210-B पर PIL-अफसरों की बनेगी मुसीबत

22B व 210B: फजीहतों का मुजाहरा
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210-B पर PIL-अफसरों की बनेगी मुसीबत, मेरठ छावनी स्थित बंगला 210-B पर हाईकोर्ट में PIL कैंट बोर्ड के अफसरों के लिए मुसीबत साबित होने जा रही है। PIL में कैंट बोर्ड मेरठ को जानबूझ कर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना का दाेषी बताया गया है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं कि PIL दाखिल हो चुकी है या फिर होने जा रही है। लेकिन 210-B पर PIL- है कन्फर्म।

कैंट बोर्ड की CBR खोल रही पोल

सूत्रों की मानें तो कैंट बोर्ड के अफसरों को इस मामले में व्यक्तिगत रूप से भी हाईकोर्ट की अवमानना का दोषी बनाया जा रहा है। इस कड़ी में कैंट बोर्ड मेरठ के वर्तमान सीईओ ज्योति कुमार का भी नाम शामिल किया, सुनने में आया है, इनके अलावा तत्कालीन सीईओ राजीव श्रीवास्तव, प्रसाद चव्हाण, नवेन्द्र नाथ, सहायक अभियंता पीयूष गौतम, अवर अभियंता अवधेश कुमार यादव और लीगल सेल के दिनेश अग्रवाल के नाम भी इस कड़ी में शामिल, सुने जा रहे हैं। 210-B पर PIL की यदि बात की जाए तो इस मुसीबत के लिए खुद कैंट बोर्ड के उक्त अफसर ही जिम्मेदार हैं। केस संख्या 380/2001 कैंट बोर्ड बनाम  पुष्पादेवी व अन्य में अवमानना की सुनवाई के बाद 29 जनवरी 2014 को सभी प्रकार के निर्माणों को अवैध मानते हुए हाईकोर्ट ने इन्हें ध्वस्त किए जाने के आदेश किए। जुलाई 2016 को कैंट बोर्ड ने हाईकोर्ट के आदेश पालन करने के नाम पर आंशिक कार्रवाई की। कार्रवाई के नाम पर जो हिस्सा खाली था केवल उसको ही ध्वस्त किया, भूमाफियाें से सांठगांठ कर बाकि को छोड़ दिया। 210-B पर PIL में कोर्ट के संज्ञान में लाने का प्रयास किया गया है कि वर्तमान में 210-B में 96 आवासीय और तीन व्यवसायिक भवन कैंट बोर्ड प्रशासन की हाईकोर्ट के आदेश के प्रति लापरवाही को उजागर कर रहे हैं। 210-B पर PIL में कोर्ट को बताने का प्रयास है कि कार्रवाई न करने के पीछे कैंट बोर्ड मेरठ के इंजीनियरिंग सेक्शन का भूमाफियाओं से हाथ मिला लेना है, यही कारण है जो हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी कैंट बोर्ड प्रशासन फाइलों पर कुंडली मारे बैठा है। आने वाले दिन मुसीबत भरे हो सकते हैं।

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