करीब छह सौ करोड़ की अपनी ही जमीन कब्जों से बेखबर थे अफस
कंकरखेड़ा में सरकारी जमीन पर तीन भूमाफिया कब्जा कर रहे थे बेच
नजूल की भूमि को अवैध कब्जों से बचाने में को-आपरेटिव साेसाइटी के सदस्यों की भूमिका भी संदिग्ध
मेरठ के कंकरखेड़ा क्षेत्र में बाईपास से समीप गांव नगलाताशी से सटी मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन बी-3 स्थित करीब छह सौ करोड़ कीमत की बतायी जा रही सरकारी जमीन पर इलाके के तीन भूमाफियाओं ने कब्जा ही नहीं किया, इस बेशकीमती जमीन में से लगभग सौ करोड़ की जमीन उन्होंने अलग-अलग हिस्सों में खुर्दबुर्द भी कर दी। महानगरीय इलाकों में सरकारी जमीनों को भूमाफियाओ के अवैध कब्जों से बचाने के लिए शासन से भेजे गए अफसरों की नींद जब तक टूटती तब तक काफी देर हो चुकी थी। फिलहाल की यदि बात की जाए तो इस जमीन का बड़ा हिस्सा भूमाफियाओं के कब्जे में है। वहां बड़े स्तर पर अवैध कब्जे ही नहीं किए गए हैं, बल्कि अवैध निर्माण भी कर लिए गए हैं। जब अवैध निर्माण गिराने को एमडीए की टीम पहुंची तो वहां लेने के देने पड़ गए। सरकारी जमीन पर कब्जे कर वहां अवैध निर्माण करने वालों के बचाव में कई सफेदपोश नेता उतर आए। अवैध कब्जों की पैरवी करने वालों को लाल लाल आंखें दिखाने के बजाए एमडीए अफसर बैकफुट पर नजर आए। हालांकि वो यह तो मान रहे हैं जमीन सरकारी है और उस अवैध कब्जे कर लिए गए हैं, लेकिन अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाने के सवाल पर बंगले झांकने लगते हैं।
अवैध कब्जों से बचाने को सोसाइटी का गठन
जिस जमीन को लेकर हंगामा मचा हुआ है उस पर अवैध कब्जों की शिकायत पर करीब डेढ दशक पहले सूबे की तत्कालीन सरकार ने एक कोआपरेटिव सोसाइटी का गठन कर दिया था। लेकिन आरोप है कि इस जमीन को अवैध कब्जों से बचाने के लिए सोसाइटी में शामिल लोगों ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी से नहीं निभाया। नतीजा यह हुआ कि इस इलाके के तीन भूमाफियाओं की छह सौ करोड़ कीमत की बतायी जा रही इस बेशकीमती सरकारी जमीन पर गिद्ध दृष्टि जा लगी। केवल नजर ही नहीं जा टिकी बल्कि शातिराना अंदाजा से कब्जा कर जमीन को अलग-अलग हिस्सों में बेचना भी शुरू कर दिया।
ऐसे किए कब्जे-ऐसे हुआ खुलासा
जो तीन नाम इस जमीन पर कब्जे को लेकर लिए जा रहे हैं नंगलाताशी के लोगों ने बताया कि उन्होंने सरकारी जमीन के आसपास जिन किसानों की जमीन थी उन किसानों से औने पौने रेटों पर जमीन खरीद ली। सरकारी जमीन से लगी किसानों की जमीन खरीदने के बाद ही अवैध कब्जे कर जमीन को बेचना शुरू किया। आरोप है कि जो जमीन किसानों से खरीदी गई थी उस जमीन के पेपर दिखा कर करीब सौ करोड़ की सरकारी जमीन अब तक खुर्दबुर्द की जा चुकी है। मामले का जब खुलासा हुआ तो आनन-फानन में तीन के खिलाफ लिखा पढ़ी कर दी गयी। इनमें से एक शख्स अखिलेश गोयल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। हालांकि कुछ दिन पहले वह जमानत पर बाहर आ गया। बताया जाता है कि अवैध कब्जों का खुलासा आसपास रहने वाले एमडीए के स्टॉफ ने किया। उन्होंने ही प्राधिकरण के उच्च पदस्थ अधिकारियों तक मामले की जानकारी पहुंचायी। जानकारी पहुंचायी तो कार्रवाई भी की गयी, लेकिन कार्रवाई कर एमडीए अफसरों ने उड़ा तीर ले लिया। नतीजा यह हुआ कि जब मौके पर एमडीए की जेसीबी मशीन गरज रही थी, उसी वक्त बड़ी संख्या में प्रोपर्टी के धंधे में हाथ आजमा रहे भाजपा के कई नेताओं ने एमडीए वीसी ऑफिस पर पहुंचकर धाबा बोल दिया। वीसी का घेराव कर डाला। जमकर हंगामा हुआ। अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई का दम भरने वाले एमडीए के बड़े अफसर बैकफुट पर नजर आए। वहीं दूसरी ओर जानकारों की मानें तो जोन के जिए जेई ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को लेकर भूमाफियाओं से टकराने की हिम्मत दिखाने की गलती की, उसको इस गलती की सजा जोन से हटाकर महत्वहीन जगह भेजकर दी गयी। यह भी जानकारी मिली है कि अब जमीन खुदबुर्द करने वाले एक भूमाफिया के करीबी को ही इस जोन की जिम्मेदारी दे दी गयी है।
पर्दे के पीछे भाजपा के दो महारथी
सूत्रों की मानें तो छह सौ करोड़ कीमत की बतायी जा रही इस सरकारी जमीन को लेकर जो कुछ भी चल रहा है, उसके पीछे भाजपा के दो पुराने महारथियों के खेमे की खीचतान बतायी जा रही है। चर्चा है कि एमडीए की कार्रवाई के पीछे भाजपा के विरोधी खेमे के नेता का हाथ है। जिसके इशारे पर कार्रवाई की चर्चा है, एमडीए की कार्रवाई का विरोध करने वालों से उनकी पुरानी अदावत बतायी जाती है।
वर्जन
इस संबंध में जब एमडीए के सचिव आनंद सिंह जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि जिस जगह पर कार्रवाई की गई है वो जमीन सरकारी है। उसको अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए शीघ्र ही बड़ी कार्रवाई की जाएगी।