22बी-सेनेट्री की आफत-इंजी. को राहत, छावनी के बाउंड्री रोड स्थित बंगला नंबर 22बी कैट बोर्ड मेरठ की फाइलों में हाईकोर्ट के आदेश पर जिस पर सील लगी है, यह बात अलग है कि सील के बाद भी वहां होटल, रेस्टोरेंट और बार चल रहा है, उसका ट्रेड लाइसेंस के सवाल पर कैंट बोर्ड के सेनेट्री विभाग पर पूरी आफत आयी हुई है, लेकिन इंजीनियरिंग सेक्शन को राहत देने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। कार्रवाई के नाम पर की जा रही कार्रवाई पर सवाल तो बनता है। क्योंकि सील 22बी का ट्रेड लाइसेंस बना है तो इंजीनियर सेक्शन हेड के साइन के बगैर यह फाइल आगे नहीं बढ़ सकती। केवल सेक्शन हेड ही नहीं जेई के भी इस पर साइन हैं, फिर अकेले सेनेट्री सेक्शन हेड और जेई को कारण बताओ या यनि सोकाॅज नोटिस क्यों। कुछ भी यदि गलत है तो फिर कार्रवाई में ईमानदारी नजर भी आनी चाहिए। गलत की पैरवी नहीं, लेकिन यदि गलत के खिलाफ कार्रवाई है तो वो सही होनी चाहिए। अपनो पे करम गैरो पर सितम कार्रवाई में नजर आएगा तो स्टाफ में भी सुगबुगाहट होगी। भले ही स्टाफ खुलकर कुछ न बोले। यह बात तो हुई 22बी के ट्रेड लाइसेंस की। अब इससे बड़ी बात हाईकोर्ट के अवैध निर्माण पर रोक के सख्त आदेश। फाइल में आदेश मौजूद, फिर कैसे वहां 22बी बंगले में अवैध रूप से होटल के लिए रूम, आलीशान रेस्टोरेंट और बार चल रहा है। कैंट इलाके में बार के लाइसेंस के लिए भी संभवत़ एनओसी भी कैंट बोर्ड से मांगी जाती है। लेकिन जब कैंट बोर्ड के उच्च पदस्थ अफसर खुद ही 22बी के लिए ट्रेड का लाइसेंस ट्रे में सजाकर लेकर जाएगे तो फिर क्या तो हाईकोर्ट के आदेश और क्या अवैध निर्माण को रोकने के लिए सील का तमाश। संबंधित भले ही कुछ भी सफाई बिजिलेंस आफिसर बनाकर भेजे गए डायरेक्टर मध्यम कमान डीएन यादव के सफाई देते रहें, लेकिन 22बी मामले में दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली नजर आती है। बड़ा सवाल गलती पर कार्रवाई क्या और कहां तक।