तीन साल में दो सौ पर गैंगस्टर-फिर भी नहीं रूक रही गोकशी, तीन साल में हिस्ट्रीशीट खोलकर मेरठ पुलिस करीब दो सौ पर गैंगस्टर की कार्रवाई कर चुकी। छह सौ से ज्यादा को जेल भेज चुकी है। लगभग पांच सौ ऐसे मीट माफियाओं पर जो गोकशी से जुड़े रहे हैं उन पर एफआईआर कर चुकी है, लेकिन इसके बाद भी मेरठ में गोकशी रूकने का नाम नहीं ले रही है तथा गोकशी करने वाले लगता है पुलिस पर भारी पड़ रहे हैं। यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि पिछले माह बीते बीस अगस्त को जनपद के किठौर थाना इलाके के गांव असीलपुर में गोकशी के मुकदमें में वांछित अपराधी आरिफ पुत्र साबिर को उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर छुड़ा लिया। आरोपी वहां से फरार हो गया था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इस प्रकार की घटनाएं पूर्व में भी हो चुकी हैं। ये आंकड़े पुलिस के हैं। मिशन कंपाउंड निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी गोकशी की घटनाओं पर लगातार नजर रखे हैं। सूचना के अधिकारी अधिनियम 2006 के तहत पुलिस महकमे से मांगी गयी जानकारी में उक्त आंकड़े प्रकाश में आए हैं। ऐसा नहीं कि पुलिस कार्रवाई में कोताही बरत रही है, इसके इतर भी गोवंश की हत्या रूकती नजर नहीं आ रही हैं।
इरादे नापाक-हौसले बुलंद
केस-एक
बीते साल 21 जून को थाना मुंडाली व भावनपुर में एक दिन वो भी मंगलवार यानि नॉनवेज से परहेज वाले दिन मीट तस्करों ने जंगल में बेहसरा घूमने वाले गोवंश का कटान कर डाला। घटना को लेकर हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने गांव वालों के साथ मिलकर जबरदस्त प्रदर्शन किया था। गाेवंश कटान की उक्त घटना से इलाके का माहौल खराब हो गया पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद मामला शांत किया।
केस-दो
गोकशी के अपराधियों की बात की जाए तो उनके इरादे पूरी तरह से नापक और कानून से बेखौफ इन अपराधियों के हौसले भी बुलंद लगते हैं। इनके कृत्यों की वजह से कई बार माहौल भी खराब होते-होते बचा। बीते साल 2022 को गोकशी के लिए खासे बदनाम सरूरपुल थाना इलाके के मीट माफियाओं ने 18 अगस्त 2022 को मीट माफियाओं ने एक गाय काट दी। इसको लेकर हिन्दू संगठनों ने जमकर हंगामा किया था। काटी गयी गाय का सिर सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया। जिसके बाद वहां इलाने में माहौल में तलखी देखी गयी। लेकिन चंद रोज बाद इसी थाना के मैनापूठी इलाके में जन्माष्टमी के दिन गाय काटकर पुलिस को चुनौती दे डाली। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इरादे कितने नापक और हौसले कितने बुलंद हैं।
सस्पेंड हुई थी पूरी चौकी:
मैनापूठी में जन्माष्टी में दिन गोकशी के चलते तत्कालीन एसएसपी ने चौकी प्रभारी समेत चार सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया था।
केस-तीन
बीते साल 12 नवंबर साल 2022 को कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के पठानपुरा इलाके में शिव मंदिर के पास मुश्किल से दो सौ मीटर की दूरी पर मीट माफियाओं ने गोंवश का वध कर डाला। उक्त घटना को लेकर हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था। मामले को शांत करने में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। इस मामले में भी मेनापूठी की तरह इलाके का माहौल खराब करने का पूरा प्रयास किया गया।
केस-चार
बीते माह 18 अगस्त को इंचौली थाना के गांव मैथना में मीट माफियाओं ने एक खेत में गोवंश काट डाले। घटना की जानकारी मिलने पर पूरा गांव वहां जमा हो गया। गोवंश कटान को लेकर गांव वालों ने पुलिस वालों को ही कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया था कि इंचौली थाना में तमाम दावों के बाद भी पुलिस वाले गोवंश की हत्या करने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रही है।
खुद ही गोकशी-खुद ही हंगामा
गोकशी करने वाले किसी भी हद तक जा सकते हैं इसकी जिंदा मिसाल 12 नवंबर 2022 की भावनपुर थाना के गांव स्याल की घटना है जहां गोकशी को लेकर हिन्दू संगठन के लोगों ने हंगामा किया। थाने पर हनुमान चालिसा की, लेकिन जब पुलिस मामले की तह तक पहुंची तो सनसनी खेज खुलासा हुआ। जो लोग गोकशी को लेकर हंगामा कर रहे थे, जांच में पता चला कि उन्होंने ही गोकशी थी।
एनकाउंटर भी कम नहीं
ऐसा नहीं कि गोकशी को लेकर पुलिस सख्त नहीं है। आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी को आरटीआई के तहत मांगी गयी सूचना में पुलिस महकने से जानकारी दी गयी कि साल 2020 से 2023 के बीच मुठभेड़ पुलिस ने करीब तीस गोंवशों को बचाया। इस अवधि में छह सौ से ज्यादा मीट माफियाओं व अवैध कटान करने वालों को जेल भेजा गया। इतना ही नहीं गोकशी करने वाले करीब साढे़ चार सौ लोग चिन्हित भी किए गए। लेकिन गोकशी है कि रूकने का नाम नहीं ले रही। बीते माह के अंतिम सप्ताह में पुलिस ने तीन दिन लगातार अवैध कटान करने वालों का एनकाउंटर किया।
चेकिंग नहीं
सूत्रों के मुताबिक आसपास के जिलों से मेरठ में भारी मात्रा में तस्करी कर गोवंश लाए जा रहे हैं। अक्सर रात में ट्रक, डीसीएम या छोटे हाथी में भरकर लाए जाने वाले गोवंश मेरठ की सीमा में एंर्ट्री से पहले पुलिस चेक पोस्ट से होकर गुजरते हैं। मगर इन चेक पोस्ट पर पुलिस द्वारा गोवंश लादकर शहर की सीमा में एंट्री कर रहे वाहनों की चेकिंग नहीं की जाती है। सूत्रों के मुताबिक इन चेक पोस्ट पर पहले से इस ऐसे वाहनों को ग्रीन सिग्नल देने के लिए हफ्ता बंधा होता है। इसी के चलते तस्कर गोवंश को लेकर मेरठ की सीमा में आसानी से एंट्री कर जाते हैं।
ये हैं चेक पोस्ट
1. परतापुर तिराहा
2. मोदीपुरम फ्लाईओवर के नीचे
3. तेजगढ़ी
4. गंगानगर
5. कंकरखेड़ा शिवचौक
सेटिंग-गेटिंग का खेल
सुनने मे आया है कि अवैध कटान और गो-तस्करों का थाना स्तर पर भी हफ्ता बंधा होता है। जिले की सीमा में एंट्री के बाद कटान करने वाली जगहों से संबंधित थानों में माह दर माह और साल दर साल हफ्ता पहुंचता रहता है। गोकशी के मामलों में गोतस्करों और गोकशों पर तो खानापूर्ति के लिए कार्रवाई हो जाती है लेकिन पुलिस कभी इन्हें संरक्षण देने वालों के गिरेबां पर हाथ नहीं डालती। जिले के जिन एरिया में सबसे ज्यादा गोकशी की घटनाएं सामने आती हैं, उनमें आज तक गोकशी बंद नहीं हुई है। इसी के चलते पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठते हैं।
यहां सबसे ज्यादा गोकशी के मामले
1. भावनपुर
2. किठौर
3. खरखौदा
4. लिसाड़ी गेट
5. परतापुर
6. कोतवाली
7. इंचौली
8. मुंडाली
9. किठौर
10. सरधना (सबसे ज्यादा गोकशी की घटनाएं)
सुरक्षित नहीं गोवंश
सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद सड़क पर घूमने वाले गोवंश सुरक्षित नहीं है। सूत्रों की मुताबिक गोतस्कर अलग-अलग इलाकों में गली-मोहल्ले, कॉलोनी या फिर सड़क पर घूमते गोवंश को चिन्हित कर उठा ले जाते हैं। गोतस्कर इतने एक्सपर्ट होते है कि ये गोवंश को उठाने के लिए फोर व्हीलर गाडि़यों का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, एक गाड़ी में एक बार में चार से पांच गोवंश आ जाते हैं और किसी को भनक भी नहीं लगती। इसके बाद इन गोवंश को तस्करी कर कटान सेंटर पर पहुंचा दिया जाता है।
यह कहना है मनोज चौधरी का
यह कहना है एसएसपी का