210-ए के कब टूटेंगे अवैध फ्लैट

फ्लैट ही नहीं मकान भी अवैध
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210-ए के कब टूटेंगे अवैध फ्लैट, मेरठ छावनी के वेस्ट एंड रोड बंगला नंबर 210-ए में करीब तीस साल पहले अवैध रूप से बनाए गए छह फ्लैट जो लगभग सतरह से बीस लाख की कीमत पर बेचे गए थे और जिनकी सर्किल रेट से आज की कीमत अस्सी लाख से एक करोड़ तक आंकी जा रही है,  उन अवैध फ्लैटों को ध्वस्त करना कैंट बोर्ड मेरठ के अफसर भूले बैठे हैं। तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर बनाए गए ये फ्लैट कैंट बोर्ड मेरठ के तत्कालीन अधिकारियों के भ्रष्टाचार और भारत सरकार के बंगलों को खुर्दबुर्द किए जाने का सबसे शर्मनाक सबूत है। नवाब की कोठी के नाम से मशहूर इस बंगले में तीन भूमाफियाओं ने इन छह फ्लैटों का अवैध निर्माण किया, चंद सिक्कों की लालच में यह छह फ्लैट बनाए गए। इसमें जिनका नाम आज ली कैंट बोर्ड का स्टाफ ( जिनमें से ज्यादातर रिटायर्ड हो चुके हैं) बताते हैं कि अनिल जैन, जय प्रकाश अग्रवाल और सुनील सिंहल उर्फ नीलू ने इनका अवैध निर्माण कराया था। तीनों ने एक-एक फ्लैट अपने पास रख लिए थे। बाकि को बेच दिया गया। नवाब के बंगले कैसल व्यू में अवैध रूप से फ्लैट बनाने के इस खेल में कैंट बोर्ड मेरठ के तत्कालीन अफसरों  का खास रोल बताया जाता है। यहां तक सुना जाता है कि इन छह फ्लैट के लिए काफी हैडसम डीलिंग की गयी थी। ऐसा नहीं कि कैंट बोर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। कार्रवाई कुछ इस अंदाज में की गयी कि दो कदम आगे और चार कदम पीछे। नोटिस भी दिए गए और चालान भी किए गए, लेकिन आरोप है कि बाद में जब सेटिंग के बाद गेटिंग हो गयी तो जैसा कि आमतौर पर इस प्रकार के मामले में होता है, 210-ए के इन अवैध फ्लैटों की फाइल पर धूल चढ़ती चली गयी। कैंट बोर्ड में बतौर अध्यक्ष कई कमांडर आए, सीईओ आए और तब से अब तक इंजीनियरिंग सेक्शन में में आमूलचूक परिवर्तन हो चुका है, लेकिन इस बंगले में अवैध रूप से बनाए गए फ्लैटों की कोई भी धूल झाड़ने की हिम्मत नहीं जुटा  पा रहा है या फिर सवाल यही पूछ लिया जाए कि अवैध फ्लैट बनाने वालों से कैंट बोर्ड के अफसरों का यह रिश्ता क्या कहलाता है।

बंगले का इतिहास:– अपनी गोद में एतिहासिक बिरासतों खास कर उन पलों को जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस कैसल व्यू में आए थे और उनकी मेजबानी नवाब मोहम्मद इस्माइल ने थी, छिपाए गए कैसल व्यू बंगले की तामीर साल 1879 में की गयी थी। जीएलआर में यह बंगला अशफाक जमानी बेगम के नाम से दर्ज है। याद रहे कि नवाब मोहम्मद इस्माल मुल्क की आजादी के बाद बनने वाली पहली अंतरिम सरकार में रक्षा मंत्री भी थे। इस नजरिये और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इस बंगले में आमद के नजरिये से भी यह बंगला यूं तो एतिहासिक धरोहरों की श्रेणी में होना चाहिए था। लेकिन भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि से यह एतिहासिक धरोहर नहीं बचायी जा सकी। उन्होंने इस बंगलों को कई बार नोंचा। कैसल व्यू के ओपन एरिया में सबसे पहले महाराज वैकटहाल अवैध रूप से बनाया गया। यह काम किया चौक फुव्वारा सदर के मदन लाल मित्तल ने। उन्होंने इसको किराए पर लिया था। कुछ समय इसके साथ प्रेमी टेंट वालों का नाम भी जुड़ा रहा। महाराज वैकट हाल को ध्वस्त भी किया गया। सालों तक उसका मलवा भीतर ही पड़ा रहा। लेकिन जैसे ही इस बंगले पर भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि पड़ी बंगला का हुलिया ही बदल गया। इसमें धन शाकुंतल नाम से अवैध इमारत कैसल व्यू की तर्ज पर बना दी गयी। पीछे के हिस्से में जहां कभी सर्वेन्ट क्वार्टर हुआ करते थे, वहां छह फ्लैट बना दिए गए। इतना कुछ हो गया, लेकिन इंतजार है कि कैंट बोर्ड के अफसरों की नींद टूटने और अवैध निर्माणों को लेकर जो उनकी डयूटी है उसको कराने का।

 

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