क्यों पैरवी से भाग रहा है बीएसए आफिस

काबिल को बना डाला डिफाल्टर
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क्यों पैरवी से भाग रहा है बीएसए आफिस, डीआईओएस ( जिला विद्यालय निरीक्षक सहारनपुर) के कथित फर्जी हस्ताक्षर से कूटरचित कर तैयार कराए गए प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी पाने वाली पीएवी गर्ल्स जूनियर हाईस्कू मोरीपाड़ा मेरठ में प्रधानाध्यापिका के पद पर नौकरी पानी वाली प्रियंका शर्मा निवासी मालीवाडा मेरठ के प्रकरण में बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी आफिस) अपने ही आदेश के खिलाफ लाए गए स्टेट की हाईकोर्ट में पैरवी से क्यों भाग रहा है। प्रधाध्यापिका पद पर जिस नियुक्ति को कथित रूप से फर्जी प्रमाण पत्र को कुटरचित तरीके से तैयार कर हासिल किए जाने की बात सिद्धांत रूप से स्पष्ट हो चुकी है, उस मामले में को लेकर अब बीएसए कार्यालय का दो कदम आगे चार कदम पीछे होने के चलते ही तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं।

यह है पूरा मामला:-

प्रियंका शर्मा पत्नी नितिन शर्मा व पुत्री बिजेन्द्र कुमार शर्मा निवासी 101 मालीवाडा मेरठ की नियुक्ति प्रधानाध्यापिका पद पर चयन समिति पीएबी गर्ग्स जूनियर हाई स्कूल मोरीपाड़ा की विगत 11 जुलाई 2016 के आधार पर बीएसए मेरठ से पत्रांक/प्रबंध/नियुक्ति/8931-33-2016-17 दिनांक 23 जुलाई 2016 के द्वारा की गयी थी। इसके बाद प्रियंका ने कार्यभार संभाल लिया था। नियुक्ति के समय शैक्षिक योग्यता के सबूत के ताैर पर बीएबीएड, यूपीटैक जूनियर स्तर एवं प्राइमरीस्तर की थी तथा प्रधानाध्यापिका के पद की योग्यता पांच वर्ष की अनिवार्यता के आधार पर केबी हॉयर सैकेड्री स्कूल (खुशनूमा बेगम हॉयर सैकेड्री स्कूल) माध्यमिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा मान्यता प्राप्त हयात कालोनी गली नं. 4 खाता खेड़ी सहारनपुर उत्तर प्रदेश के पत्रांक  3151/2016 –  3 मार्च 2016 के द्वारा निर्गत अनुभव प्रमाण पत्र जो नियुक्ति के समय दाखिल किया गया था उसमें प्रियंका शर्मा के 1 जुलाई 2009 से 9 मार्च 2015 तक अस्थायी सहायक अध्यापिका के तौर पर केवी हॉयर सैकेड्री खाता खेड़ी सहारनपुर पढ़ाने की बात को जांच के बाद कथित तौर पर फर्जी व कुटरचित पाया गया।

शासन में शिकायत करायी गयी दर्ज:

कथित कुटरचित प्रमाण पत्रों से नौकरी पाने का मामला पकड़ने का काम तत्कालीन प्रबंधक डा. राधे श्याम गौड़ एडवोकेट ने किया और इसकी शिकायत सीएम, आयुक्त मेरठ मंडल, जिलाधिकारी मेरठ, बेसिक शिक्षा अधिकारी व वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा मेरठ से की गयी।

डीआईओएस सहारनपुर ने खोली पोल:

कथित कुटरचित प्रमाण पत्रों के बूते पर प्रधानाध्यापिका की नौकरी पाने वाली प्रियंका शर्मा के इस कारनामे की पोल खोलने का काम भी डीआईओएस सहारनपुर ने किया। दरअसल हुआ यह कि गिरीश चंद्र गुप्ता निवासी जे-40 शास्त्रीनगर मेरठ ने विगत 24 मार्च 2018 को आरटीआई के तहत प्रिंयका शर्मा के संबंध में डीआईओएस सहारनपुर से जो सूचनाएं मांगी गयी थीं, उनसे सारे खेल का खुलासा हो गया था। बकौल डा. राधे श्याम एडवोकेट आरटीआई के जवाब मे डीआईओएस सहारनपुर ने गिरीश चंद्र गुप्ता को  अवगत कि प्रियंका शर्मा का केवी हॉयर सैकेंड्री में अध्यापिका का कोई प्रमाण पत्र प्रतिहस्ताक्षरित नहीं किया गया है।

कमिश्नर को कराया अवगत:

डीआईओएस सहारनपुर का आरटीआई का जो उत्तर प्रियंका शर्मा के प्रमाण पत्रों को लेकर मिला, उसकी जानकारी गिरीश चंद गुप्ता ने कमिश्नर मेरठ मंडल को देते हुए मामले में कार्रवाई की मांग की। मामले का संज्ञान लेते हुए मंडलीय साहयक शिक्षा निदेशक बेसिक प्रथम मेरठ मंडल कार्यालय  ने एडीएम प्रशासन मेरठ से प्रियंका शर्मा प्रकरण में रिपोर्ट तलब कर ली। इसके बाद 24 सितंबर 2018 को चरन सिंह खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय एवं सूर्यकांत गिरी खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय नगर मेरइ को जांच अधिकारी नियुक्त कर जांच के आदेश जारी किए गए।

केवी हायर सैकेंड्री ने किया प्रियंका का बचाव:

प्रियंका शर्मा के जिन प्रमाण पत्रों को डीआईओएस सहारनपुर ने कुटरचित करार दिया था, उसको केवी हॉयर सैकेड्री स्कूल ने एक सिरे से खारिज करते हुए प्रियंका शर्मा के अनुभव प्रमाण पत्रों को सत्य करार दिया, लेकिन डीआईओएस सहारनपुर के प्रति हस्ताक्षर करने के संबंध में कोई स्पष्ट आख्या नहीं दी। केवी हॉयर सैकेड्री ने जो रिपोर्ट पूरे प्रकरण में भेजी उसको केवल प्रिंयका शर्मा का बचाव करने का प्रयास भर माना गया।

बीएसए ने नियुक्ति को किया शून्य:

इस पूरे मामले का पर्दाफाश होने के बाद विगत 6 अगस्त 2020 को बीएसए मेरठ ने प्रियंका शर्मा द्वारा नियुक्ति के समय प्रस्तुत प्रमाण पत्रों को फर्जी मानते हुए उनकी नियुक्ति के अनुमोदन को शून्य कर दिया तथा पीएवी गर्ल्स जूनियर हाईस्कूल मोरीपाड़ा के तत्कालीन प्रबंधक डा. राधे श्याम गौड़ को प्रियंका शर्मा की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से समाप्त कर बीएसए कार्यालय को अवगत कराए जाने के आदेश दिए थे। दरअसल गिरीश चंद गुप्ता ने जो शिकायत की थी, उसकी जांच कराने के बाद ही तत्कालीन बीएसए ने प्रियंका शर्मा को लेकर आदेश जारी किए थे।

हाईकोर्ट से प्रियंका को राहत व

बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के 6 अगस्त 2020 के आदेश के खिलाफ प्रियंका शर्मा हाईकोर्ट में पहुंच गयीं। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने उन्हें राहत प्रदान करते हुए हाईकोर्ट ने बीएसए सहारनपुर से प्रतिहस्ताक्षरित को अवगत कराने को आदेश भी जारी किया। हाईकोर्ट के आदेश को प्रियंका शर्मा के लिए राहत का पिटारा मनाया गया।

एक ओर धमाकेदार खुलासा:

वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट से मिली राहत के बाद प्रियंका प्रकरण में एक अन्य धमाकेदार खुलासा गिरीश चंद्र गुप्ता ने केवी हॉयर सैकेंड्री स्कूल खाता खेडी सहारनपुर के अनुभव प्रमाण पत्र को फर्जी बताने की अपनी बात को दोहराते हुए प्रियंका शर्मा के भगवती कालेज सिवाया रूड़की रोड में बतौर टीचर कार्य करने का खुलासा कर डाला। इसके संबंध में उन्होंने आरटीआई द्वारा मांगी गयी जानकारी को आधार बनतो हुए जानकारी दी कि भगवती कालेज ऑफ एजेकेशन ने 1 सितंबर से 10 जुलाई 2015 तक प्रियंका शर्मा के शिक्षिका के रूप में उनके विद्यालय में सेवाएं देने की जानकारी दी। इसके एवज में प्रियंका शर्मा को वेतन के रूप मे भुगतान उनके खातों में किया गया। गिरीश गुप्ता ने यह भी खुलासा किया कि प्रियंका को लेकर शुरू में जब उन्होंने पत्राचार किया तो भगवती कालेज ने सात माह तक उसका कोई उत्तर नहीं दिया, जिसके बाद उन्हें आरटीआई दायर करनी पड़ी जिसमें प्रियंका शर्मा के बतौर शिक्षिका सेवाएं देने की बात स्वीकार की गयी। गिरीश चंद का तर्क है कि एक ही कार्यकाल में प्रियंका दो विद्यालयों मसलन भगवती कालेज सिवाया और केवी हाॅयर सैकेड्री सिवाया में कैसे सेवा दे सकती हैं। यदि भगवती कालेज ने चैक द्वारा बैंक की मार्फत भुगतान किया है तो फिर केवी हॉयर सैकेड्री में शिक्षण कार्य को लेकर जाे भी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं वह स्वत: ही कुटरचित प्रमाणित हो जाते हैं। इससे भी बड़ा खुलासा पूरे मामले में राधे श्याम गौड़ ने यह किया कि नियुक्ति के लिए जो कमेटी बनायी गयी थी उसमें प्रियंका शर्मा के रिश्तेदार शामिल थे। इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके फर्जी हस्ताक्षर कर यह नियुक्ति की गयी। फर्जी हस्ताक्षर की बात भी जांच में प्रमाणित हो चुकी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि प्रियंका की नियुक्ति को लेकर जो कुछ भी उनको लेकर कहा जा रहा है वह कोरा असत्य है।

बीएसए कार्यालय के लिपिक की भूमिका संदिग्ध:

इस पूरे मामले में बीएसए कार्यालय के एक लिपिक की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। साथ ही यह भी आग्रह किया गया है कि फर्जी हस्ताक्षर से प्रियंका की नियुक्ति को लेकर जो भी पेपर तैयार कराए गए हैं उनकी एक बार फिर से नए सिरे से फारेसिंक जांच करायी जाए। साथ ही जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित लिपिक पर भी कार्रवाई की जाए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल इस पूरे मामले में बीएसए के उन आदेशों को लेकर उठ रहा है जिनके विरूद्ध प्रियंका शर्मा स्टे लेकर आयी हैं और इस स्टे के विरूद्ध अब बीएसए कार्यालय किसी प्रकार की पैरवी के मूड में नहीं।

वर्जन-

पीएवी गर्ल्स जूनियर हाईस्कूल मोरीपाडा के पूर्व प्रबंधक का कहना है कि प्रियंका शर्मा की नियुक्ति पूरी तरह से अवैध है तथा इस काम में बीएसए कार्यालय के एक चर्चित लिपिक की भूमिका संदिग्ध है। इतना ही ऐसा क्या कारण है कि बीएसए अपने ही आदेश के खिलाफ प्रियंका द्वारा लाए गए स्टे की पैरवी से भाग रहे हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश चंद्र गुप्ता का कहना है कि उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत इस मामले की तमाम परतें खोल कर रख दी हैं।

बीएसए सुदर्शन लाल से जब इस संबंध में जानकारी की गयी तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जाहिर की, जबकि जिस लिपिक पर आरोप लगाए जा रहे हैं उनसे जब जानकारी चाही तो उन्होंने भी मामला कोर्ट में होने की बात कहकर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

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