22B-गजब की जल्दबाजी में थे अफसर

कैँट बोर्ड में तूफान तो अभी बाकि है
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22B-गजब की जल्दबाजी में थे अफसर, 22B के रिहायशी बंगले में ट्रेड लाइसेंस जारी कर देश भर की छावनियों में मेरठ कैंट बोर्ड की किरकिरी कराने वाले अफसर ही नहीं सदस्य भी  गजब की जल्दबाजी में थे। 22B को ट्रेड लाइसेंस जारी करने को लेकर अफसरों की जल्दबाजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बैक डेट में ट्रेड लाइसेंस जारी कर दिया। अध्यक्ष, सीईओ कैंट व बोर्ड के  नामित सदस्य सरीखों किसी एक ने भी साइन करने से पहले फाइल को देखने तक की जहमत नहीं उठायी। आरटीआई एक्टिविस्ट व एडवोकेट संदीप पहल का कहना है कि सबसे चौंकाने वाला खुलासा यही है। सवाल पूछा जा रहा है कि क्या रक्षा मंत्रालय को उच्च स्तरीय जांच कराकर इसकी तह में नहीं पहुंचना चाहिए की बोर्ड अध्यक्ष ब्रिगेडियर राजीव कुमार, सीईओ ज्योति कुमार व नामित सदस्य डा. सतीश शर्मा ने साइन करने से पहले ट्रेड लाइसेंस की फाइल का अवलोकन करना क्यों जरूरी नहीं समझा। या फिर यह मान लिया जाए कि 22B की सच्चाई पर पर्दा डालने का काम  बोर्ड के  एई व जेई तथा सेनेट्री सेक्शन हेड व इंस्पेक्टर ने किया। यदि इस बात को भी मान लिया जाए कि इस चर्चित व हाईकोर्ट के आदेश पर फाइलों में सील इस बंगले की सच्चाई को छिपाने का प्रयास किया गया तो फिर कैंट प्रशासन के उच्च पदस्थ अधिकारी यह स्पष्ट करें कि सच्चाई सामने आने के बाद जिन्होंने सच्चाई को छिपाने की साजिश की उन तमाम लोगों पर कार्रवाई किस कारण से नहीं की गयी। सेनेट्री सेक्शन के एक सफाई निरीक्षक अभिषेक गंगवार की ही अकेले बलि क्यों ली गयी। या फिर यह मान लिया जाए कि  गुनाह में सभी बराबर के शरीक हें। कम कोई नहीं। क्रोनालॉजी समझ लीजिए। ट्रेड लाइसेंस के लिए आवेदन 18 जून, जेई अवधेश यादव व एई पीयूष गोतम की रिपोर्ट 20 जून, सेनेट्री हेड व इंस्पेक्टर की रिपोर्ट 25 जून, 27 जून को सरकुलर एजेंडा के प्रस्ताव संख्या 22 पर 27 जून को अध्यक्ष, सीईओ व नामित सदस्य के साइन। महज एक सप्ताह का वक्त ओर पिछली तारीख यानि 1-4-2022 को लाइसेंस जारी।

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