सीबीआई तक पहुंचा कैंट बोर्ड का होर्डिंग घपला

सीबीआई तक पहुंचा कैंट बोर्ड का होर्डिंग घपला
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सीबीआई तक पहुंचा कैंट बोर्ड का होर्डिंग घपला, कैंट बोर्ड अफसरों द्वारा  होर्डिंग ठेका की नीलामी में कथित रूप से किए गए घपले का मामला डायरेक्टर सीबीआई तक पहुंच गया है। इस संबंध में एक पत्र डायरेक्टर सीबीआई सीजीओ कांप्लैक्स लोधी कालोनी नई दिल्ली को भेजा गया है। इससे पूर्व इस मामले की शिकायत देश के रक्षा मंत्री व गृह मंत्री को भी भेजी जा चुकी हैं जिस पर जांच के आदेश हो गए हैं।

यह है पूरा मामला:

पत्र में डायरेक्टर सीबीआई को अवगत कराया गया है कि होर्डिंग नीलामी पत्रांक संख्या एमसीबी/108/एमसीबी होर्डिंग यूनिपोल/ 2023-24 दिनांक 13-9-2023 के संबंध में कैन्टोनमेन्ट बोर्ड मेरठ द्वारा भ्रष्टाचार करते हुए लगभग डेढ़ से दो करोड़ रुपए के नुकसान की शिकायत की गयी है।

धमका रहे हैं सीईओ

पूरे मामले को लेकर डायरेक्टर सीबीआई को अवगत कराने वाले सुनील कुमार पुत्र जीत सिंह निवासी 231, पुरानी मोहनपुरी ने आरोप लगाया है कि सीईओ केंट बोर्ड के द्वारा जारी पत्र संख्या एमसीबी/108/आर/हार्डिंग/27-9-2023 के द्वारा कानूनी कार्रवाई की धमकी देने का भी आरोप लगाते हुए अवगत कराया है।

ठेका छोड़ने में गंभीर खामियां

सीबीआई को अवगत कराया गया है कि ई-टेंडरिंग द्वारा यूनिपोल विज्ञापन के ठेके में हुए भ्रष्टाचार के संबंध में मेरठ के सीईओ समेत पूरे बोर्ड के खिलाफ एक शिकायत 2 अक्बतूबर 2023 को रक्षा मंत्री , गृह मंत्री व डायरेक्टर सीबीआई से की गयी थी। जिसके बाद एक जांच आदेश कैंट बोर्ड भेज दिए गए। बकौल सुनील कुमार उस पर संज्ञान लेते हुए सीईओ कैंट बोर्ड के द्वारा एक पत्र में अपना बचाव करते हुए व भ्रष्टाचार को छिपाते हुए काननूी कार्रवाई की धमकी का एक पत्र भेजा गया। सीबीआई डायरेक्टर को भेजे गए पत्र में सुनील कुमार ने मय साक्ष्य पूरे मामले से अवगत कराया है। साथ ही दावा किया गया है कि ये तमाम साक्ष्य कैंट बोर्ड मेरठ के अफसरों का भ्रष्टाचार साबित करने को पर्यापत हैं।

डिफाल्टर को ठेका

पत्र में जानकारी दी गयी है कि कैंट बोर्ड ने विज्ञापन का ठेका मैसर्स एमजी प्रचार प्रा लि को दिया हुआ था। साल 2020 में जो एमजी प्रचार द्वारा कैंट बोर्ड को विज्ञापन ठेके के भुगतान न किए जाने के कारण ठेका निरस्त कर मैसर्स एमजी प्रचार को डिफाल्टर  घोषित कर दिया, जो कि कैन्टोनमेंट बोर्ड  मेरठ के रेजूरेशन सीबी नं. 90/30.9.2020 में अंकित है। उसके उपरांत मैसर्स एमजी प्रचार कंपनी के लगे 74 यूनिपोल, एलईडी व क्योस्क आदि कब्जे में ले लिए।  साथ ही उन्हें कैंट बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दिया।

जब्त माल दे दिया कराए पर

बकौल सुनील डिफाल्टर घोषित किए जाने के बाद एमजी प्रचार के डायरेक्टरों ने दूसरी कंपनी मैसर्स  फिनिक्स मीडिया प्रा. लि. से सांठगांठ कर 1. अक्तूबर 2020 को समस्त जब्त किए यूनीपोल, एलईडी आदि को नाम मात्र का शुल्क लेकर इन्हीं को किराए पर दे दिया। डायरेक्टर सीबीआई को अवगत कराया गया है कि इन दोनों ही फर्मों में सोनल गर्ग व मनोज कुमार सिंहल डायरेक्टर हैं।

तो क्या जब्त संपत्ति कैंट बोर्ड की नहीं 

उपरोक्त यूनीपोल, एलआईडी, क्योस आदि के ठेके को भी सितंबर 2023-24 के ठेके को इन्हीं की फर्म  फिनिक्स मीडिया प्रा. लि. गाजियाबाद को दे दिया गया है। हैरानी तो इस बात की है कि जब्त की गयी यूनीपोल, एलईडी व क्योस्क आदि का कहीं कोई जिक्र नहीं। जबकि डिफाल्डर घोषित कर दिए जाने के बाद जब्त की गयी तमाम उक्त चीजें कैंट बोर्ड की संपत्ति हो गयी हैं।

मानकों के विरूद्ध विज्ञापन पट

यह भी जानकारी दी गयी है कि सैन्य क्षेत्र में विज्ञापन पट लगाना प्रतिबंधित है। परंतु वर्तमान ठेकेदार द्वारा बड़े-बड़े यूनिपोल लगा दिए गए हैं। जबकि छावनी परिषद के गैर प्रतिबंधित क्षेत्रों मे नियमानुसार सिर्फ 450 क्वायर फिट का विज्ञापन करने की अनुमति है। लेकिन यहां आठ सौ से लेकर एक हजार स्कवायर फिट का दोनों तरफ विज्ञापन पट लग रहा है।

गौरव शरण की हो जांच

छावनी परिषद में डिफाल्टर कंपनी एमजीआर को भी प्रचार में शामिल किया हुआ है और उनके यहां काम कर रहे गौरव शरण को 2.40 लाख प्रति वर्ष में क्योस्क का ठेका दे दिया गया है।  जो उन्हीं की फर्म एमजी प्रचार व फिनिक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड कर्मचारी है। इन सबसे मिलीभगत और भ्रष्टाचार की पुष्टी होती है, इसलिए इसकी जांच सीबीआई के हाथाें कराया जाना अनिवार्य है।

सीईओ कर चुके हैं इंकार

होर्डिंग घपले को लेकर जब कैंट बोर्ड के सीईओ से जानकारी ली गयी थी तो उन्होंने किसी जांच या घपले की बात को एक सिरे से खारिज कर दिया था।

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