कैंट अफसर रहे बेखबर-फड़ बनी दुकानें

कैंट अफसर रहे बेखबर-फड़ बनी दुकानें
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कैंट अफसर रहे बेखबर-फड़ बनी दुकानें, कैंट बाेर्ड मेरठ के करीब पचास साल पुराने शास्त्री मूर्ति गढ़ा मार्केट में 64 लोगों को फड़ अलाट की गयी थीं। हिदायत थी कि इन पर न तो चार दीवारी की जाएगी न ही छत डाल सकते हैं, लेकिन हैरानी देखिए कि कैंट बोर्ड की फाइलों में जो पड़ थीं वो पक्की दुकानें बन गयी हैं। इतना ही नहीं इनमें से आठ से दस को बीस लाख तक बेचा भी जा चुका है। लेकिन इससे भी बड़ी हैरानी यह कि फड़ों को पक्की दुकानें बनने और इन दुकानों को किसी थर्ड पार्टी को बेच की भनक तक कैँट अफसरोें को या तो लग नहीं पायी या फिर मलाई में उनका हिस्सा था। ऐसा ही खेल एक बार फिर होता दिखाई दे रहा है। 64 में से 31 फड़ ऐसी हैं जिनको निरस्त कर दिया गया है। ये वो फड हैं जिनके नाम अलाटमेंट हुआ वो इस दुनिया में नहीं रहे और उनके आश्रित इन्हें चला रहे हैं। इतने से करीब आठ से दस ऐसी फड हैं जो भारी भरकम रकम लेकर बेच दी गयीं। इस सारे खेल का खुलासा तब हुआ जब फड दुकानदारों को रैपिड के नाम पर यहां से शिफ्ट किए जाने की बात आयी। इन्हें या तो आबूलेन होटल अमृत की पार्केिंया या फिर बाउंड्री रोड नाले पर शिफ्टिंग की बात चल रही है। बोर्ड के मनोनीत सदस्य डा. सतीश शर्मा से कुछ फड़ दुकानदार मिले थे। उन्होंने कैंट बाेर्ड के रेवैन्यू सेक्शन की पोल पट्टी खेल कर रख दी। नए स्थान पर फड के नाम पर फड़ के नाम पर पांच-पांच लाख मांगे जा रहे हैं। रेवैन्यू के स्टाप पर जो आरोप हैं उसकी जांच तो बनती है, लेकिन उससे भी बड़ी बात यह कि जब फड़ अलाट की गयी थीं तो वो दुकानें कैसे बन गयी। दुकानें भी पक्की जिन पर लैटर व शटर दोनों हैं, क्या बोर्ड प्रशासन इसकी जांच कराने की जहमत उठाएगा या फिर फड बनाम दुकान के खेल की भी शिकायत डिफैंस मिनिस्ट्री में किए जाने का इंतजार किया जा रहा है।

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