पहुंचे तो उन्हें बजाए रकम देने के साफ कह दिया गया कि जिस शख्स से गाडी बुक की थी वह नौकरी छोडकर भाग गया है। उनकी रकम भी डूब गई है। नाजिम ने यह बात भाकियू भानु के नेताओं का बतायी तो आज भाकियू भानु के जिलाध्यक्ष कुलदीप तोमर के नेतृत्व में दर्जन भर से ज्यादा कार्यकर्ता नाजिम के साथ सुबह तान्या मोटर्स पर जा पहुंचे। वहां जमकर हंगामा हुआ। दोपहर को जब हंगामा ज्यादा बढ गया तो मौके पर लालकुर्ती पुलिस पहुंच गयी। पुलिस की मौजूदगी में तय हुआ कि जो बकाया की रकम है वह कल शनिवार को दी दी जाएगी। पीड़ित नाजिम ने बताया कि शोरूम के स्टाफ ने पुलिस के सामने वादा तो किया है, लेकिन रकम जब हाथ मे आ जाए बात तब है।
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दूसरी खबर
रैपिड और मेट्रो परियोजना को एक बार फिर से रफ्तार दी जा रही है। मेरठ में बेगमपुल पर बनाए जाने वाले रैपिड/मेट्रो के स्टेशन इंटरचेंज की तरह कार्य करेंगे। इन्हीं परियोजनाओं के क्रम में बृहस्पतिवार को बेगमपुल और बेगमपुल मार्ग पर सड़क से 12 फीट अंदर तक लाल निशान लगाए गए। इसको लेकर व्यापारियों में हड़कंप की स्थिति रही। व्यापारियों का कहना है कि अगर बेगमपुल पर मेट्रो या रैपिड के स्टेशन बन जाएंगे तो हमारा व्यापार प्रभावित होगा। कई बड़े शोरूम इसकी चपेट में आएंगे। वहीं, टीम के कर्मचारियों का कहना था कि ये हिस्सा पूरी तरह से साफ हो जाएगा। शहरी क्षेत्र में परिवहन सेवाओं को रफ्तार देने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं। महानगरों में शहरवासियों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए ट्रैफिक प्लान पर कार्य हो रहे हैं। मेरठ में मेट्रो दौड़ाने का एलान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार कर चुके हैं। हाल ही में लखनऊ में आयोजित हुए अर्बन मोबिलिटी इंडिया सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने मेरठ में लाइट मेट्रो चलाने का एक बार फिर वादा दोहराया था। हालांकि, दिल्ली से मेरठ तक चलने वाली रैपिड रेल में मेट्रो को चलाने का प्रस्ताव भी शामिल है। यह मेट्रो मेरठ साउथ से मोदीपुरम तक चलेगी। लेकिन शहर में जाम को खत्म करने के लिए कंकरखेड़ा से गोकुलपुर तक मेट्रो चलाने का प्लान भी एमडीए ने तैयार किया था।
बेगमपुल पर बनना है रैपिड का स्टेशन
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विद्युत उपकेंद्र कुन्हैडा क्षेत्र के बामनोली गांव की विद्युत लाइन में गुरुवार को फाल्ट सही करने के दौरान करंट आने से संविदा लाइनमैन झुलस गया। जिसे गंभीर अवस्था में सीएचसी लगाया गया जहां मेरठ के लिए रेफर करा दिया गया। उधर, शटडाउन लेने के बावजूद लाइन को चालू करने पर ऊर्जा निगम के अवर अभियंता ने एसएसओ प्रमोद कुमार निवासी हंसापुर के खिलाफ तहरीर दी है। वहीं आरोपित एसएसओ सरकारी दस्तावेज लागबुक लेकर उपकेंद्र से फरार हो गया है।
गांव खेड़ी निवासी प्रदीप पुत्र राजेंद्र एक प्राइवेट कंपनी में खादर क्षेत्र के विद्युत उपकेंद्र कुन्हेडा पर संविदा लाइनमैन है। बताया गया कि गुरुवार दोपहर को प्रदीप बामनोली ने गांव के पास विद्युत उपकेंद्र से एसएसओ से कहकर शटडाउन लिया था।
लाइन में अचानक दौड़ गया करंट
इस बीच लाइन में अचानक करंट दौड़ गया। जिसकी चपेट में आकर लाइन मैन बुरी तरह झुलस गया। जिसे सीएचसी से मेरठ रेफर कर दिया। स्वजन भी मौके पर पहुंच गए और एसएसओ पर लापरवाही समेत गंभीर आरोप लगाए।
विद्युत उपकेंद्र पर तैनात अवर अभियंता सतबीर सिंह ने बताया कि बामनोली के समीप विद्युत लाइन किसी पेड़ से टच हो रही थी। जिसे सही करने के लिए लाइनमैन वहां पहुंचा था। उधर, देर शाम अवर अभियंता ने एसएसओ प्रमोद कुमार निवासी हंसापुर के खिलाफ नामजद तहरीर दी। जिसमें अवर अभियंता ने बताया कि जांच के बाद कुन्हैडा विद्युत उपकेंद्र के एसएसओ की घोर लापरवाही उजागर हुई है।