गजब! बगैर स्टाफ के रिलीज हो रही थी सेलरी, उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के मेरठ के शास्त्रीनगर स्थित संपत्ति प्रबंधक की कथित रूप से चौंकाने वाले कारगुजारी सामने आयी है। ऐसे कर्मचारी के नाम पर सेलरी रिलीज की जा रही थी जो अरसे पहले नौकरी छोड़कर जा चुका था। नौबत यही तक होती तो भी गनीमत थी। दरअसल किया यह गया कि जो कर्मचारी करीब एक साल पहले नौकरी छोड़कर चल गया था, उसकी पूर्ति के नाम एक अन्य कर्मचारी की कागजों में भर्ती कर ली गयी। कागजों में भर्ती करने की जल्दबाजी या कहें चूक में यह भूल गए कि केवल कागजों में जिस नितिन नाम के कर्मचारी की भर्ती की गयी है सरकार से उसकी सेलरी बजाए नितिन नाम के किसी बैंक खाते में भिजवाने के जो पूर्ववर्ती कमल नाम का कर्मचारी था और एक साल पहले नौकरी छोड़ जा चुका था, उसके ही खाते में सेलरी भेजी जाती रही। आरोप है कि कमल के खाते में महज फाइल में भर्ती नितिन काम के स्टाफ की सेलरी कमल से बाद में नकद ले ली जाती थी। इस सारे खेल का खुलासा आवास विकास के संपत्ति प्रंबधक से आरटीआई के तहत मांगी गयी जानकारी में हुआ है।
आवास आयुक्त से शिकायत
मेरठ जनपद के पचगांव पट्टी पोस्ट सिसाैली निवासी सतीश शर्मा पुत्र नत्थू सिंह ने विगत 17 जुलाई को प्रदेश के आवास आयुक्त को भेजे एक पत्र में अवगत कराया कि आवास विकास परिषद के संपत्ति प्रबंधक केशवराम आटउसोर्सिंग से नियुक्त चार कर्मचारियों के स्थान पर पांच कर्मचारियों की नियुक्ति प्रमाणित कर एक कर्मचारी का मानदेय स्वयं हड़पने का कृत्य कर शासन को राजस्व की हानि पहुंचाने का कृत्य कर रहे हैं। यह भी अवगत कराया गया कि संपत्ति प्रबंधक के भ्रष्टाचार तथा पदीय दायित्वों के प्रति उनकी उदासीनता की एक शिकायत सीएम से की गयी थी।
सीएम कार्यालय ने लिया संज्ञान:
गंभीर आरोप लगाकर की गई शिकायत का संज्ञान उप सचिव सिद्ध शरण पांडेय सीएम कार्यालय लखनऊ के द्वारा 29 मई 2023 को लिया गया तथा चार बिंदुओं पर आख्या मांगी गयी। इसका आईजीआरएस संख्या 12138230095168 था। संपत्ति प्रबंधक केशव राम ने उक्त प्रकरण का निस्तारण 15 जून 2023 को किया तो लेकर मगर अपने कृत्यों पर पर्दा डालने के नाम पर आईजीआरएस संख्या में खेल कर दिया। उक्त आईजीआरए संख्या में सापेक्ष जवाब में जो आईजीआरएस संख्या डाली गयी -1213820095168- थी। इस संख्या में तीन का अंक गायब कर सीएम कार्यालय के उपसचिव को भेजी आख्या में मामले को निस्तारित बता दिया। सतीश का आरोप है कि आईजीआरएस संख्या में की गयी इस गड़बड़ी से संपत्ति प्रबंधक की मंशा साफ हो गयी।
ऐसे हुआ खेल का खुलासा:
आयुक्त आवास उत्तर प्रदेश को अवगत कराया गया कि संपत्ति प्रबंधक के खेल का खुलासा दरअसल मन्नु सिंह एडवोकेट लॉ चैम्बर्स सिविल लाइन मेरठ द्वारा आईटीआई के तहत मांगी गयी एक सूचना से हुआ। उन्होंने आउटसोर्स के कर्मचारियों के संबंध में सूचना मांगी थी। उन्हें जो सूचना भेजी गयी उसमें चार कर्मचारियों के आउटसोर्स के होने की जानकारी दी गयी थी।
ऐसे हुआ पर्दाफाश:
इस पूरे मामले का पर्दाफाश संपत्ति प्रबंधक द्वारा आउटसोर्स कंपनी ब्लू टाइगर्स को कर्मचारियों की उपस्थित प्रमाणित कर एक पत्र विगत 10 जनवरी 2023 को भेजा गया था। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद संपत्ति प्रबंधक कार्यालय के लेटर पेड पर प्रबंधक ब्लू टागर्स सिक्योरिटी गार्ड सर्विस को पांच कर्मचारियों की उपस्थित प्रमाणित कर भेजी गयी थी। जिन कर्मचारियों के नामों की उपस्थिति प्रमाणित कर भेजी गयी थी उनमें आशीष मुकुट पुत्र महेन्द्र मुकुट, तुषार यादव पुत्र चंद्रशेखर, कशिश बंसल पुत्र अजय गुप्ता, नितिन शर्मा पुत्र राजेश शर्मा व अभिनव शर्मा पुत्र कुलदीप शर्मा शामिल हैं। सभी आउटसोर्स कर्मचारियों के नाम के सामने उनके कार्य करने की अवधि भी दर्शायी गयी थी। इनमें कंप्यूटर आपरेटर, तीन स्किल्ड व एक नॉन स्किल्ड का उल्लेख सहायक आवास आयुक्त श्रम केशव राम के हस्ताक्षर से किया गया है। इस पत्र के बाद कहने सुनने की कुछ भी गुंजाइश नहीं रह गयी। दूध का दूध पानी का पानी हो गया।
खुलासे के बाद लीपापोती:
मामले को सीएम कार्यालय तक पहुंचाने वालों का कहना है कि मामले को जिस प्रकार से आईजीआरएस संख्या के अंक तीन को गायब कर खेल किया गया है वो पकड़ में आ गया। यह भी साफ हो गया कि नितिन नाम के जिस कर्मचारी की सेलरी डकारी जाती थी उस नाम का कोई कर्मचारी था ही नहीं और कमल नाम का जो कर्मचारी नहीं था उसके खाते में ही नितिन के नाम के कर्मचारी की सेलरी आउटसोर्स कंपनी से ट्रांसफर करायी जा रही थी। बताया गया है कि इस सारे खेल से पर्दा उठ जाने के बाद अब कहीं जाकर किसी नितिन नाम के स्टाफ को भर्ती किया गया है।
वर्जन
इस प्रकरण का निस्तारण कर दिया गया है। जिस कर्मी की सेलरी का प्रकरण है वह निपट गया है। मुख्यालय को अवगत करा दिया गया है। मैं अभी मुख्यालय लखनऊ में आया हुआ हूं। विस्तार से जानकारी मेरठ लौटने पर दे दूंगा। यह मामला कुछ भी नहीं था।
केशवराम
संपत्ति प्रबंधक
आवास विकास परिषद उत्तर प्रदेश मेरठ