एक लाख से जीत का दावा, भाजपा का युवा चेहरा और मेरठ नगर निगम के महापौर के चुनाव में इलेक्शन मेनेजमेंट टीम का हिस्सा व भाजपा में अब तक कई दायित्व पूरी जिम्मेदारी से अंजाम देने वाले अश्वनी कांबोज ने दावा किया है भारतीय जनता पार्टी के महापौर प्रत्याशी हरिकांत अहलूवालिया करीब एक लाख मतों से जीत रहे हैं. अश्वनी कांबोज जीत की गारंटी तक दे रहे हैं. अपने दावे के पीछे वह पूरा गणित भी समझाते हैं. न्यूज ट्रैकर संवाददाता से एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने जीत का पूरा गणित समझाया. उन्होंने इस बात को एक सिरे से खारिज कर दिया कि मुसलमान भाजपा के साथ नहीं है. अश्वनी जोर देकर कहते हैं कि यदि ऐसा होता तो इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम भाजपा का समर्थन ना कर रहे होते, सच्चाई तो यह है कि मेरठ ही नहीं बल्कि देश व प्रदेश के मुसलमानों को समझ में आ गया है कि उनके हित पीएम मोदी व सीएम योगी के हाथों सुरक्षित हैं, इसलिए मुस्लिम समाज कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने जो खाई बना दी उसको पाटकर भाजपा के करीब आने को बेताब है. जीत का गणित समझाते हुए उन्होंने बताया कि तीन लाख से ज्यादा ओसीबी व दलित में अस्सी फीसदी भाजपा के साथ है, गठबंधन प्रत्याशी भले ही कितने ही हवाई दावे करें, लेकिन जाट और गुर्जर भी समाज पहले भी आज का के साथ था और आज भी भाजपा के साथ है. इसके अलावा मेरठ नगर निगम क्षेत्र की यदि बात की जाए तो शत प्रतिशत वैश्य, ब्राह्मण-त्यागी, राजपूत के अलावा विशेष तौर से पंजाबी समाज भी भाजपा के साथ है. अश्श्वनी कांबोज का कहना है कि गठबंधन प्रत्याशी भाजपा के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, अभी ताे उनका चुनाव सपाइयों से हो रहा है. सीमा प्रधान जब तक सपाइयों की नाराजगी दूर करेंगी तब तक नगर निगम मेरठ का चुनाव निपट चुका होगा. इस चुनाव में कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी की जमानत जब्त होनी तय है यह बात लिख लीजिए. जहां तक मतदान की बात है तो गठबंधन प्रत्याशी की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास बस्ते तक संभालने वालों का भारी टोटा है. मेरठ नगर निगम का चुनाव भाजपा प्रत्याशी करीब एक लाख मतों से जीतने जा रहे हैं. उनके इस दावे के पीछे भाजपा के प्रदेश भाजपाध्यक्ष के निर्देशन में सांसद, विधायक, क्षेत्रीय अध्यक्ष व महानगर संगठन व एक-एक कार्यकर्ता का परिश्रम है. उन्होंने जोर देकर कहा कि टिकट वितरण को लेकर कहीं कोई नाराजगी नहीं है. मांगते सभी हैं, लेकिन जिसको टिकट मिल जाता है, बाद में सभी एकजुट होकर उसी को चुनाव लड़ाते हैं. यही भाजपा की अब तक की रीत रही है.