कैसे बने निपुण एक पांव मेरठ तो दूसरा हाईकोर्ट में

कैसे बने निपुण एक पांव मेरठ तो दूसरा हाईकोर्ट में
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कैसे बने निपुण एक पांव मेरठ तो दूसरा हाईकोर्ट में, 

-लखनऊ की फटकार का नजला मेरठ में तो दे दिए सामुहिक इस्तीफों

-एसआरजी व एआरपी के सामुहित इस्तीफों से महकमे में मचा है हड़कंप

मेरठ। बच्चों को निपुण बनाने के लिए चलाए जा रहे निपुण भारत अभियान को अफसर ही पलीता लगाने पर तुले हैं। दरअसल सारा कसूर अफसरों का भी नहीं, हो यह रहा है कि मेरठ में परिषदीय स्कूलों के अफसर का एक पांव मेरठ में तो दूसरा इलाहाबाद हाईकोर्ट में रहता है। पुराने चले रह मामलों की पैरवी के चलते सारा ध्यान इलाहाबाद हाईकोर्ट में पड़े रहने के चलते पीएम व सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जा रहा निपुण भारत अभियान मेरठ में तो दम तोड़ता नजर आ रहा है। निपुण भारत अभियान की जो दशा बनाकर रख दी गयी है वो केवल परिषदीय स्कूलों की चिंता का कारण नहीं बल्कि प्रशासन के बड़े अफसर भी खासे चिंतित हैं। दरअसल पूर्ववर्ती अफसरों तथा उनके चहेते लिपिकों की कारगुजारियों के चलते दर्जनों मुकदमे लाद दिए गए हैं। इन मुकदमों के बोझ से परिषदीय स्कूल के अफसरों की कमर टूटी जा रही है।

मेरठ पर फीसड्डी का तमगा

परिषदीय स्कूलों के बच्चों को निपुण बनाने में जनपद मेरठ की आउटपुट बेहद खराब है। महानिदेशक शिक्षा की समीक्षा बैठक में प्रदेश के अन्य जनपदों खासतौर से वेस्ट यूपी के जनपद हैं उनमें मेरठ का रिपोर्ट कार्ड खराब रहा। मेरठ को फिसड्डी घोषित किया गया। जो समीक्षा बैठक में पहुंचे थे, उनको अपरोक्ष रूप से कड़ी फटकार भी लगायी गयी। साथ ही यह भी साफ हो गया है कि सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट निपुणता अभियान मेरठ में बेसिक के अफसरों की अकर्मणता के चलते अकाल मौत मर रहा है। मेरठ के अफसरों के प्रदर्शन ने महानिदेशक शिक्षा समेत लखनऊ में बैठने वाले महकमे के कतई खुश नहीं।

नजला गिरा मेरठ में

निपुणता अभियान को लेकर पिछले दिनों जब लखनऊ में मेरठी अफसरों से सख्त लहजे में बात की गयी तो उसका साइड इफैक्ट होगा यह तो पहले से ही सभी माने बैठे थे, लेकिन साइड इफैक्ट के चलते एसआरजी और एआरजी के इस्तीफों की नौबत आ जाएगी यह शायद किसी ने सोचा नहीं था लेकिन ऐसा हो गया है। मेरठ बेसिक शिक्षा विभाग के 44 एसआरजी और एआरपी के सामुहिक इस्तीफे हो गए हैं। जानकारों की मानें तो विगत दिनों ये सामुहित इस्तीफे बीएसए, सीडीओ और डॉयट आफिस में रिसीव करा दिए गए हैं। साथ ही कहा है कि उन्हें उनके मूल कार्य मेंं वापस यानि  जिस स्कूल से बुलाकर उन्हें इस काम में लगाया गया है उसमें भी वापस कर दिया जाए। यहां यह भी गौरतलब है कि सभी एआरपी का कार्यकाल मार्च माह में पूरा हो रहा है।

आल इस वैल दिखाने का प्रेशर 

मेरठ की डांट फटकार का नजला मेरठ में गिराए जाने के बाद सामुहिक इस्तीफे देने वाले एसआरजी व एआरजी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर आरोप लगाया है कि उन पर आल इज वैल दिखाने का भारी प्रेशर होता है। जबकि सूबे की सरकार ने उन्हें आइने की तर्ज पर रिपोर्ट सबमिट करने का काम सौंपा है, लेकिन स्थानीय स्तर पर अधिकारी उन्हें स्कूलों में आल इव वैल दिखाने का प्रेशर डालते हैं। जबकि आल इज वैल सरीखे हालात नहीं हैं। यहां तक कहा जाता है कि हालात वाकई बेहद खराब हैं, लेकिन अफसर चाहते हैं कि आल इज वैल की आन लाइन रिपोर्ट सबमिट की जानी चाहिए। मसलन प्रेरणा ऐप पर उपस्थित शत प्रतिशत दिखाने का प्रेशर भले ही उपस्थित कम ही क्यों न हो। इनके लिए सेलरी रोकने की धमकी दी जाती है। ऐसी तमाम बाते हैं जिसके चलते इस्तीफा देने की मजबूरी थी।

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