45-BI Line: रिज्यूम नहीं-अवैध निर्माण

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45-BI Line: रिज्यूम नहीं-अवैध निर्माण, भारत सरकार के जिस बंगले को सेना की जरूरत को देखते हुए रिज्यूम (वहां काविज लोगों से कब्जा लेकर खाली कराया जाना था), उस बंगले में कैंट प्रशासन के कुछ उच्च पदस्थ अफसरों की कथित लापरवाही के चलते भारी भरकम अवैध निर्माण कर दिया गया। जानकारों का मानना है कि ऐसी कारगुजारियों के चलते कैंट प्रशासन के उच्च पदस्थ अफसरों को अक्सर विभागीय या फिर सीबीआई सरीखी केंद्र की बड़ी जांच ऐजेन्सियों के सवालों का सामना करना पड़ता है। मेरठ छावनी के बीआई लाइन स्थित बंगला 45 की यदि बात की जाए तो मामला इस बंगले में केवल अवैध निर्माण तक सीमित नहीं है, अपरोक्ष रूप से यह मामला काफी आगे बढ़ गया है और ऐसे ही मामले केवल सेना की सुरक्षा ही नहीं कई बार सैन्य प्रशासन के उच्च पदस्थ अफसरों के लिए भी मुसीबत का कारण बनते हैं, लेकिन हैरानी इस बात की है कि मामला इतना गंभीर होने के बाद भी इसके लिए जिम्मेदार माने जा रहे कैंट अफसर या तो मामले की गंभीरता को समझने को तैयार नहीं या फिर यह मान लिया जाए कि वस्तु स्थिति को लेकर अभी तक कुछ तत्वों ने अंधेरे में रखा हुआ है।

आर्मी हायरिंग पर है बंगला:

मेरठ छावनी के बीआई लाइन स्थित बंगला 45 आर्मी हायरिंग पर है। छावनी क्षेत्र की जिस संपत्ति से आर्मी का कनेक्शन जुड़ जाता है, उसको लेकर जितनी संवेदनशीलता या कहें चौकसी कैंट प्रशासन के अफसरों से आमतौर पर बरती जानी चाहिए इस बंगले में वैसी सतर्कता बरती गयी हो, ऐसा लगता तो नहीं, क्योंकि यदि सतर्कता बरती गयी होती तो अवैध निर्माण का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। फिर ऐसा क्या कारण है कि जो आर्मी हायरिंग का जो बंगला रिज्यूम किया जाना चाहिए था, उसमें बड़ा अवैध निर्माण हो जाता है और इसको रोकने के लिए जिनकी जिम्मेदारी है, वो बजाए जेसीबी भेजने के हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।

नोटिस ताकि खुद रहे सलामत:

इस बंगले में कार्रवाई के नाम पर केवल इतना किया गया है कि रक्षा संपदा कार्यालय प्रशासन ने केवल बंगले के गेट पर कुछ माह पूर्व एक नोटिस चस्पा कर दिया था। नोटिस चस्पा किए जाने के बाद आगे कुछ कार्रवाई डीईओ सरीखे बड़े अफसर के स्तर से की गयी हो, ऐसा याद नहीं आता। वहीं दूसरी ओर यह भी माना जाता है कि जिन बंगलों में दबंगई के चलते डीईओ या फिर कैंट बोर्ड के स्टाफ को भीतर नहीं घुसने दिया जाता, उन्हीं बंगलों पर नोटिस चस्पा किए जाते हैं। जानकारों का कहना है कि नोटिस-नोटिस का खेल तब होता है कि जब या तो अवैध निर्माण करने वालों से हाथ मिला लिया हो या फिर ऐसे मामलों में रक्षा मंत्रालय स्तर से जांच की स्थिति में खुद के बचने का रास्ता निकाला जा सके। इनमें से कौन सी बात सही है यह तो नोटिस चस्पा कराने वाले अधिकारी ही स्पष्ट कर सकते हैं। लेकिन इतना जरूर है कि इस नोटिस के बाद भी अवैध निर्माण को लेकर कोई रिजल्ट सामने आया हो, ऐसा नजर नहीं आता।

रिज्यूम किए जाने वाले बंगलों की सूची में शामिल

मेरठ छावनी के जिन बंगलों को रिज्यूम किया जाना है उनमें बीआई लाइन 45 बंगला भी शामिल है। इसकी पुष्टि विगत 3 मई 2021 को GE (North) कार्यालय से सब एरिया स्टेशन हेड क्वार्टर पश्चिम क्षेत्र को भेजे गए पत्र से होती है। इस पत्र में इस बंगले की भौगोलिक स्थिति को लेकर तमाम बातों से स्टेशन हैड क्वार्टर में बैठने वाले फौजी अफसरों को अवगत कराया गया है। जिन बातों का उल्लेख 3 मई 2021 को GE (North) कार्यालय से सब एरिया स्टेशन हेड क्वार्टर पश्चिम क्षेत्र को भेजे गए पत्र में किया गया है उन्हें वाकई गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है, लेकिन बड़ा सवाल यही कि क्या उन तमाम सवालों को जो पत्र में उठाए गए हैं गंभीरता से लेते हुए अवैध निर्माण से लवरेज बंगला 45 बीआई लाइन को रिज्यूम कराए जाने की पहल की जा सकेगी।

सेना के प्रोटोकाल ताक पर

छावनी क्षेत्र में जितने भी बंगले स्थित हैं उनकी भौगोलिक स्थिति खासतौर से बाउंड्री वाल को लेकर सेना ने कुछ प्रोटोकाल तय किए गए हैं, इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रोटोकाल बंगलों की चार दीवारी की हाइट है, कई बार ऐसा होता है कि बंगले की चार दिवारी की हाईट  तो तय मानकों के अनुसार की करायी जाती है लेकिन उस हाईट के इतर दीवार के ऊपर लाेहे की ग्रील लगवा दी जाती हैं। उन ग्रील से ऊपर पेड़ों की हैज लगवा दी जाती है ताकि जो अवैध निर्माण कराया गया है उस पर नजर न जाए। सेना के बंगलों की बाउंड्री को लेकर तय किए गए प्रोटोकाल के मुताबिक बाउंड्री वाल इस प्रकार की होनी चाहिए कि बाहर से खड़े होकर पूरी बंगले का भीतर का नजारा किया जा सके, लेकिन बीआई लाइन 45 में ऐसा कुछ नहीं किया जा सकता। इतना गंभीर वायलेंस होने के बाद भी बंगला रिज्यूम न किया जाना सवाल तो पूछा जाएगा।

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